प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 3 CHAPTER 8 SEMESTER 4 THEORY NOTES जादूगरी का पतन, विच ट्रायल्स का उदय History DU.SOL.DU NEP COURSES

प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 3 CHAPTER 8 THEORY NOTES जादूगरी का पतन, विच ट्रायल्स का उदय History DU.SOL.DU NEP COURSES


परिचय

प्राचीन समाजों में जादू-टोना (Witchcraft) का प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है, जिसे इतिहासकारों और मानवविज्ञानियों ने गहराई से अध्ययन किया है। सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में यूरोप में "विच हंटिंग" इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें हजारों लोगों पर मुकदमे चलाए गए और कई को दंडित किया गया। जादू-टोना में गरीबी, यौनता और भय जैसे तत्व प्रमुख रहे। इस विषय के गहन विश्लेषण के लिए, जादू-टोना के बदलते अर्थ और इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर ध्यान देना आवश्यक है।

 बदलते सन्दर्भों में जादूगरी की बदलती परिभाषाएं 

  • प्राचीन समाजों में जादू-टोना: प्राचीन समय में जादू-टोना का बहुत प्रचलन था। इसे चमत्कारी शक्तियों के रूप में देखा जाता था, लेकिन इसका इस्तेमाल लोगों और जानवरों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता था। इसे मदद करने वाली शक्ति नहीं माना जाता था।
  • मध्यकालीन यूरोप में बदलाव: मध्यकालीन यूरोप में ईसाई धर्म के प्रचारकों ने जादू-टोना को शैतान और भूतों से जोड़ा। यह माना गया कि "विच" (Witch) शैतान के कहने पर काम करती हैं। उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने वाला नहीं समझा गया।
  • विच और शैतान का संबंध: ईसाई मान्यताओं में "विच" को शैतान के साथ यौन संबंध में शामिल माना गया। ऐसा कहा गया कि वे झाडू पर उड़कर शैतान से मिलने जाती थीं। इन यात्राओं को "सब्बात" कहा गया, जैसे ईसाई धर्म में प्रार्थना के लिए "मास" होता है।
  • प्रोटेस्टेंट्स और कैथोलिक्स का दृष्टिकोण: प्रोटेस्टेंट्स और कैथोलिक्स दोनों जादू-टोना को सही मानते थे। "द हैमर ऑफ विचेस" नाम की पुस्तक का इस्तेमाल इसे प्रचारित करने के लिए किया गया। इन गुटों ने इसे ईसाई धर्म का हिस्सा मानकर इसका उपयोग किया।
  • अभिजात्य वर्ग का दृष्टिकोण: धार्मिक दृष्टिकोण से अलग, अमीर वर्ग ने जादू-टोना को अंधविश्वास और यौनता का हिस्सा माना। इतिहासकारों ने इसे समाज पर दबाव डालने और नियम लागू करने का तरीका कहा।
  • महिलाओं पर प्रभाव: महिलाओं को जादू-टोना की कहानियों और लोककथाओं से जोड़ा गया। इसके कारण समाज में महिलाओं पर जादू-टोना का आरोप लगाया जाने लगा। वे शक का मुख्य केंद्र बन गईं।


 जादू-टोना (Witch Craft) संज्ञान में रहने के कारण और परिस्थितियाँ 

  • पुनर्निर्माण और राजनीतिक प्रभाव: रिफॉर्मेशन ने शासकों को प्रजा के कल्याण का दायित्व निभाने पर मजबूर किया। विच को राज्य, समाज, चर्च और भगवान का शत्रु माना गया, जिससे धार्मिक युद्ध और विच मुकदमों में वृद्धि हुई।
  • कानूनी प्रणाली में बदलाव: आरोपात्मक कानूनी प्रणाली से अन्वेषणात्मक प्रणाली में बदलाव हुआ। अब मुकदमे का बोझ कानूनी अधिकारियों पर था, जिससे डायन (विच) मुकदमों की संख्या तेजी से बढ़ गई।
  • प्रताड़ना और आरोपियों की स्वीकृति: अन्वेषणात्मक प्रणाली में अपराधियों की स्वीकारोक्ति पर मुकदमे आधारित थे। प्रताड़ना के माध्यम से अन्य आरोपियों के नाम उजागर किए जाते थे, जिससे निर्दोष लोग भी शिकार बने।
  • धर्मनिरपेक्ष अदालतों की भूमिका: डायन (विच) मुकदमों को धर्मन्यायालयों से धर्मनिरपेक्ष अदालतों में स्थानांतरित किया गया। धर्मनिरपेक्ष अदालतें अधिक कठोर थीं, जिससे सजा और कठोर हो गई।


 आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव 

1. आर्थिक कठिनाई और सामाजिक अशांति

  • सोलहवीं सदी में यूरोप में आर्थिक कठिनाई और सामाजिक अशांति बढ़ी। फसलों की चोरी और कटाई की समस्याओं ने मुद्रास्फीति बढ़ाई। इन स्थितियों ने विच (Witch) मुकदमों की संख्या में वृद्धि की।

2. समाज और अर्थव्यवस्था में बदलाव

  • आर्थिक परिवर्तन: कृषि का वाणिज्यीकरण और इनक्लोजर्स मूवमेंट ने गाँवों की संरचना को बदला।
  • शहरीकरण: नौकरी की तलाश में लोग शहरों की ओर बढ़े, जिससे भटकने वालों और बेरोजगारों की संख्या बढ़ी।
  • सामाजिक प्रभाव: लोग दूसरों पर अपने दुर्भाग्य का दोष लगाने लगे।
  • ह्यू ट्रेवर-रोपर का दृष्टिकोण: जादू-टोना के आरोप इसी सामाजिक बदलाव का हिस्सा थे।

3. जनसंख्या में बदलाव

  • जनसंख्या में बदलाव के परिणामस्वरूप विवाह की आयु में वृद्धि हुई और अविवाहित पुरुषों व महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई। धार्मिक युद्धों ने लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित किया, जिससे समाज में अस्थिरता उत्पन्न हुई। इस दौर में अविवाहित महिलाओं को अक्सर संदेह और सामाजिक अस्मिता का शिकार बनाया गया, जिससे उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

4. नारीवादी दृष्टिकोण

  • मेरी डेली का विचार: जादू-टोना के आरोप महिलाओं पर लगाए गए जो पुरुष सत्ता का सामना कर रही थीं।
  • बार्बारा एहरनराइच और डीड्री इंग्लिश का विचार: पुरुष चिकित्सकों ने महिला चिकित्सकों के ज्ञान को दबाने का प्रयास किया।
  • मरियान हेस्टर का दृष्टिकोण: जादू-टोना में पुरुष-महिला संबंध और यौन हिंसा की स्थायित्व का कारण देखा गया।
  • कैरोल कार्लसेन का आर्थिक पहलू: जादू-टोना के लिए आरोपित महिलाओं का आर्थिक दृष्टिकोण से अध्ययन।

5. नशे और जादू-टोना का संबंध

  • कुछ विद्वानों का मानना है कि विच (Witch) नशे का उपयोग करती थीं, जिससे हेलोजिनेशन (भ्रम) होता था। हालांकि, यह दृष्टिकोण सीमित है क्योंकि नशे का उपयोग खुद पर नहीं बल्कि दूसरों पर किया जाता था।


 जादूगरी की अवधारणा का विकास 

  • ईसाई परंपरा: ईसाई धर्म ने जादू-टोना को शैतान से जोड़ा और महिलाओं को लैंगिक विचलन और शैतानी प्रभाव का स्रोत माना। मध्यकालीन चर्च ने ब्रह्मचर्य को आदर्श मानते हुए महिलाओं की इच्छाओं को घृणित समझा। 'मैलियस मैलेफिकारम' में बताया गया कि महिलाएँ शैतान के प्रभाव में जादू-टोना करती थीं।
  • दार्शनिक परंपरा: अरस्तु और पुनर्जागरण काल के विचारकों ने महिलाओं को शारीरिक और नैतिक रूप से कमजोर मानते हुए शैतान के प्रति संवेदनशील बताया। 'मैलियस मैलेफिकारम' ने महिलाओं की असंतुष्टि और यौन इच्छाओं को जादू-टोना से जोड़ा।
  • लोक अवधारणा में परिवर्तन: लोक धारणा में विच को जादुई शक्ति और क्षति पहुँचाने की क्षमता से जोड़ा गया। पैम्फ्लेट्स और लोक कथाओं ने इसे धीरे-धीरे समाज में फैलाया।


 रूढ़ अवधारणा 

  • विच का आचरण और स्वभाव: विच (Witch) का व्यवहार अनुशासनहीन और समाज विरोधी माना गया। वे शैतान के साथ यौन संबंध, प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ काम, और सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने वाली मानी जाती थीं। उनका स्वभाव आक्रमक और यौन इच्छाओं से भरा हुआ था।
  • शैतान के साथ संबंध: विच शैतान के साथ अधीनस्थ रूप में थीं, जो पुरुष प्रधानता को दर्शाता था। पैरासेल्सस ने उन्हें एकाकी और मनुष्यों से दूर रहने वाली महिलाओं के रूप में वर्णित किया।
  • विच ट्रायल्स: विच ट्रायल्स केवल महिलाओं के खिलाफ नहीं थे, बल्कि उन महिलाओं के खिलाफ थे जो पारंपरिक अच्छाई की धारणा से मेल नहीं खाती थीं। 'अच्छी' महिलाओं ने भी इन्हें अवहेलनकारी मानकर ट्रायल्स में साथ दिया।


 विच (Witch) ट्रायल्स और विच (Witch) हंट्स 

  • विच ट्रायल्स की विविधता: विच ट्रायल्स समय और स्थान के अनुसार भिन्न थे। कुछ छोटे पैमाने पर हुए, जबकि अन्य बड़े समूहों पर आधारित थे, जो सामूहिक उत्तेजना का कारण बने।
  • आरोप और सामाजिक स्थिति: आरोप मैलेफेसिया (हानिकारक जादू) से जुड़े थे। आरोपी अक्सर बूढ़ी, गरीब, विधवा, या समाज के निचले वर्ग से होती थीं। कई बार आरोप शत्रु पड़ोसियों पर लगाए जाते थे।
  • संबंधित घटनाएँ: ट्रायल्स में वर्तमान आरोपों के साथ पहले की घटनाओं और विवादों को भी जोड़ा जाता था, जिससे ट्रायल्स और जटिल हो जाते थे।


 क्षेत्रीय विविधताएँ 

  • दक्षिणी यूरोप (इटली और स्पेन): रोमन इंक्विजीशन्स ने जादू और विच ट्रायल्स को अलग-अलग देखा। शैतान की पूजा के सबूत न मिलने पर मामले खारिज कर दिए जाते थे। 1596-1670 के बीच इटली में किसी को फांसी नहीं दी गई, जबकि स्पेन में 1550-1700 के बीच 4000 मामलों में केवल एक दर्जन को फांसी दी गई।
  • इंग्लैंड और स्कैंडिनेविया: इन क्षेत्रों में अधिकांश मामले खारिज कर दिए गए या हल्की सजा दी गई। जादू को ईसाई धर्म के खिलाफ साजिश नहीं माना गया, जिससे कठोर दंड कम हुए।
  • महाद्वीपीय यूरोप (स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, फ्रांस): महाद्वीपीय यूरोप में बड़े ट्रायल्स और मास पैनिक्स देखे गए। राजनीतिक अस्थिरता के कारण स्विट्ज़रलैंड और होली रोमन इम्पायर जैसे क्षेत्रों में व्यापक फांसी दी गई, जैसे Ellwangen (1611-1618) में 400 फांसियाँ।
  • छोटे और बड़े ट्रायल्स का अंतर: छोटे ट्रायल्स व्यक्तिगत क्षति पर केंद्रित थे, जबकि बड़े ट्रायल्स में अकाल या महामारी फैलाने के आरोप थे। पुरुषों को हल्की सजा मिलती थी, और उन्हें फांसी देने की संभावना कम थी।


 विच (Witch) ट्रायल का पतन 

  • धीरे-धीरे गिरावट: विच ट्रायल्स अचानक खत्म नहीं हुए। कानूनी और सामुदायिक स्तर पर विच के अस्तित्व और प्रसार पर विश्वास धीरे-धीरे कम हुआ।
  • ज्ञानोदय और तार्किकता: ज्ञानोदय और वैज्ञानिक चिंतन ने लोगों को विच के अस्तित्व पर संदेह करने पर मजबूर किया। यातना के जरिए स्वीकारोक्ति लेने का विरोध हुआ और ट्रायल्स के खिलाफ कानून बनाए गए।
  • धार्मिक और सेक्युलर न्याय का विभाजन: विच के मामलों को धार्मिक न्यायाधीशों का विषय माना गया, जिससे धर्मनिरपेक्ष न्यायालयों में ट्रायल्स कम हो गए।
  • उच्च और लोक स्तर का अंतर: उच्च वर्ग ने विच को अंधविश्वास मान लिया, जबकि लोक स्तर पर इसका विश्वास कुछ हद तक जारी रहा।



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