तुलनात्मक सरकार और राजनीति UNIT 5 SEMESTER 4 THEORY NOTES समाज में शक्ति की संरचनाएँ पारंपरिक अभिजात्य सिद्धांत, शक्ति अभिजात वर्ग, बहुलवाद और शासक वर्ग का सिद्धांत DU SOL DU NEP COURSES

तुलनात्मक सरकार और राजनीति UNIT 5 THEORY NOTES समाज में शक्ति की संरचनाएँ पारंपरिक अभिजात्य सिद्धांत, शक्ति अभिजात वर्ग, बहुलवाद और शासक वर्ग का सिद्धांत DU SOL DU NEP COURSES


प्रस्तावना

सामाजिक संरचना सत्ता, समाज, और जनता के आपसी संबंधों पर आधारित है। ये तीनों एक-दूसरे से प्रभावित और जुड़े हुए हैं। सामाजिक संरचनाएँ संपर्क और व्यवहार के माध्यम से निर्मित होती हैं, जो समाज में मानव अनुभवों को प्रभावित करती हैं। इस पाठ में शास्त्रीय अभिजात्य सिद्धांत, शासक अभिजात वर्ग के गुण, और अभिजात वर्ग के प्रसार के विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण किया जाएगा।

 अभिजन सिद्धांत का अर्थ 

अभिजन सिद्धांत (Elite Theory) एक समाजशास्त्रीय और राजनीतिक अवधारणा है जो इस विचार को प्रस्तुत करती है कि किसी भी समाज में सत्ता और संसाधन एक छोटे समूह (अल्पसंख्यक) के हाथों में केंद्रित होते हैं। ये अल्पसंख्यक, जिन्हें "अभिजात वर्ग" (Elite) कहा जाता है, समाज के प्रमुख निर्णय लेते हैं और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हैं।

अभिजात वर्ग की विशेषताएँ

अभिजात वर्ग की विशेषताएँ यह हैं कि ये लोग समाज के आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक संसाधनों पर नियंत्रण रखते हैं। वे प्रमुख निर्णय लेते हैं और समाज में संसाधनों का वितरण करते हैं। इसके अलावा, वे संगठनों और आंदोलनों के शीर्ष पर होते हैं, जिससे वे राजनीतिक और सामाजिक परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

1.अभिजात वर्ग के प्रकार

  • आर्थिक अभिजात वर्ग: व्यवसाय और आर्थिक शक्ति पर नियंत्रण।
  • शासक अभिजन: राजनीतिक शक्ति का संचालन।
  • धार्मिक अभिजात वर्ग: धार्मिक संस्थाओं का नेतृत्व।
  • कॉर्पोरेट अभिजात वर्ग: व्यापार और उद्योग में प्रभुत्व।
  • मध्यवर्गीय अभिजात वर्ग: समाज के यांत्रिक और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े लोग।

2. लोकतंत्र में अभिजात वर्ग का स्थान

  • लोकतांत्रिक समाजों में अभिजात वर्ग को योग्यता, तर्कसंगतता, और करिश्मा के आधार पर चुना जाता है। यह वर्ग विभिन्न सामाजिक स्तरों से निष्पक्ष रूप से आता है। अभिजन सिद्धांत यह समझाता है कि शक्ति हमेशा अल्पसंख्यक के हाथों में क्यों और कैसे केंद्रित होती है।


 शक्ति संरचना व अभिजात वर्ग 

  • शक्ति का महत्व: शक्ति राजनीति का मुख्य आधार है, जो इच्छित परिवर्तन लाने की क्षमता प्रदान करती है। जैसे पैसा अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को संभव बनाता है, वैसे ही शक्ति सरकार को निर्णय लेने और उन्हें लागू करने में सक्षम बनाती है। बिना शक्ति के सरकार उतनी ही निष्क्रिय होती है जितनी बिना इंजन की कार।
  • हन्ना एरेन्ड्ट की परिभाषा: हन्ना एरेन्ड्ट ने शक्ति को "मिलकर कार्य करने की क्षमता" के रूप में परिभाषित किया और इसे हिंसा के विपरीत बताया। उनके अनुसार, जहां शक्ति शासन करती है, वहां हिंसा अनुपस्थित होती है। हिंसा शक्ति को नष्ट कर सकती है, लेकिन इसे बना नहीं सकती।
  • डाहल की परिभाषा: डाहल (1951) के अनुसार, शक्ति का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह को उनकी सहमति के बिना कार्य करने के लिए प्रेरित करना। यह सहमति से अधिक संघर्ष को दर्शाता है।
  • समाज में शक्ति की उपस्थिति: शक्ति समाज के हर स्तर पर मौजूद होती है, जैसे परिवार, पंचायत, विश्वविद्यालय प्रशासन, और धार्मिक संस्थानों में। यह औपचारिक और अनौपचारिक दोनों रूपों में हो सकती है। शक्ति का उचित उपयोग शासकों को अपनी प्रजा की सेवा या शोषण करने में सक्षम बनाता है।


 अधिकार और वैधता 

अधिकार, सत्ता संरचना, और वैधीकरण के बीच गहरा संबंध होता है। मैक्स वेबर ने अपने अध्ययन में 

तीन प्रकार के अधिकार बताए:

  • पारंपरिक अधिकार: परंपराओं और धर्मपरायणता पर आधारित, जहां शासकों को सत्ता का औचित्य सिद्ध नहीं करना पड़ता। उदाहरण: राजाओं का शासन।
  • करिश्माई अधिकार: इतिहास और परंपराओं को अस्वीकार कर भविष्य की ओर देखता है। अनुयायी वादों और असाधारण गुणों से प्रेरित होते हैं। उदाहरण: करिश्माई भविष्यवक्ता।
  • तर्कसंगत-वैधानिक अधिकार: कानून, संविधान, और नियमों पर आधारित, जहां आज्ञाकारिता व्यक्तियों के बजाय कानून पर केंद्रित होती है। उदाहरण: भारत में कानून का शासन।


 शास्त्रीय अभिजात वर्ग सिद्धांत 

शास्त्रीय अभिजात वर्ग सिद्धांत के अनुसार, समाज और सत्ता संरचना अनिवार्य रूप से एक छोटे समूह, यानी अभिजात वर्ग, के नियंत्रण में होती है। यह 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में विकसित हुआ, जिसमें गेटानो मोस्का, विल्फ्रेडो पेरेटो, और रॉबर्ट मिशेल्स के "मैकियावेलियन स्कूल" का प्रमुख योगदान रहा।

1. अभिजात वर्ग की परिभाषा और दृष्टिकोण

अभिजात वर्ग का दोहरा अर्थ:

  • सकारात्मक दृष्टिकोण: लैटिन शब्द एलिगेरे (चुने जाने योग्य) से उत्पन्न, इसे "सर्वश्रेष्ठ" के रूप में देखा गया। पेरेटो ने इसे प्रशंसा के संदर्भ में उपयोग किया।
  • तटस्थ दृष्टिकोण: किसी भी संस्थान, संगठन, या समाज के उन लोगों को संदर्भित करता है, जो शक्ति और निर्णय लेने की प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
  • शासक वर्ग की धारणा: मोस्का ने "शासक वर्ग" को अधिक उपयुक्त माना, क्योंकि हर संस्थान में शक्ति का केंद्र एक छोटे समूह में निहित होता है।

2. सिद्धांत के मुख्य विचार

  • सत्ता का असमान वितरण: हर समाज में राजनीतिक शक्ति कुछ लोगों (अल्पसंख्यक) के पास केंद्रित होती है। यह असमान वितरण शासक और शासित वर्गों के बीच स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहाँ अल्पसंख्यक वर्ग सत्ता पर नियंत्रण रखता है।
  • सत्ता का हस्तांतरण: अभिजात वर्ग सिद्धांत के अनुसार, सत्ता केवल एक अभिजात वर्ग से दूसरे अभिजात वर्ग में स्थानांतरित होती है। बहुसंख्यक जनता शासन की शक्ति नहीं रखती और उनका मुख्य कार्य शासन का पालन करना होता है।
  • अभिजात वर्ग की अनिवार्यता: अभिजात वर्ग समाज में अपरिहार्य है, चाहे सरकार लोकतांत्रिक हो या अधिनायकवादी। समाज हमेशा अल्पसंख्यक शासक वर्ग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो निर्णय लेने और शासन की बागडोर संभालने में सक्षम होता है।
  • अभिजात वर्ग का चयन: किसी व्यक्ति का अभिजात वर्ग का हिस्सा बनना उसकी योग्यता, करिश्मा, या सामाजिक संसाधनों पर निर्भर करता है। सिद्धांत यह भी मानता है कि हर व्यक्ति के पास अभिजात वर्ग का सदस्य बनने की संभावनाएँ होती हैं।

3. शास्त्रीय अभिजात वर्ग सिद्धांत के संस्थापक

  • गेटानो मोस्का: उन्होंने "शासक वर्ग" की धारणा दी और सत्ता के संरचनात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित किया।
  • विल्फ्रेडो पेरेटो: उन्होंने "सर्वश्रेष्ठ" अभिजात वर्ग की अवधारणा विकसित की।
  • रॉबर्ट मिशेल्स: "अल्पसंख्यक का शासन" (Iron Law of Oligarchy) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि संगठनों में सत्ता हमेशा एक छोटे समूह में केंद्रित होती है।


 अभिजात वर्ग सिद्धांत पर विचारकों के विचार 

  • पेरेटो का दृष्टिकोण: पेरेटो ने अभिजात वर्ग को उन लोगों के समूह के रूप में परिभाषित किया, जो सामाजिक मूल्य, जैसे शक्ति, धन, या ज्ञान में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। उन्होंने इसे दो वर्गों में विभाजित किया: शासक अभिजात वर्ग, जो सरकार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं, और गैर-शासक अभिजात वर्ग, जो सरकार में भाग नहीं लेते। उनका मानना था कि समाज के ऐतिहासिक परिवर्तन मुख्यतः अभिजात वर्ग के बदलाव से होते हैं।
  • पेरेटो के मुख्य विचार: पेरेटो ने कहा कि "लोमड़ी" की चालाकी और "शेर" की दृढ़ता का संयोजन अभिजात वर्ग को सत्ता में बनाए रखता है। उन्होंने मानव क्रियाओं को "अवशेष" और "व्युत्पन्न" का परिणाम माना। उनका मानना था कि इतिहास में अभिजात वर्ग के निर्णयों का अध्ययन अधिक महत्वपूर्ण है।
  • मोस्का का दृष्टिकोण: मोस्का ने अभिजात वर्ग को शासक वर्ग के रूप में देखा। उन्होंने समाज को दो वर्गों में बांटा: शासक वर्ग, जो सत्ता और उसके लाभों का आनंद लेते हैं, और शासित वर्ग, जो शासक वर्ग द्वारा नियंत्रित होते हैं। उनके अनुसार, अल्पसंख्यक संगठित होने के कारण बहुसंख्यक असंगठित जनता पर हावी रहता है।
  • मोस्का के मुख्य विचार: मोस्का ने कहा कि धन और शक्ति राजनीति में प्रवेश के मुख्य साधन हैं। उन्होंने "अभिजात वर्ग का संचलन" सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार समाज में समय-समय पर अभिजात वर्ग बदलता रहता है। उन्होंने बल के बजाय अनुनय को प्राथमिकता दी और सामाजिक शक्तियों की बहुलता का समर्थन किया।
  • अभिजात वर्ग सिद्धांत के निष्कर्ष: अभिजात वर्ग के सिद्धांत यह दर्शाते हैं कि समाज में सत्ता और प्रभाव कुछ विशेष वर्गों के हाथों में केंद्रित होता है। समय के साथ ये वर्ग बदलते हैं, लेकिन उनका समाज पर गहरा प्रभाव रहता है।


रॉबर्ट माइकल्स 

रॉबर्ट माइकल्स ने अपनी पुस्तक "पॉलिटिकल पार्टीज" में अभिजात वर्ग की शक्ति और नियंत्रण का विस्तार किया। उन्होंने दो मुख्य कारकों पर बल दिया:

  • संगठनात्मक मुद्दे – राजनीतिक दलों को संगठित करने और प्रबंधित करने के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। यह शक्ति नेताओं के पास केंद्रित होती है।
  • मनोवैज्ञानिक पहलू – जनता आमतौर पर राजनीतिक मामलों के प्रति उदासीन होती है, जिससे नेता सत्ता पर पकड़ बनाए रखते हैं। माइकल्स ने इसे "कुलीनतंत्र का लौह कानून" कहा, जिसमें सत्ता हमेशा कुछ मुट्ठीभर नेताओं के हाथ में रहती है।


जेम्स बर्नहैम और प्रबंधकीय क्रांति:

  • जेम्स बर्नहैम ने "द मैनेजरियल रिवोल्यूशन" में बताया कि पूंजीपति वर्ग की जगह प्रबंधकीय अभिजात वर्ग ने ले ली है, जो अब सत्ता, उत्पादन और सामाजिक प्रतिष्ठा का केंद्र बन गए हैं।

चार्ल्स राइट मिल्स और शक्ति अभिजात वर्ग:

  • चार्ल्स राइट मिल्स ने "द पॉलिटिकल एलीट्स" में कहा कि अमेरिकी लोकतंत्र में शक्ति अभिजात वर्ग का प्रभुत्व है, जिसमें राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक क्षेत्र के शीर्ष लोग शामिल हैं, जो मीडिया के जरिए जनता को नियंत्रित करते हैं।

बहुलवाद और अभिजात वर्ग सिद्धांत:

  • बहुलवाद का मानना है कि सत्ता विभिन्न समूहों के बीच बंटी रहती है। रॉबर्ट ए. डाहल ने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र में संतुलन और स्थिरता बनाए रखती है।बहुलवादियों के अनुसार, विभिन्न समूहों की प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र को मजबूत बनाती है, जिससे नागरिक भागीदारी और विविध हितों के लिए स्थान मिलता है।







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