तुलनात्मक सरकार और राजनीति UNIT 2 SEMESTER 4 THEORY NOTES राजनीतिक व्यवस्था का वर्गीकरण (क) संसदीय और अध्यक्षात्मक व्यवस्था (ख) संघीय और एकात्मक DU SOL DU NEP COURSES

तुलनात्मक सरकार और राजनीति UNIT 2 THEORY NOTES राजनीतिक व्यवस्था का वर्गीकरण (क) संसदीय और अध्यक्षात्मक व्यवस्था (ख) संघीय और एकात्मक  DU SOL DU NEP COURSES




 

   (क) संसदीय और अध्यक्षात्मक व्यवस्था 

परिचय 

'लोकतंत्र' शब्द डेमो (लोग) और क्रेटेन (शासन) से बना है, जिसका अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रारंभिक एथेनियन लोकतंत्र में महिलाओं और दासों को शामिल नहीं किया गया था। रूसो ने इसे 'सामान्य इच्छा' की अवधारणा से जोड़ा। उन्नीसवीं सदी के बाद से मताधिकार के विस्तार, नागरिक स्वतंत्रता और जवाबदेही पर जोर देते हुए, लोकतंत्र का स्वरूप विस्तृत हुआ। आज, उदार लोकतंत्र में जिम्मेदार सरकार, कानून का शासन, स्वतंत्र चुनाव, और राजनीतिक जवाबदेही जैसे पहलू शामिल हैं। विभिन्न देशों ने अपनी सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं के अनुसार लोकतंत्र के संसदीय और राष्ट्रपतिीय रूप अपनाए हैं।


 पारमार्थिक प्रणाली (Parliamentary System) 

परिभाषा

संसद का मूल फ्रेंच शब्द 'पालें' है, जिसका अर्थ है चर्चा करना। यह एक ऐसी प्रणाली को संदर्भित करता है जहाँ लोग प्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रीय मामलों पर विचार-विमर्श करते हैं। इसमें प्रतिनिधियों की एक विधानसभा होती है जो देश को संचालित करने के लिए जिम्मेदार होती है।

  • प्रकार: संसदीय प्रणाली दो प्रकार की होती है। संसदीय गणराज्य में, राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, और प्रधानमंत्री को लोग सीधे चुनते हैं। उदाहरण के लिए भारत और जर्मनी। दूसरी ओर, संवैधानिक राजतंत्र में, राज्य का प्रमुख मोनार्क होता है, और सरकार का प्रमुख संसद से चुना जाता है। उदाहरण: यूके और जापान।
  • नाममात्र और वास्तविक कार्यकारी: संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति या मोनार्क नाममात्र प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी होते हैं। भारत में शक्तियों का निर्धारण संविधान करता है, जबकि इंग्लैंड में परंपराओं के अनुसार यह तय होता है।
  • बहुमत दल का शासन: संसद के निचले सदन में बहुमत प्राप्त करने वाला दल सरकार बनाता है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के साथ मिलकर नीतिगत निर्णय लेते हैं। अल्पसंख्यक या गठबंधन सरकार के मामले में राष्ट्रपति या मोनार्क सरकार बनाने का निर्णय लेते हैं।
  • सामूहिक जिम्मेदारी: यह प्रणाली सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर आधारित है। मंत्रिपरिषद संसद के निचले सदन के प्रति उत्तरदायी होती है और अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर इस्तीफा देना पड़ता है।
  • मंत्री विधायिका और कार्यपालिका के सदस्य: संसदीय प्रणाली में मंत्री विधायिका और कार्यपालिका दोनों के सदस्य होते हैं। प्रधानमंत्री संसद के बहुमत दल का नेता होता है। यदि कोई मंत्री संसद का सदस्य नहीं है, तो उसे एक निश्चित समयावधि के भीतर सदस्य बनना अनिवार्य होता है।


 अध्यक्षात्मक प्रणाली (Presidential System) 

परिभाषा

अध्यक्षात्मक प्रणाली में राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है। वह अपने मंत्रियों (कैबिनेट) को खुद नियुक्त करता है और विधायिका से स्वतंत्र रूप से काम करता है। राष्ट्रपति को कार्यकाल समाप्त होने से पहले हटाया नहीं जा सकता और न ही वह विधायिका को भंग कर सकता है।

विशेषताएँ

  • नाममात्र और वास्तविक कार्यकारी का अभाव: राष्ट्रपति ही राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है। सभी फैसले वह अपने विवेक से लेता है।
  • शक्तियों का स्पष्ट विभाजन: विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियाँ अलग-अलग होती हैं। कार्यपालिका का कोई भी सदस्य विधायिका का हिस्सा नहीं बन सकता।
  • कैबिनेट की जिम्मेदारी: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त कैबिनेट केवल राष्ट्रपति को जवाबदेह होती है। यह विधायिका को उत्तरदायी नहीं होती, लेकिन जाँच समितियाँ सरकारी कार्यों की निगरानी कर सकती हैं।
  • राजनीतिक दलों की भागीदारी: राष्ट्रपति को स्वतंत्रता होती है कि वह किसी भी दल या प्रतिष्ठित व्यक्ति को अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकता है। यह संसदीय प्रणाली से अलग है, जहाँ मंत्रिमंडल बहुमत दल से बनता है।


 ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था (British Parliamentary System) 

1. संविधान की प्रकृति

  • ब्रिटेन के पास कोई लिखित संविधान नहीं है। इसका संविधान परंपराओं, सम्मेलनों, और न्यायिक घोषणाओं का मिश्रण है। यह दुनिया की सबसे लचीली प्रणाली है क्योंकि संसद साधारण बहुमत से बड़े बदलाव कर सकती है। सत्ता का हस्तांतरण मोनार्क से संसद, कैबिनेट, और प्रधानमंत्री तक हुआ है।

2. संसद की सर्वोच्चता

ब्रिटिश संसद को सर्वोच्च माना जाता है। हाउस ऑफ कॉमन्स (निचला सदन) और हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ऊपरी सदन) के माध्यम से यह कानून बनाती है।

  • हाउस ऑफ कॉमन्स: 650 निर्वाचित सदस्य, जो देश की कानून निर्माण प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
  • हाउस ऑफ लॉर्ड्स: लगभग 800 सदस्य, जो विधेयकों की समीक्षा करते हैं।
  • संसद कार्यपालिका को विभिन्न प्रस्तावों जैसे अविश्वास प्रस्ताव के जरिए नियंत्रित करती है।

3. संवैधानिक राजतंत्र

  • ब्रिटेन एक संवैधानिक राजतंत्र है, जहाँ मोनार्क नाममात्र प्रमुख होता है। वास्तविक शक्तियाँ प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के पास होती हैं। मोनार्क का कार्य केवल परामर्श, प्रोत्साहन और चेतावनी तक सीमित है।

4. एकात्मक प्रणाली

  • ब्रिटेन में सत्ता का केंद्रीकरण है। केंद्र सरकार स्कॉटलैंड, वेल्स, और उत्तरी आयरलैंड की क्षेत्रीय सरकारों को शक्तियाँ प्रदान करती है। ये शक्तियाँ केंद्र सरकार की इच्छा पर निर्भर करती हैं और स्थायी नहीं हैं।

5. मिश्रित दल व्यवस्था

ब्रिटेन में लेबर और कंजर्वेटिव पार्टियों का वर्चस्व है।

  • कंजर्वेटिव पार्टी: संपत्ति और न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप का समर्थन करती है।
  • लेबर पार्टी: श्रमिक वर्ग और सामाजिक समानता के लिए काम करती है।
  • 1970 के दशक के बाद, मार्गरेट थैचर और टोनी ब्लेयर ने अपनी-अपनी पार्टियों की नीतियों में बदलाव कर उन्हें नई दिशा दी।


 अमेरिकी राष्ट्रपति प्रणाली (American Presidential System) 

1. अमेरिकी व्यावसायिक प्रणाली

1. लिखित संविधान

  • अमेरिका का संविधान 1787 में बनाया गया था और यह दुनिया का सबसे पुराना लिखित संविधान है। इसमें सरकार की संरचना को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसे बदलने की प्रक्रिया कठिन है, इसलिए अब तक केवल 27 बार संशोधन हुआ है।

2. शक्तियों का विभाजन और संतुलन

अमेरिकी सरकार तीन शाखाओं में बँटी है:

  • विधायिका (कांग्रेस): कानून बनाती है।
  • कार्यपालिका (राष्ट्रपति): कानून लागू करती है।
  • न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट): कानून की जाँच करती है।

सभी शाखाएँ एक-दूसरे पर नजर रखती हैं। उदाहरण: राष्ट्रपति कानून पर वीटो कर सकता है, और कांग्रेस महाभियोग से राष्ट्रपति को हटा सकती है।

3. संघीय प्रणाली

  • अमेरिका में संघीय प्रणाली है, जहाँ राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियाँ बाँटी जाती हैं। राज्यों को अपने विशेष मामलों में स्वतंत्रता मिलती है, जबकि राष्ट्रीय मुद्दे संघीय सरकार के अंतर्गत आते हैं।

4. राष्ट्रपति का शासन

  • अमेरिका में राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है, जो चार साल के लिए चुना जाता है और उसे केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति को अपने मंत्रियों को चुनने और हटाने का अधिकार होता है। इसके अलावा, उसके पास कानूनों को वीटो करने, माफी देने और सेना का नेतृत्व करने की शक्तियाँ होती हैं।

5. द्विसदनीय विधायिका

अमेरिका की संसद (कांग्रेस) दो हिस्सों में बँटी है:

  • प्रतिनिधि सभा: इसमें 435 सदस्य होते हैं, जो दो साल के लिए चुने जाते हैं।
  • सीनेट: इसमें प्रत्येक राज्य से 2 सदस्य (कुल 100) होते हैं, जो छह साल के लिए चुने जाते हैं।

सीनेट को विशेष अधिकार प्राप्त हैं, जैसे राष्ट्रपति की नियुक्तियों की पुष्टि करना।

2.राष्ट्रपति बनाम प्रधानमंत्री

  • अमेरिकी राष्ट्रपति विधायिका से स्वतंत्र रहता है और उसके साथ कोई सीधा संबंध नहीं होता, जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री संसद के प्रति जवाबदेह होता है। राष्ट्रपति के पास अधिक व्यक्तिगत शक्तियाँ होती हैं, वहीं प्रधानमंत्री अपने निर्णयों के लिए मंत्रिमंडल और संसद पर निर्भर करता है।

3.सीनेट की भूमिका

  • सीनेट अमेरिका का सबसे शक्तिशाली उच्च सदन है। यह राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए कानूनों, नियुक्तियों और महाभियोग की प्रक्रिया की जाँच करता है।


 (ख) संघीय और एकात्मक 


 आधुनिक सरकारों का वर्गीकरण 

1.अरस्तु का वर्गीकरण और आधुनिक संदर्भ

  • अरस्तु ने यूनानी नगर राज्यों के आधार पर सरकारों का वर्गीकरण किया, जो आधुनिक समय में पूर्णतः सटीक नहीं है। फिर भी, उनका वर्गीकरण आधुनिक सरकारों के अध्ययन के लिए एक परंपरा बन गया।

2. जी. आमंड का वर्गीकरण

जी. आमंड ने राजनीतिक व्यवस्थाओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया:

  • कबीलाई शासन: जनजातियाँ सरदार या मुखिया के अधीन कार्य करती हैं।
  • सामंती समाज: यहाँ खेती उत्पादन का प्रमुख साधन है।

3. आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थाएँ:

  • लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ: ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस जैसे आधुनिक और गतिशील लोकतंत्र।
  • सत्तावादी व्यवस्थाएँ: पूर्व सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, स्पेन, और सैनिक तानाशाही वाले देश।

4. एलेन आर. बॉल का वर्गीकरण

एलेन आर. बॉल ने राजनीतिक व्यवस्थाओं को चार भागों में विभाजित किया:

  • उदारलोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ
  • साम्यवादी व्यवस्थाएँ
  • सत्तावादी व्यवस्थाएँ
  • उत्तर-साम्यवादी व्यवस्थाएँ

5.आधुनिक सरकारों के रूप

जी. आमंड और एलेन बॉल के वर्गीकरण के आधार पर, आधुनिक सरकारों के प्रमुख प्रकार हैं:

  • एकात्मक और संघात्मक प्रणालियाँ
  • लोकतांत्रिक और सत्तावादी प्रणालियाँ
  • पूँजीवादी और समाजवादी प्रणालियाँ
  • संसदीय और अध्यक्षीय प्रणालियाँ


 एकात्मक सरकार का परिचय 

हरमन फाइनर के अनुसार, एकात्मक सरकार वह होती है जिसमें सभी शक्तियाँ और अधिकार केन्द्रीय सत्ता के पास होते हैं। ए.वी. डाइसी ने इसे एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया है, जहाँ एक केन्द्रीय शक्ति नियमपूर्वक सर्वोच्च विधायी सत्ता का प्रयोग करती है। यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और बेल्जियम इस प्रणाली के प्रमुख उदाहरण हैं।

  • समस्त शक्ति का केंद्रीकरण: एकात्मक सरकार में शासन की सभी शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार के पास होती हैं। पूरे देश के लिए एक ही विधानमंडल और मंत्रिमंडल होता है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन की संसद को "संप्रभुत्व संपन्न विधानमंडल" कहा जाता है।
  • प्रादेशिक सरकारों की सीमित शक्तियाँ: प्रादेशिक इकाइयाँ अपनी शक्तियाँ संविधान से नहीं, बल्कि केन्द्रीय सरकार से प्राप्त करती हैं। ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों में प्रांतीय इकाइयाँ केन्द्रीय सरकार की दया पर निर्भर होती हैं। केन्द्रीय सरकार इन्हें कभी भी शक्तिहीन कर सकती है।
  • लचीला संविधान: एकात्मक सरकार में संविधान में संशोधन की प्रक्रिया सरल और लचीली होती है। संविधान को बदलने की प्रक्रिया एक साधारण कानून बनाने जितनी आसान होती है।
  • न्यायालय की सीमित भूमिका: एकात्मक सरकार में न्यायालय की भूमिका सीमित होती है। यहाँ केन्द्रीय सरकार संविधान को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बदल सकती है, जिससे न्यायपालिका का प्रभाव कम हो जाता है।

एकात्मक शासन के गुण

  • राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है: एकात्मक शासन में सारी शक्तियाँ केंद्र सरकार के पास होती हैं। इससे क्षेत्रीय और संकीर्ण हितों का प्रभाव खत्म होता है और पूरे देश में एकता बनी रहती है।
  • कानून और प्रशासन की समानता: पूरे देश में एक जैसे कानून लागू होते हैं और प्रशासनिक नियम हर जगह एक समान तरीके से लागू किए जाते हैं।
  • असमानता और असंतुलन नहीं होता: केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण स्थानीय सरकारों का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता। इससे सभी क्षेत्रों में समानता बनी रहती है।
  • लचीला शासन: केंद्र सरकार आवश्यकता अनुसार संविधान में बदलाव कर सकती है। यह लचीलापन ब्रिटेन, जापान, श्रीलंका जैसे देशों में देखने को मिलता है।
  • आर्थिक विकास पर ध्यान: एकात्मक शासन में केंद्र सरकार आर्थिक विकास को प्राथमिकता देती है। राज्यों के पास ज्यादा अधिकार नहीं होते, जिससे केंद्र योजनाओं पर तेजी से काम कर पाती है।
  • कम खर्चीली व्यवस्था: इस प्रणाली में हर राज्य के लिए अलग विधानमंडल या मंत्रिमंडल बनाने की जरूरत नहीं होती, जिससे प्रशासनिक खर्च कम होता है।
  • त्वरित निर्णय और कार्रवाई: केंद्र सरकार सभी फैसले लेती है और उन पर तुरंत अमल करती है। राज्य और स्थानीय सरकारें केंद्र के फैसलों को नहीं रोक सकतीं।

एकात्मक शासन के दोष

  • स्वशासन का अभाव: एकात्मक शासन में सभी शक्तियाँ केंद्र सरकार के पास होती हैं, जिससे विकेंद्रीकरण के लिए जगह नहीं बचती। हालांकि, समय के साथ कुछ बदलाव हुए हैं, जैसे ब्रिटेन में स्कॉटलैंड और वेल्स की अलग-अलग विधानसभा का गठन।
  • स्थानीय जरूरतों की अनदेखी: इस प्रणाली में सभी निर्णय केंद्र द्वारा लिए जाते हैं, जिससे स्थानीय मुद्दों पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिया जा सकता। राज्य सरकारें स्थानीय मामलों को बेहतर ढंग से समझ और हल कर सकती हैं।
  • केंद्रीकृत नौकरशाही: प्रशासनिक और विधि-निर्माण की अधिकतर शक्तियाँ केंद्र के अधिकारियों के पास होती हैं, जिससे अत्यधिक केंद्रीकरण हो जाता है।
  • सत्ता का दुरुपयोग: केंद्र सरकार को बहुत अधिक शक्ति मिलती है, जिससे निरंकुशता का खतरा रहता है। न्यायालय और राज्य सरकारों का प्रभाव सीमित होता है, जिससे केंद्र सरकार अपनी शक्तियों का मनमाना उपयोग कर सकती है।
  • जनकल्याण पर जनता का सीमित नियंत्रण: शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और चिकित्सा जैसे जनकल्याण के मुद्दों पर जनता की राय लेने का प्रावधान नहीं होता। केंद्र सरकार अपने निर्णय जनता पर थोपती है।


 संघात्मक सरकार 

1. संघ के निर्माण के कारण (ऐतिहासिक कारक)

  • स्वतंत्रता प्राप्ति: अमेरिका में उपनिवेशवाद से आजादी संघीय व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य था।
  • सुरक्षा: बाहरी खतरों से बचाव और सुरक्षा की आवश्यकता संघीय प्रणाली का कारण बनी।
  • भौगोलिक विशालता और सामाजिक बहुलता: बड़े क्षेत्र और विविध सामाजिक समूहों के कारण संघीय प्रणाली की आवश्यकता पड़ी।

2.संघीय व्यवस्था का विकास

  • प्रमुख विचारक: एलेक्जेंडर हैमिल्टन और जेम्स मेडिसन ने The Federalist Papers (1788) तैयार की।
  • हैमिल्टनवाद: एक मजबूत संघीय सरकार का समर्थन।
  • प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध: इन युद्धों के बाद अमेरिका में संघवाद का विस्तार हुआ।
  • 1980 का दशक: राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने "नव-संघवाद" का नारा दिया।
  • शब्द व्युत्पत्ति: 'फेडरलिज्म' लैटिन शब्द फोऐडस से लिया गया है, जिसका अर्थ है "आपसी समझौता।"

3.संघीय व्यवस्था की परिभाषाएँ

  • डेनियल एलजौर: "संघीय शासन, स्वशासन और सहभागी शासन है।"
  • मूरे फोर्थ: "संघ, राज्यों का राज्य है।"
  • डॉयसी: "संघीय शासन में केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण के बीच संतुलन होता है।"
  • के.सी. हीयर (1956): "संघीय सिद्धांत सामान्य और क्षेत्रीय सरकारों के बीच शक्ति विभाजन पर आधारित है, जहाँ दोनों स्वतंत्र और समान हैं।"

4. संघीय व्यवस्था वाले देश

  • अमेरिका: सबसे पहली और प्राचीन संघीय प्रणाली।
  • उत्तर और दक्षिण अमेरिका: कनाडा, मैक्सिको, वेनेजुएला, ब्राजील, अर्जेंटीना।
  • यूरोप: जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्पेन, रूस।
  • ऑस्ट्रेलिया।
  • अफ्रीका: नाइजीरिया, इथियोपिया, दक्षिण अफ्रीका।
  • एशिया: भारत, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया।

संघात्मक शासन के मौलिक लक्षण 

  • दो प्रकार की सरकारें: संघात्मक शासन में केंद्र और राज्यों की दो अलग-अलग सरकारें होती हैं। दोनों स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं और अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च होती हैं।
  • शक्ति और कार्य विभाजन: संघीय शासन में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट बँटवारा होता है। केंद्र के तहत विदेशी मामले, रेलवे और रक्षा जैसे विषय आते हैं, जबकि राज्यों के अधीन पुलिस, कृषि और न्याय जैसे कार्य आते हैं।
  • लिखित और कठोर संविधान: संघात्मक शासन में एक लिखित संविधान आवश्यक होता है, जो केंद्र और राज्यों के अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। संविधान में संशोधन की प्रक्रिया कठिन होती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय: संघीय विवादों को सुलझाने और संविधान की व्याख्या करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय होता है। भारत और अमेरिका में न्यायिक समीक्षा का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है।

संघात्मक शासन के गुण 

  • राष्ट्रीय एकता: संघात्मक प्रणाली में राज्यों की स्वायत्तता और केंद्र की एकता का संतुलन होता है। यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
  • सत्ता का विकेंद्रीकरण: शासन प्रणाली में सत्ता केवल केंद्र तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह नीचे तक पहुँचती है।
  • जनता की भागीदारी: केंद्र और राज्य सरकारों का चुनाव सीधे जनता द्वारा होता है, जिससे लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ती है।
  • अल्पसंख्यकों की रक्षा: यह प्रणाली क्षेत्रीय जरूरतों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

संघात्मक शासन के दोष

  • केंद्र का वर्चस्व:भारत जैसे देशों में संघवाद एकात्मक झुकाव रखता है, जहाँ केंद्र राज्य पर हावी होता है।
  • केंद्र-राज्य खींचतान:केंद्र और राज्यों के बीच अक्सर टकराव होता है, खासकर जब राज्य में विपक्षी दल की सरकार हो।
  • पृथकतावादी आंदोलन:संघीय व्यवस्था में क्षेत्रीय और सांस्कृतिक समूहों के बीच अलगाववादी आंदोलन को बल मिल सकता है। उदाहरण: अमेरिका, स्विट्जरलैंड, भारत।




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