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मध्ययुगीन समाज : वैश्विक परिप्रेक्ष्य UNIT 3 CHAPTER 6 SEMESTER 2 THEORY NOTES कृषि, व्यापार, तकनीकी और सांस्कृतिक विकास HISTORY DU. SOL.DU NEP COURSES

कृषि, व्यापार, तकनीकी और सांस्कृतिक विकास

परिचय

मध्यकालीन चीन की सांस्कृतिक उपलब्धियों में  कृषि, व्यापार, और तकनीकी नवाचारों ने चीनी सभ्यता के लंबे अस्तित्व को संभव बनाया। वंश परिवर्तन के बावजूद सामाजिक बदलाव धीरे-धीरे हुए। प्रौद्योगिकियाँ समाजों के बीच अंतःक्रिया से फैलती और सुधारती हैं, और चीनी सभ्यता इसका बेहतरीन उदाहरण है।

 तांग राजवंश में कृषि का महत्व 

  • सिंचाई और अन्न भंडार: तांग राजवंश ने सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया और अकाल के समय भोजन वितरण के लिए सार्वजनिक अन्न भंडार बनाए।
  • किसानों का कठिन जीवन: किसान मुख्य करदाता और श्रमदाता थे, जिन्हें भारी करों और श्रम सेवाओं का सामना करना पड़ता था।
  • भूमि पुनर्वितरण: सम्राट के पास भूमि पुनर्वितरण का अधिकार था, जो धनी परिवारों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होता था।
  • कृषि-समर्थक नीतियां: किसानों को प्राथमिकता दी गई क्योंकि वे कर और श्रम का प्रमुख स्रोत थे।
  • सिंचाई और नहरें: सिंचाई और नहर परियोजनाओं ने खेती और पैदावार को बढ़ावा दिया। पीली नदी पर बने बाँधों ने बाढ़ और मिट्टी की उर्वरता को नियंत्रित किया।


 व्यापार में वृद्धि और शहरीकरण 

  • शहरीकरण का विस्तार: कृषि में अधिशेष उत्पादन, बढ़ती माँग, और बाजार अर्थव्यवस्था ने शहरी केंद्रों के विकास को बढ़ावा दिया, जहाँ माध्यमिक उत्पादन में बड़ी संख्या में लोग कार्यरत थे।
  • व्यापारिक नेटवर्क: तांग युग में चीनी व्यापारियों के व्यापक व्यापार नेटवर्क ने उन्हें यूरोपीय व्यापारियों के समकक्ष बना दिया।
  • विदेशी और समुद्री व्यापार: सियान (चंगान) ट्रांस-एशियाटिक कारवाँ मार्गों के पूर्वी छोर पर स्थित था, जबकि कैटन जैसे बंदरगाह समुद्री व्यापार के केंद्र बने।
  • चीन के निर्यात: रेशम, मसाले, और चीनी मिट्टी के बर्तन जैसे उत्पाद निर्यात किए जाते थे, जो वैश्विक व्यापारियों को आकर्षित करते थे।


 तकनीकी और सांस्कृतिक परिवर्तन 

सांस्कृतिक प्रभाव: पश्चिम से विचार और फसलें, जैसे अंगूर और अल्फाल्फा, चीन पहुँचीं। ज्योतिषीय अवधारणाएँ और सात-दिनीय सप्ताह का विचार भी लोकप्रिय हुआ।

1.तकनीकी उत्कृष्टता

  • कोयला, चीनी मिट्टी के बरतन, और लोहे के गलाने में उन्नति हुई।
  • 28 ईसा पूर्व सनस्पॉट देखे गए और 132 ई. तक प्रोटो सिस्मोग्राफ बनाया गया।
  • 500 ई. तक चुंबकीय कंपास और पटाखों में बारूद का उपयोग हुआ।

2.कागज और छपाई

  • दूसरी शताब्दी में कागज का आविष्कार हुआ।
  • दसवीं शताब्दी तक छपाई की विधि चीन, कोरिया और जापान में प्रचलित हो गई।

3.जलमार्ग और कृषि

  • झेंग गुओ नहर ने बाढ़ प्रबंधन और कृषि को बढ़ावा दिया।
  • सैन्य उद्देश्यों से बनाई गई यांग्जी-हुई नदी नहर ने कृषि समृद्धि में योगदान दिया।

4. समृद्धि के स्रोत

  • तकनीकी नवाचारों ने कृषि, जल प्रबंधन और सैन्य रणनीतियों में सुधार किया।
  • "शिजी" और अन्य ग्रंथों से चीन की तकनीकी प्रगति का वर्णन मिलता है।


 सांस्कृतिक उत्कर्ष (अवधि) 

  • बौद्ध धर्म का विस्तार: इस काल में बौद्ध धर्म चीन में व्यापक रूप से फैल गया। महायान दर्शन ने व्यक्तिगत उद्धार और शांति पर जोर दिया। रहस्यवाद, आत्माओं का स्थानांतरण, और तपस्या जैसी नई अवधारणाएँ चीनी परंपराओं में जोड़ी गईं। इसने गैर-अभिजात वर्ग को आकर्षित किया और कर्म के सिद्धांत पर बल दिया, जो कन्फ्यूशियस विचारों से भिन्न था।
  • बौद्ध धर्म और विदेशी संपर्क: बौद्ध धर्म के प्रसार ने विद्वता को बढ़ावा दिया। चीनी विद्वानों ने भारत यात्रा कर धर्मग्रंथों का अध्ययन किया और उन्हें चीन लाए। हालांकि, यह ईसाई धर्म जैसी शक्ति और एकजुटता नहीं प्राप्त कर सका।
  • तांग राजवंश और बौद्ध धर्म: तांग काल में बौद्ध धर्म ने चरम विकास किया। महायान स्कूल और "शुद्ध भूमि" जैसे विचार चीन में उभरे। यह समाज और राज्य की समस्याओं को हल करने में सहायक रहा, हालांकि कुछ शासकों ने इसे दबाने का प्रयास भी किया।
  • ताओवाद का उदय: ताओवाद ने व्यक्तिगत खुशी और दान पर बल दिया। यह कर्म की अवधारणा को अपनाते हुए 'ताओ' के मार्ग पर केंद्रित रहा। ताओवाद और बौद्ध धर्म के बीच प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, दोनों को शाही और जन समर्थन मिला।
  • कन्फ्यूशीवाद का पुनरुद्धार: तांग काल के उत्तरार्ध में कन्फ्यूशीवाद का पुनर्जागरण हुआ। यह नैतिकता और शिष्टाचार का आधार बना। विद्वानों और अधिकारियों की भर्ती में इसका उपयोग हुआ। कन्फ्यूशियस को सम्मानित किया गया, लेकिन देवता नहीं माना गया।
  • तीनों विश्वास प्रणालियों का सम्मिलन: चीनी समाज में ताओवाद, बौद्ध धर्म, और कन्फ्यूशीवाद का संयोजन देखा गया। ये तीनों एक सामंजस्यपूर्ण धार्मिक दृष्टिकोण में मिलकर चीनी संस्कृति का हिस्सा बन गए।


 कला, मूर्तिकला और अन्य विकास 

  • मूर्तिकला और कला में प्रगति: हान काल से चीनी मूर्तिकला में यथार्थवाद का प्रभाव देखा गया। मकबरों में पत्थर और काँसे की मूर्तियाँ, टेराकोटा मॉडल, और उत्कीर्णन कला और धार्मिक विश्वासों को दर्शाते थे। छठी और सातवीं शताब्दी में भारतीय, फारसी, और यूनानी शैलियों का मिश्रण दिखाई दिया।
  • बौद्ध धर्म का प्रभाव: बौद्ध धर्म ने कला और संगीत को नया रूप दिया। बौद्ध भिक्षुओं ने नए वाद्ययंत्र विकसित किए और विदेशी कलात्मक रूपांकनों को अपनाया। उत्तर-पश्चिम चीन की गुफा-चित्र, जैसे पवित्र गुफाएँ, बौद्ध प्रभाव का उदाहरण हैं।
  • चीनी चित्रकला और साहित्य: तांग काल में चित्रकला और साहित्य का स्वर्ण युग था। रेशम के स्क्रॉल पर चित्रांकन और सुलेख का संयोजन अनोखा था। कविताएँ सामाजिक मुद्दों, युद्ध, और करुणा पर केंद्रित थीं।
  • सांग काल के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: सांग युग में कृषि सुधार, वाणिज्यिक विस्तार, और शहरीकरण हुआ। सिंचाई, फसल रोटेशन, और विदेशी व्यापार में वृद्धि के साथ ग्रैंड कैनाल ने नेविगेशन को आसान बनाया।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति: सांग काल में गणित, खगोल विज्ञान, और चिकित्सा में प्रगति हुई। बारूद का उपयोग, चीनी मिट्टी का उत्पादन, और कताई मशीन का आविष्कार हुआ, जो चीन को औद्योगिक क्रांति के करीब ले गया।
  • मिंग काल की वास्तुकला और सांस्कृतिक पुनरुत्थान: मिंग राजवंश ने महान दीवार, पगोडा शैली के मंदिर, और विस्तृत उद्यानों जैसी स्मारकीय वास्तुकला पर ध्यान दिया। हालांकि, सांस्कृतिक पुनरुत्थान के बावजूद गिरावट के संकेत मिलने लगे।
  • चीन का सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव: मध्य एशिया और अरब व्यापारियों से संबंधों ने व्यापार को बढ़ावा दिया। सांग और मिंग काल में विकास धीमा हुआ, लेकिन चीन की सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति ने विश्व इतिहास में गहरा प्रभाव छोड़ा।


 चीन में सामंती विकास का परिचय 

चीन में सामंतवाद अन्य क्षेत्रों की तुलना में अलग था। पश्चिमी झोउ सामंतवाद वंशावली आधारित था, जबकि यूरोपीय सामंतवाद अनुबंध आधारित था। चीनी सामंती विकास का चरण चिंग राजवंश (221-206 ईसा पूर्व) से किंग राजवंश (1644-1911 ई.) तक माना जाता है।

  • फेंगज्जन प्रणाली और केंद्रीकरण: फेंगज्जन प्रणाली में सम्राट जागीरदारों को भूमि और अधिकार देते थे। यह व्यवस्था शांग और झोउ राजवंशों में प्रचलित थी। हालांकि, किन राजवंश ने इसे समाप्त कर काउंटियों और प्रान्तों की केंद्रीकृत प्रणाली अपनाई। हान राजवंश के समय, जागीरदारों की शक्ति सीमित कर दी गई।
  • सामंतवाद और बौद्धिक विकास: सामंती व्यवस्था ने बौद्धिक विविधता और स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया। कन्फ्यूशियस और अन्य दार्शनिक सामंती संरचना के कारण अपने विचारों को फैलाने में सक्षम थे। विकेंद्रीकरण ने नई विचारधाराओं और दार्शनिक विद्यालयों को विकसित होने का मौका दिया।
  • केंद्रीकरण और उसकी सीमाएँ: किन और हान काल में केंद्रीकृत शासन ने बौद्धिक स्वतंत्रता को सीमित कर दिया। मिंग और किंग काल में भी विचारों पर नियंत्रण रखा गया। हालांकि, केंद्रीकरण ने सांस्कृतिक एकीकरण, तर्कवाद और स्थिरता को बढ़ावा दिया।
  • सामंतवाद और सामाजिक प्रगति: सामंतवाद ने समाज और संस्कृति को विविधता और विकास का अवसर दिया। विकेंद्रीकरण ने व्यक्तिगत और क्षेत्रीय स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया। इसके विपरीत, केंद्रीकृत शासनों ने सामाजिक प्रगति को धीमा कर दिया।
  • चीन और पश्चिमी यूरोप का तुलनात्मक अध्ययन: चीन का सामंती विकास पश्चिमी यूरोप से अलग था। जबकि यूरोप में सामंतवाद ने पूँजीवाद और औद्योगिक क्रांति की ओर मार्ग प्रशस्त किया, चीन का केंद्रीकृत सामंती ढाँचा इस प्रगति में बाधक बना।





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