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मध्ययुगीन समाज : वैश्विक परिप्रेक्ष्य UNIT 3 CHAPTER 5 SEMESTER 2 THEORY NOTES वंशवादी परिवर्तन, कन्फ्यूशीवाद और बदलती राज्य विचारधारा HISTORY DU. SOL.DU NEP COURSES

मध्ययुगीन समाज : वैश्विक परिप्रेक्ष्य UNIT 3 CHAPTER 5 SEMESTER 2 THEORY NOTES वंशवादी परिवर्तन, कन्फ्यूशीवाद और बदलती राज्य विचारधारा HISTORY DU. SOL.DU NEP COURSES


परिचय

चीनी सभ्यता, जिसे अक्सर सुदूर पूर्वी सभ्यता कहा जाता है, यूरोप-केंद्रित इतिहास लेखन का परिणाम है। यह अन्य सभ्यताओं की तुलना में देर से परिपक्व हुई लेकिन अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में बेजोड़ रही। कई राजनीतिक उथल-पुथल और आक्रमणों के बावजूद, चीनी सभ्यता में निरंतरता और स्थायित्व देखा गया। साथ ही, यह समाज दुनिया से कभी अलग नहीं रहा और विदेशी संपर्क बनाए रखा।

 वंशवादी परिवर्तन 

चीन में हान राजवंश के पतन (220 ई.) के बाद लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता और अशांति रही। यह स्थिति रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पश्चिमी यूरोप की राजनीतिक अव्यवस्था से मिलती-जुलती थी। पश्चिमी यूरोप में कमजोर केंद्र सरकार और बर्बर आक्रमणों के बीच ईसाई धर्म ने जड़ें जमाईं, जबकि चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। हालांकि, चीन का सांस्कृतिक जीवन पश्चिमी यूरोप की तुलना में स्थिर रहा।

  • हान राजवंश के बाद का युग: हान राजवंश के पतन (220 ईस्वी) के बाद राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति का दौर शुरू हुआ। इस समय बौद्ध धर्म का विकास हुआ, और ग्रामीण समाज में किसानों का ज़मीन से जुड़ाव बढ़ा। उत्तरी चीन पर खानाबदोश समूहों, जैसे हुन और तुर्कों का प्रभाव रहा, जिन्होंने चीनी संस्कृति को आत्मसात किया।
  • तांग राजवंश (618-907 ई.): तांग राजवंश ने चीन में शक्ति और एकता को बहाल करते हुए सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। सामरिक विस्तार के तहत कोरिया, तिब्बत, और मध्य एशिया पर प्रभाव बढ़ाया। यह काल "चीनी ड्रैगन का उत्थान" के नाम से प्रसिद्ध है। हालांकि, सातवीं शताब्दी में इस्लाम के उदय से मध्य एशिया में तांग का प्रभाव कमजोर पड़ गया।
  • सांग राजवंश (960-1279 ई.): सांग राजवंश ने केंद्रीकृत नौकरशाही को पुनर्जीवित कर संगठन और प्रशासन को मजबूत किया। हालांकि, उत्तरी क्षेत्रों में खानाबदोश जनजातियों का प्रभाव बढ़ता रहा। इस काल में बौद्ध धर्म और कन्फ्यूशीवाद का प्रसार हुआ, और दक्षिणी क्षेत्रों में चीनी संस्कृति का व्यापक विस्तार देखा गया।
  • मंगोल (युआन) राजवंश (1279-1368 ई.): मंगोल (युआन)राजवंश ने चीन पर पहला विदेशी शासन स्थापित किया। मंगोल शासन ने चीन को मध्य एशिया और यूरोप से जोड़ा, जिससे संपर्क और व्यापार बढ़ा। कठोर नियम लागू करने के बावजूद, मंगोल चीनी संस्कृति से प्रभावित हुए। ग्रामीण समाज पर भारी कर और मजदूरी का दबाव पड़ा, जिससे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा।
  • मिंग राजवंश (1368-1644 ई.): मिंग राजवंश ने मंगोलों को हराकर स्थानीय नेतृत्व स्थापित किया। सीमित वाणिज्य नीति के तहत विदेशी व्यापार को नियंत्रित किया गया। इस काल में सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ और नौवहन तथा भौगोलिक खोजों में प्रगति हुई। हालांकि, अलगाववादी नीतियों के कारण आर्थिक नुकसान और मुद्रास्फीति जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुईं।


 कन्फ्यूशीवाद 

कन्फ्यूशीवाद चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस (551-479 ईसा पूर्व) के विचारों पर आधारित एक महत्वपूर्ण दर्शन है, जिसने चीनी सभ्यता के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया।

1. कन्फ्यूशियस का जीवन

कन्फ्यूशियस, जिनका असली नाम कुंग फू-त्जु था, लू राज्य (आधुनिक शान्तुंग प्रांत) के निवासी थे। उनका परिवार गरीब अभिजात वर्ग से था, और उनके पिता एक सैनिक थे। उन्होंने शासकीय नौकरी छोड़कर शिक्षक बनने का निर्णय लिया और समाज व राज्य को सुधारने के लिए ज्ञान और नैतिकता पर बल दिया।

2. कन्फ्यूशियस के मुख्य सिद्धांत

  • ज्ञान का महत्व: कन्फ्यूशियस ने ज्ञान को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना। उनके अनुसार, ज्ञान से ही व्यक्ति अच्छे आचरण और सुखी जीवन की ओर अग्रसर हो सकता है।
  • अच्छा राज्य और समाज: कन्फ्यूशियस ने शासक को प्रजा के लिए नैतिक आचरण का उदाहरण बनाने पर जोर दिया। उन्होंने जनता और विद्वान अधिकारियों के सहयोग को राज्य की स्थिरता और प्रगति के लिए आवश्यक बताया।
  • पाँच संबंधों का महत्व: समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए पाँच संबंधों का विशेष महत्व बताया गया। ये संबंध शासक और प्रजा, पिता और पुत्र, बड़ा और छोटा भाई, पति और पत्नी, तथा मित्र और मित्र के बीच स्थापित होते हैं। इन संबंधों के माध्यम से सामाजिक संतुलन और व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।

3. कन्फ्यूशीवाद और अन्य दार्शनिक विचार

  • मेंसियस (मेंग-त्जु): मेंसियस (मेंग-त्जु) ने मानव स्वभाव को मूल रूप से अच्छा माना और यह विचार रखा कि मनुष्य नैतिक और परोपकारी होता है, लेकिन समाज और परिस्थितियाँ इसे प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने परोपकारी सरकार का समर्थन किया और जनता के कल्याण को शासन का मुख्य उद्देश्य बताया। मेंसियस ने यह भी सिद्धांत दिया कि यदि शासक भ्रष्ट हो जाए और प्रजा का ख्याल न रखे, तो जनता को उसे हटाने का अधिकार है, क्योंकि जनता को सत्ता का मुख्य स्रोत माना जाना चाहिए।
  • हसुन-त्जु: हसुन-त्जु ने मानव स्वभाव को बुराईपूर्ण माना, जिसे शिक्षा और अनुशासन के माध्यम से सुधारा जा सकता है। उन्होंने समाज की स्थिरता बनाए रखने के लिए कठोर नियमों और शासक के कड़े नियंत्रण को आवश्यक बताया।

4. कन्फ्यूशीवाद बनाम ताओवाद

  • शासन और समाज: ताओवाद ने कन्फ्यूशीवाद की आलोचना करते हुए सीमित शासन का समर्थन किया, जबकि कन्फ्यूशीवाद ने राज्य को मानव कल्याण का केंद्र माना।
  • प्रकृति और सामंजस्य: ताओवाद ने प्रकृति के साथ सामंजस्य और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी। इसके विपरीत, कन्फ्यूशीवाद ने सामाजिक संबंधों और नैतिक कर्तव्यों पर बल दिया।
  • प्राथमिकताएँ: कन्फ्यूशीवाद ने समाज और राज्य में सामंजस्य स्थापित करने पर जोर दिया, जबकि ताओवाद ने आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत संतोष को महत्व दिया।


 प्रशासनिक तंत्र 

  • तांग राजवंश का प्रशासनिक तंत्र: तांग राजवंश की केंद्रीकृत संरचना का केंद्र सम्राट था, जो हान परंपराओं पर आधारित थी। साम्राज्य को 15 प्रांतों में विभाजित किया गया, जिनमें प्रीफेक्चर और उप-प्रीफेक्चर शामिल थे। शाही सिविल सेवा प्रणाली में लिखित परीक्षाओं से नौकरशाहों का चयन होता था। सामाजिक संरचना में किसान स्वामित्व, किरायेदारी, और गुलामी शामिल थे, और अमीर वर्ग सम्राट के समर्थन पर निर्भर था।
  • तांग शासन और समाज: चीनी समाज को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया था: विद्वान, किसान, कारीगर, व्यापारी, और सैनिक। विद्वान उच्च स्थान पर थे, और श्रेणियाँ व्यक्तिगत प्रतिभा के आधार पर तय होती थीं। तांग सम्राटों ने सैन्य निरंकुशता से बचते हुए नागरिक और सैन्य शक्ति को अलग रखा।
  • मिंग राजवंश का प्रशासनिक तंत्र: मिंग सम्राटों ने कठोर परीक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया, लेकिन सफल उम्मीदवारों की संख्या उपलब्ध पदों से अधिक होने के कारण समस्याएँ उत्पन्न हुईं। इस प्रणाली में प्रशासनिक योग्यता के बजाय साहित्यिक ज्ञान और वैचारिक रूढ़िवादिता का परीक्षण किया जाता था। डिग्री आधारित चयन ने एक विद्वान-सज्जन वर्ग को जन्म दिया, जो स्वयं को श्रेष्ठ मानता था।
  • प्रशासनिक समस्याएँ: मिंग शासन में भ्रष्टाचार और आलस्य बढ़ गया, जहाँ दरबार के चहेते सत्ता पर हावी हो गए। भारी करों ने किसानों पर दबाव डाला, और बढ़ते सैन्य खर्च, विदेशी आक्रमण, तथा आंतरिक असंतोष ने प्रशासन को कमजोर कर दिया। इन समस्याओं ने प्रशासनिक ढाँचे को चरमराने पर मजबूर कर दिया।




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