प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 3 CHAPTER 9 SEMESTER 4 THEORY NOTES बदलती मानसिकता और लोकप्रिय विद्रोह : जैक्वेरीज़, खाद्य दंगे और भीड़ History DU.SOL.DU NEP COURSES

प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 3 CHAPTER 9 THEORY NOTES बदलती मानसिकता और लोकप्रिय विद्रोह : जैक्वेरीज़, खाद्य दंगे और भीड़  History DU.SOL.DU NEP COURSES


परिचय

प्रारंभिक आधुनिक युग सामाजिक आंदोलनों और विरोधों का दौर था, जहां लोकतंत्र की अनुपस्थिति में आम लोगों के पास अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के सीमित साधन थे। इस युग की प्रमुख घटनाओं में फ्रांसीसी क्रांति और अंग्रेजी गृहयुद्ध शामिल हैं, जो सामाजिक बदलावों और सार्वजनिक लामबंदी का प्रतीक बनीं। इस अध्याय में, शहरी और ग्रामीण विद्रोहों के साथ फ्रांसीसी क्रांति और सामाजिक सुधार जैसे आंदोलनों की प्रेरणाओं, प्रतिभागियों और उनके प्रभावों का विश्लेषण किया गया है, जो इस युग की राजनीतिक संरचना का अभिन्न हिस्सा थे।

 फ्रांस में जैक्वरीज़ का प्रतिरोध (Jacqueries Popular Protest in France) 

  • प्रारंभिक किसान विद्रोह: 14वीं शताब्दी में फ्रांस में हुआ जैक्वरीज़ विद्रोह 1789 से पहले का सबसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक विद्रोह था। यह अभिजात वर्ग के खिलाफ एक संगठित हमला था, लेकिन इसे बेरहमी से दबा दिया गया और विद्रोहियों की आलोचना की गई।
  • 1358 का विद्रोह: 1358 की गर्मियों में पेरिस के आसपास हजारों किसानों ने विद्रोह शुरू किया, जो पूरे उत्तरी फ्रांस में फैल गया। दो महीनों के दौरान, विद्रोहियों ने दर्जनों कुलीनों को मारा और सौ से अधिक महलों को जला दिया। जैक्वरी नाम 'जैक्स बोनहोमे' से प्रेरित था, जो साधारण लोगों का प्रतीक था।
  • विद्रोह का दमन: अभिजात वर्ग ने विद्रोह को सख्ती से दबाया। ग्रामीण इलाकों और कस्बों को नष्ट कर दिया गया, और निर्दोष लोगों को भी मारा गया। उदाहरण के तौर पर, एक शूरवीर ने 'कुलीनों का स्वामी' बनने की अफवाह पर प्रतिक्रिया देते हुए एक निर्दोष को मार डाला।
  • विद्रोह की कुख्याति: 1381 का अंग्रेजी विद्रोह मध्यकालीन वर्गीय संघर्ष का प्रसिद्ध उदाहरण बना, जिससे जैक्वरी विद्रोह की कुख्याति थोड़ी कम हो गई।


 फ्रांस में जैक्वेरीज़ विद्रोह की ऐतिहासिकता 

  • विद्रोह की पृष्ठभूमि: जैक्वेरी विद्रोह फ्रांसीसी राजा की अंग्रेजी सेना के हाथों हार और राजा के कब्जे से उपजे असंतोष का परिणाम था। भूमि स्वामित्व के कठोर नियम और राजकोषीय विशेषाधिकारों ने आम जनता पर भारी बोझ डाला, जिससे किसानों में असंतोष बढ़ा।
  • प्लेग और असमानता: प्लेग के कारण जनसंख्या में कमी के बावजूद, भूमि स्वामित्व नियमों ने किसानों को संपत्ति प्राप्त करने से रोका। कुलीन वर्ग के विशेषाधिकार और युद्ध के लिए कर लगाने की प्रणाली ने स्थिति और बिगाड़ दी।
  • विद्रोह की शुरुआत: जैक्वेरी विद्रोह 28 मई, 1358 को एक गाँव में नौ प्रमुख लोगों के नरसंहार से शुरू हुआ। यह नरसंहार एक रणनीतिक कदम था, जो पेरिस के लिए संभावित खतरे को रोकने के लिए किया गया था। इसने यह धारणा बदल दी कि विद्रोह केवल किसान शत्रुता की यादृच्छिक अभिव्यक्ति थी।
  • एटियेन मार्सेल का प्रभाव: पेरिस के बुर्जुआ नेता एटियेन मार्सेल ने तीन महीने पहले राजशाही के खिलाफ तख्तापलट किया था। जैक्वेरी विद्रोह पेरिस के सैन्य उद्देश्यों के समर्थन में शुरू हुआ और बाद में फ्रांस के कुलीन वर्ग को निशाना बनाने के लिए व्यापक हो गया।
  • आकांक्षाएँ और प्रभाव: विद्रोह का उद्देश्य कुलीन वर्ग को समाप्त करना और फ्रांसीसी राजशाही की संरचनाओं में प्रमुख भूमिका हासिल करना था। किसानों की आकांक्षाएँ न केवल हिंसा तक सीमित थीं, बल्कि सत्ता और संसाधनों में भागीदारी तक फैली हुई थीं।


 गठबंधन में फूट 

  • नेतृत्व में असहमति: जैक्वेरी के नेता सुशिक्षित और समृद्ध थे, जो निम्न वर्ग के किसानों से अलग थे। गुइलाउम कैले जैसे नेताओं के बावजूद, रणनीतियों और उद्देश्यों पर असहमति और नेतृत्व की कमी ने विद्रोह को कमजोर किया।
  • शहरी और ग्रामीण विभाजन: शहरवासियों ने खुद को ग्रामीण किसानों से अधिक समृद्ध और परिष्कृत माना। उन्हें एस्टेट जनरल में प्रतिनिधित्व मिला, जबकि किसानों को इससे बाहर रखा गया, जिससे दोनों के बीच गहरा विभाजन रहा।
  • प्रारंभिक समर्थन और पतन: शुरुआत में शहरों ने विद्रोहियों का समर्थन किया, लेकिन कुलीनों की प्रतिक्रिया के बाद शहरी मध्यम वर्ग ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे विद्रोह कमजोर हो गया।


 विद्रोहों की विफलता 

  • विद्रोह का पतन: 10 जून को शूरवीरों ने जैक्स को युद्ध में हरा दिया। मेक्स में जैक्स और पेरिस के निवासियों की संयुक्त सेना को भी हराया गया। इसके बाद अभिजात वर्ग ने क्रूर बदला लिया। हजारों किसानों को मारा गया, उनके घर जलाए गए, और कई स्थानों पर लूटपाट और हिंसा की गई।
  • गठबंधन का टूटना: शहरों और ग्रामीणों के बीच का गठबंधन टूट गया। जब जैक्स ने शहरों से शरण मांगी, तो ज्यादातर शहरों ने उनके लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए। इस विश्वासघात ने विद्रोह को खत्म कर दिया।
  • रक्षा की कमी और अंत: जैक्स के पास महल या किले नहीं थे, जहाँ वे छिप सकते थे। उन्हें खुले ग्रामीण इलाकों में पकड़कर मारा गया। हालांकि उन्होंने जून और जुलाई तक प्रतिरोध जारी रखा, लेकिन बिना शहरी समर्थन के यह विद्रोह अगस्त में समाप्त हो गया।
  • विद्रोह की स्मृति का दबना: विद्रोह के बाद राजा ने उसकी यादों को दबाने की कोशिश की। 'जैक्वेरी' शब्द का महत्व खत्म हो गया और किसान विद्रोह की बात फिर से फ्रांसीसी क्रांति के समय प्रमुख हुई।


 इंग्लैंड में खाद्य दंगे, भीड़ और लोकप्रिय संस्कृति 

  • खाद्य दंगों की उत्पत्ति और प्रसार: सोलहवीं शताब्दी के मध्य से खाद्य दंगे इंग्लैंड में उभरने लगे और सत्रहवीं शताब्दी के बाद भी जारी रहे। ये दंगे उस समय की अशांति का प्रमुख कारण बने और अधिकांश घटनाओं में दो-तिहाई हिस्सेदारी रखते थे।
  • दंगों की लहरें: 1709 और 1727 के बाद, 1740, 1756, 1766, 1772, 1783 और 1795 में खाद्य दंगों की राष्ट्रीय लहरें आईं। ये दंगे राष्ट्रव्यापी अशांति का प्रतीक बने। खाद्य दंगे जनता के विरोध का प्रमुख माध्यम थे और सामूहिक शिकायतों को व्यक्त करने का तरीका।
  • अशांति के अन्य कारण: चुनाव, बाड़ेबंदी, कार्यस्थल और वेतन जैसे मुद्दे भी दंगों का कारण बनते थे। हालांकि, खाद्य दंगों की प्रमुखता अन्य अशांत घटनाओं से अधिक थी।
  • ग्रामीण और शहरी दृष्टिकोण: 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड कृषि-प्रधान समाज था, जहाँ अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरों के रूप में कृषि कार्यों में लगे थे। बावजूद इसके, खाद्य दंगों को अकसर शहरी घटना माना गया, जबकि ग्रामीण उत्पाद इन दंगों का मूक नायक थे।


 खाद्य दंगों की घटना 

  • खाद्य संकट और असंतोष: सोलहवीं सदी के मध्य में फसल की विफलता और भोजन की कमी ने कई दंगों को जन्म दिया। गेहूँ की कीमतों में वृद्धि ने आम जनता के लिए बुनियादी ज़रूरतें पूरी करना कठिन कर दिया, जिससे व्यापक असंतोष फैला।
  • गरीब कानून और सामाजिक तनाव: गरीब कानून, जो गरीबों की सहायता के लिए बनाए गए थे, उनकी जरूरतों को पूरा करने में विफल रहे। कमजोर कानूनों के कारण मजदूर और गरीब वर्गों में असंतोष और सामाजिक तनाव बढ़ा।
  • दंगों के कारण और प्रतिक्रिया: खाद्य कीमतों में वृद्धि और व्यापारियों व ज़मींदारों की कथित शोषणकारी प्रथाओं के खिलाफ लोगों ने विरोध किया। अधिकारियों ने मूल्य नियंत्रण और दंड जैसे उपाय अपनाए, लेकिन ये प्रयास अशांति के मूल कारणों को हल करने में विफल रहे।
  • ग्रामीण और शहरी भागीदारी: खाद्य दंगों में ग्रामीण और शहरी आबादी दोनों ने भाग लिया। ये दंगे आर्थिक कठिनाइयों और शोषण के खिलाफ आम लोगों के संघर्ष को दर्शाते हैं।


 1626 का महान विद्रोह (The Great Rising of 1626) 

  • विद्रोह के कारण: 1626 का विद्रोह इंग्लैंड में अनाज, विशेष रूप से गेहूँ, की बढ़ती कीमतों और जमाखोरी के कारण हुआ। व्यापारियों और डीलरों पर अनाज की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने और जमाखोरी करने का आरोप लगाया गया। इससे निम्न वर्ग और मजदूरों के लिए भोजन खरीदना कठिन हो गया, जिससे असंतोष बढ़ा।
  • विरोध और दंगे: लंदन, एसेक्स, केंट और अन्य क्षेत्रों में लोग सड़कों पर उतर आए। मजदूर, प्रशिक्षु, और वंचित समूह भोजन की उच्च कीमतों और व्यापारियों के शोषण के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। ये विरोध अकसर हिंसक हो जाते थे, जिसमें अनाज बाजारों और गोदामों को निशाना बनाया गया।
  • आर्थिक कठिनाइयाँ: इस समय की आर्थिक परिस्थितियाँ निम्न वर्ग और मजदूरों के लिए बेहद कठिन थीं। भोजन की बढ़ती कीमतों ने इसे उनकी पहुँच से बाहर कर दिया, जिससे निराशा और विरोध पैदा हुआ।
  • घटना का प्रभाव: हालाँकि दंगे अंततः शांत हो गए, लेकिन इस विद्रोह ने इंग्लैंड में आर्थिक असमानताओं, भोजन की कमी, और कीमतों से जुड़ी समस्याओं को उजागर किया।


 18वीं सदी में "ब्रेड दंगे" (Bread Riots in the 18th Century) 

  • ब्रेड दंगों का कारण: ब्रेड दंगे आर्थिक कठिनाइयों और ब्रेड जैसी बुनियादी आवश्यक वस्तु की अनुपलब्धता के कारण हुए। खराब फसल, बाजार में हेरफेर, और अनाज की आपूर्ति में बाधाओं ने रोटी की कीमतों को बढ़ाया, जिससे यह गरीबों की पहुँच से बाहर हो गई।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: उस समय की आर्थिक परिस्थितियाँ गरीबों के लिए चुनौतीपूर्ण थीं। अमीर और गरीब के बीच बढ़ती असमानता ने सामाजिक तनाव को जन्म दिया। मजदूर वर्ग और शहरी गरीब बढ़ती कीमतों के कारण असहाय और आक्रोशित महसूस करते थे।
  • विरोध और दंगे: ब्रेड की ऊँची कीमतों के खिलाफ दंगे मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों, जैसे लंदन और अन्य बड़े शहरों में हुए। भीड़ ने अपनी शिकायतें दंगों और विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से व्यक्त कीं।
  • सरकार की प्रतिक्रिया: अधिकारियों ने बल का प्रयोग, अनाज पर मूल्य नियंत्रण, सस्ता अनाज आयात, और धर्मार्थ राहत जैसे उपायों से दंगों को रोकने की कोशिश की।
  • प्रभाव और महत्व: ब्रेड दंगे 18वीं सदी के इंग्लैंड में सामाजिक-आर्थिक असमानता और गरीबों की कठिनाइयों को उजागर करते हैं। इन घटनाओं ने संसाधनों के वितरण और गरीबों के अधिकारों पर चर्चा को बढ़ावा दिया।


 भीड़ संस्कृति (The Crowd Culture) 

  • प्रारंभिक दृष्टिकोण: प्रारंभिक आधुनिक इंग्लैंड में लोकप्रिय विरोध आमतौर पर छोटे और अनायास होते थे, जिनमें राजनीतिक प्रभाव कम होता था। जीवन अस्तित्व के संघर्ष में व्यतीत होता था, और राजनीतिक मामलों पर ध्यान सीमित था।
  • 1960 के दशक का दृष्टिकोण: 1960 के दशक के बाद के शोध ने यह तर्क दिया कि विद्रोह के पीछे राजनीतिक प्रेरणाएँ थीं। चर्च और राज्य ने 'आज्ञाकारिता की संस्कृति' को बढ़ावा दिया ताकि असंतोष के गंभीर परिणामों से बचा जा सके।
  • एम.ई. जेम्स का दृष्टिकोण: एम.ई. जेम्स और अन्य इतिहासकारों ने विद्रोहों को समझने के लिए एक व्यापक राजनीतिक संस्कृति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संस्थानों और स्रोतों की विविधता को समझने पर बल दिया।


 सुधार आंदोलन (The Reformation Movement) 

  • जर्मनी का किसान विद्रोह: सुधार आंदोलन के दौरान जर्मनी में किसानों ने कुलीन और जमींदार उत्पीड़न के खिलाफ विद्रोह किया। किसान अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की माँग करते हुए संगठित हुए। हालाँकि, स्वाबियन लीग की सेना ने इस विद्रोह को कुचल दिया, जिसमें लगभग 100,000 किसानों की मृत्यु हुई।
  • चार्ल्स पंचम और सुधार आंदोलन: चार्ल्स पंचम, 16वीं सदी के सबसे शक्तिशाली सम्राट, जर्मनी में सुधार आंदोलन को समाप्त करने में असमर्थ रहे। उनकी विफलता का परिणाम 1555 की ऑग्सबर्ग शांति में दिखा।
  • मार्टिन लूथर का प्रभाव: मार्टिन लूथर की 1517 में रोमन कैथोलिक सिद्धांतों की आलोचना ने सुधार आंदोलन को जन्म दिया। राजनीति और धर्म के जटिल संबंधों के कारण, लूथर के विचार कई राजनीतिक लक्ष्यों का आधार बने।
  • किसान युद्ध और 12 आलेख: 1524-25 में दक्षिण-पश्चिम जर्मनी के किसानों ने विद्रोह किया। उन्होंने "किसान संसद" का गठन किया और 12 आलेख अपनाए, जिनमें धार्मिक और सामाजिक माँगें शामिल थीं। विद्रोह अंततः विफल रहा, लेकिन सुधार आंदोलन जारी रहा।
  • एनाबैप्टिस्ट विद्रोह और मुंस्टर क्रांति: मुंस्टर में एनाबैप्टिस्टों ने कट्टरपंथी धार्मिक सुधारों के तहत बहुविवाह और निजी संपत्ति को गैरकानूनी घोषित कर दिया। बिशप की सेना ने क्रांति को समाप्त कर दिया, लेकिन आंदोलन ने अन्य क्षेत्रों में सुधार को प्रेरित किया।
  •  सुधार का विस्तार: सुधार आंदोलन जर्मनी से बाहर इंग्लैंड, नीदरलैंड और फ्रांस तक फैला। इंग्लैंड में हेनरी अष्टम और क्वीन मैरी की नीतियों के कारण धार्मिक विद्रोह हुए। फ्रांस में 1562-1598 के बीच नौ गृहयुद्धों ने धार्मिक संरचना को बदला।
  • राजनीतिक और धार्मिक चिंताएँ: अधिकांश विद्रोहों में धार्मिक और राजनीतिक मुद्दे जुड़े हुए थे। लोग अधिक स्वायत्तता और कम हस्तक्षेप की माँग करते थे।

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