प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 2 CHAPTER 6 SEMESTER 4 THEORY NOTES महिला और नव सामाजिक परिवेश History DU.SOL.DU NEP COURSES

प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में सांस्कृतिक परिवर्तन-II UNIT 2 CHAPTER 6 THEORY NOTES महिला और नव सामाजिक परिवेश History DU.SOL.DU NEP COURSES


परिचय

प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में महिलाओं की भूमिका पर 1960 के दशक के बाद गहन विमर्श शुरू हुआ, जिसमें जोन केली, मेरी विस्नर हैंक्स, और अन्य इतिहासकारों ने महिलाओं की स्थिति और बदलती भूमिकाओं का विश्लेषण किया। पुनर्जागरण, सुधार, और ज्ञानोदय ने महिलाओं को शिक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र में अवसर प्रदान किए। हालाँकि, जोन केली के अनुसार, मध्ययुगीन काल की तुलना में इस युग का समाज अधिक पितृसत्तात्मक और नियंत्रित था, जहाँ महिलाओं की स्वतंत्रता सीमित थी। फिर भी, कुछ महिलाओं ने इन बाधाओं को चुनौती दी।

 आरंभिक आधुनिक यूरोप में जेंडर 

प्रारंभिक आधुनिक यूरोप में जेंडर की परिभाषा सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक प्रथाओं से गहराई से जुड़ी थी। लिंग भूमिकाएँ सख्ती से तय थीं, और पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग अपेक्षाएँ थीं।

  • दोहरी लैंगिक भूमिकाएँ: पुरुषत्व को शक्ति, तर्क, और अधिकार से जोड़ा गया था, जबकि स्त्रीत्व को कोमलता, घरेलूपन, और भावनात्मकता से।
  • पितृसत्ता: पुरुषों ने सार्वजनिक और निजी जीवन में प्राधिकार रखा, जिसे कानूनी, धार्मिक, और सांस्कृतिक परंपराओं ने मजबूत किया।
  • विवाह और परिवार: विवाह महिलाओं के लिए सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का माध्यम था। उनसे घरेलू जिम्मेदारियों और पतियों के समर्थन की अपेक्षा की जाती थी।
  • धार्मिक प्रभाव: ईसाई शिक्षाओं ने महिलाओं की अधीनता और पुरुषों की प्रभुता को प्रोत्साहित किया। धार्मिक संस्थानों में नेतृत्व के अवसर मुख्यतः पुरुषों तक सीमित थे।
  • काम और आर्थिक भूमिकाएँ: महिलाएँ कृषि, वस्त्र उत्पादन, और घरेलू सेवा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं, लेकिन उनके योगदान का कम आकलन किया जाता था।
  • शिक्षा और बौद्धिक जीवन: शिक्षा तक महिलाओं की पहुँच सीमित थी। लड़कियों को गृहस्थ कौशल सिखाए जाते थे, लेकिन कुछ महिलाएँ सैलून्स और संवाद नेटवर्क से जुड़कर बौद्धिक गतिविधियों में हिस्सा लेती थीं।
  • लैंगिकता और कानून: कानूनी ढांचे पुरुषों के पक्ष में थे। महिलाओं के पास सीमित कानूनी अधिकार थे और वे पुरुषों पर निर्भर रहती थीं।


 सार्वजनिक क्षेत्र 

सार्वजनिक क्षेत्र वह सामाजिक स्थान है, जहाँ लोग मिलकर संवाद, विचार-विमर्श और बहस करते हैं। इसमें समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, किताबें, कॉफीहाउस, अकादमियाँ और सैलून जैसे माध्यम शामिल होते हैं।

1. 17वीं शताब्दी में यूरोप में उद्भव

  • सार्वजनिक क्षेत्र का विकास यूरोप में 17वीं शताब्दी से हुआ, जब चर्च और न्यायालय जैसे सत्ता के संस्थानों से स्वतंत्र होकर एक नया सामाजिक स्थान उभरा।

2. संरचनात्मक परिवर्तन

  • सार्वजनिक क्षेत्र में बदलाव राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों का परिणाम था।
  • साक्षरता और शिक्षा का प्रसार
  • आलोचनात्मक सोच का उदय
  • राजनीतिक विचारों और संवैधानिक लोकतंत्र का विकास
  • आर्थिक और सामाजिक प्रगति


 सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाएँ 

यूरोप में राजनीति पुरुष केंद्रित थी, लेकिन कुछ महिला शासक अभिजात वर्ग का हिस्सा थीं। 17वीं सदी से पहले राजनीतिक सिद्धांत महिलाओं के शासन को अस्वीकार करते थे। जीन बोडिन और रॉबर्ट फिल्मर जैसे विचारकों ने इसे "गैरकानूनी, अप्राकृतिक और अनैतिक" कहा।

  • महिला शासकों का विरोध: बोडिन ने महिलाओं को स्वाभाविक रूप से पुरुषों से हीन बताया, जबकि फिल्मर ने शासन को "एडम की पितृसत्तात्मक शक्ति" का परिणाम माना।
  • बदलाव की शुरुआत: 17वीं सदी के बाद, धीरे-धीरे महिलाओं को राजनीति का भाग मानने का विचार उभरने लगा। कुछ महिला शासकों को "मानद पुरुष" माना गया, जैसे इंग्लैंड की एलिजाबेथ प्रथम, जिनके मर्दाना गुणों की प्रशंसा की गई।

    

 दार्शनिक दृष्टिकोण और महिलाओं की भूमिका 

हॉब्स और लॉक का दृष्टिकोण

हॉब्स और लॉक ने महिलाओं को पुरुषों से कमतर माना, लेकिन उनके शासन और राजनीति में भागीदारी के समर्थक थे। लॉक ने विशेष रूप से पारिवारिक और सार्वजनिक भूमिकाओं में महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा देने का समर्थन किया।

1. फ्रांसीसी दार्शनिकों का दृष्टिकोण

  • वोल्टेयर और मोंटेस्क्यू: उन्होंने महिलाओं को पुरुषों से "हीन" माना, परंतु उन्हें प्रभावशाली शासक और प्रबुद्ध नेता के रूप में स्वीकार किया।
  • मार्विवस डी कॉन्डोर्सेट: महिलाओं के समान अधिकार और अवसरों की वकालत की। उनका मानना था कि शिक्षा और प्रशिक्षण के अभाव के कारण महिलाएँ अपनी बौद्धिक क्षमता विकसित नहीं कर सकीं।
  • रूसो और मैरी वोल्स्टनक्राफ्ट का विरोधाभास: रूसो ने महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित माना, जबकि वोल्स्टनक्राफ्ट ने महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र और कार्यालयों में सक्षम माना।

2. महिला शासकों का योगदान

  • प्रभावशाली महिला शासक: मैरी डे मेडिसी, ऑस्ट्रिया की ऐनी, स्वीडन की रानी क्रिस्टीना, इंग्लैंड की रानी ऐनी, ऑस्ट्रिया की मारिया थेरेसा, और रूस की महारानी कैथरीन। इन शासकों ने राजनीति और समाज में प्रभावशाली भूमिका निभाई, महिलाओं की क्षमताओं का प्रमाण प्रस्तुत किया।

3. विरोधाभास और सीमाएँ

प्रबुद्धता ने महिलाओं को समान अधिकारों की प्रेरणा दी, लेकिन उनकी सार्वजनिक भूमिका सीमित रही, जो लैंगिक असमानता को उजागर करती है।

  • सक्रिय भागीदारी: महिलाओं ने सैलून, शिक्षा और ज्ञानोदय संस्थानों में बौद्धिक और राजनीतिक चर्चाओं में सक्रिय भाग लिया, जिससे उनकी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ा।
  • अग्रणी विचारक और लेखिकाएँ: मैरी वॉल्स्टनक्राफ्ट, ओलम्पे डी गॉजेस, और एमिली डू चैटलेट ने समानता और अधिकारों पर लेखन के माध्यम से योगदान दिया।
  • वैज्ञानिक और कलाकार: मैरी कैवेंडिश और लॉरा बस्सी जैसी वैज्ञानिकों और आर्टेमिसिया जेंटिल्स्की, मैडम ले ब्रून जैसी कलाकारों ने विज्ञान और कला में अपनी पहचान बनाई।


 महिलाएँ और फ्रेंच सैलून 

  • सैलून की भूमिका: 17वीं और 18वीं सदी में फ्रांस में सैलून ज्ञानोदय का प्रमुख केंद्र थे, जहाँ विभिन्न विषयों पर चर्चाएँ होती थीं। इन सैलूनों को "ज्ञानोदय का इंजन" कहा गया और ये संभ्रांत महिलाओं के नेतृत्व में संचालित होते थे।
  • सैलून की संरचना और महत्व: सैलून संभ्रांत महिलाओं द्वारा आयोजित किए जाते थे, जो एजेंडा तय करतीं, प्रमुख दार्शनिकों और कलाकारों को आमंत्रित करतीं, और नई प्रतिभाओं की खोज करतीं। ये सैलून शिक्षा, मनोरंजन और जनमत निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण थे।
  • सीमाएँ और आलोचनाएँ: सैलून अभिजात्यवादी थे, जहाँ पहुँच सीमित थी और कट्टरपंथी विचारों को प्रोत्साहन नहीं मिलता था। 18वीं सदी के अंत तक, इन्हें तुच्छ और पुराना समझा जाने लगा, और फ्रांसीसी क्रांति के दौरान उपहास का शिकार होना पड़ा।
  • महत्त्व: सैलून ने स्वतंत्रता, समतावाद, और सहिष्णुता जैसे विचारों को लोकप्रिय बनाया, जिससे फ्रांस और यूरोप में जनमत और बौद्धिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया।


 प्रारंभिक आधुनिक यूरोप की प्रमुख महिला हस्तियाँ 

  • रानी एलिजाबेथ प्रथम (1533-1603): इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने अपने बुद्धिमान शासन से देश को स्थिरता प्रदान की। उन्होंने कला और साहित्य को प्रोत्साहन दिया और शेक्सपियर जैसे महान लेखकों का समर्थन किया। उन्होंने महिला नेतृत्व की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती दी और इंग्लैंड को राजनीतिक और आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर किया।
  • कैथरीन डी मेडिसी (1519-1589): फ्रांस की रानी कैथरीन डी मेडिसी ने राजनीतिक कूटनीति में निपुणता दिखाई। उन्होंने धार्मिक युद्धों के दौरान मध्यस्थता करते हुए देश को स्थिर रखने का प्रयास किया। उनके संरक्षण ने फ्रेंच रेनैसांस कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया।
  • आर्टेमिसिया जेंटिलेस्की (1593-1656): प्रसिद्ध इतालवी बारोक चित्रकार, जेंटिलेस्की ने अपनी कला के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। उन्होंने धार्मिक और पौराणिक कथाओं में शक्तिशाली महिला नायिकाओं का चित्रण किया और कला में पारंपरिक लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दी।
  • मेरी वॉलस्टोनक्राफ्ट (1759-1797): "ए विन्डिकेशन ऑफ द राइट्स ऑफ वूमन" की लेखिका वॉलस्टोनक्राफ्ट ने महिलाओं के समान अधिकारों और शिक्षा के लिए वकालत की। उन्होंने विवाह और लिंग असमानता की आलोचना करते हुए महिलाओं के लिए स्वतंत्रता और स्वायत्तता का समर्थन किया।
  • मारिया सिबिला मेरियन (1647-1717): प्रसिद्ध वैज्ञानिक चित्रकार और प्राकृतिकविद, मेरियन ने कीट विज्ञान और वनस्पति विज्ञान में योगदान दिया। उन्होंने कीटों के जीवन चक्र और पारिस्थितिकी का गहन अध्ययन किया और अपने चित्रों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को समृद्ध किया।




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