यूरोप का इतिहास : 1789-1870 UNIT 4 CHAPTER 9 SEMESTER 5 THEORY NOTES राष्ट्र और राष्ट्रवाद : इटली का एकीकरण HISTORY DU. SOL.DU NEP COURSES
0Eklavya Snatakदिसंबर 18, 2024
परिचय
इटली का एकीकरण 19वीं शताब्दी के मध्य में हुई एक जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें रणनीतिक कूटनीति, सैन्य अभियानों और जनविद्रोहों की भूमिका रही। इसे रिसोर्गिमॅटो के नाम से भी जाना जाता है। प्रमुख नेताओं में काउंट कैवूर, ग्यूसेप गैरीबॉल्डी और राजा विक्टर इमैनुएल द्वितीय शामिल थे, जिन्होंने एकीकृत इटली के निर्माण में अहम योगदान दिया। 1848 की क्रांतियाँ, ऑस्ट्रो-सार्डिनियन युद्ध और पापल राज्यों का विलय जैसी घटनाओं ने इस प्रक्रिया को गति दी। अंततः 1861 में इटली साम्राज्य की स्थापना हुई, जिसने आधुनिक यूरोपीय राष्ट्रवाद को भी एक नई दिशा दी।
इतालवी एकीकरण की ऐतिहासिकता
मेटरनिख का "भौगोलिक अभिव्यक्ति" का वर्णन: मेटरनिख ने इटली को "भौगोलिक अभिव्यक्ति" कहा, क्योंकि वह केवल एक नक्शे पर दिखने वाला क्षेत्र था, जिसमें राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता नहीं थी। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इटली छोटे-छोटे राज्यों में बंटा रहा। उत्तरी इटली पर ऑस्ट्रिया का कब्जा था, दक्षिणी इटली नेपल्स और सिसिली बर्बोन राजवंश के अधीन था, जबकि मध्य इटली पोप के नियंत्रण में था।
राष्ट्रीय पहचान का अभाव और विभाजन: इटली में एकजुट राष्ट्रीय पहचान नहीं थी क्योंकि क्षेत्र अलग-अलग परंपराओं और प्रतिद्वंद्विता में बंटे थे। मेटरनिख ने कहा, "प्रांत प्रांतों के विरुद्ध हैं, कस्बे कस्बों के विरुद्ध हैं," जो इस आंतरिक फूट को दिखाता है।
एकता की राह में प्रमुख बाधाएँ: इटली में विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व, राजनीतिक विभाजन और स्थानीय प्रतिद्वंद्विताएँ एकीकरण में बड़ी रुकावटें थीं। इसके कारण इटली का एकीकरण लंबे समय तक सिर्फ एक सपना बना रहा।
प्रमुख नेताओं का योगदान: इन बाधाओं के बावजूद, विक्टर इमैनुएल द्वितीय, काउंट कैवूर, ग्यूसेप माज़िनी और ग्यूसेप गैरीबॉल्डी जैसे नेताओं ने इटली के एकीकरण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कूटनीति और क्रांतिकारी तरीकों का इस्तेमाल करके 19वीं शताब्दी में एकीकृत इटली की स्थापना की।
1. फ्रांसीसी क्रांति का इटली पर प्रभाव
फ्रांसीसी क्रांति (1789) ने पूरे यूरोप, खासकर इटली पर गहरा प्रभाव डाला। "स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे" जैसे क्रांतिकारी आदर्शों ने इटली के लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाई।
नेपोलियन के राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार
प्रशासनिक सुधार: नेपोलियन ने इटली में एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली लागू की, जिसके अंतर्गत छोटे-छोटे राज्यों को बड़े और अधिक कुशल इकाइयों में संगठित किया गया। इस सुधार का उद्देश्य प्रशासन को मजबूत और सुव्यवस्थित बनाना था, ताकि बेहतर नियंत्रण और प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
नेपोलियन कोड: नेपोलियन कोड के तहत पुराने सामंती कानूनों को समाप्त कर दिया गया और सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समान अधिकार प्रदान किए गए। इस कोड ने सामंतवाद का अंत कर एक आधुनिक और सुव्यवस्थित कानूनी व्यवस्था की नींव रखी, जिससे समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा मिला।
चर्च की शक्ति में कमी: नेपोलियन के सुधारों के तहत चर्च की शक्ति में कमी आई। चर्च की भूमि जब्त कर उसे पूंजीपति वर्ग को बेच दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग का उदय हुआ और आर्थिक संरचना में बदलाव आया।
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन
मध्यम वर्ग का उदय: औद्योगीकरण के प्रभाव से इटली के उत्तरी हिस्से में वाणिज्य और उद्योग का तीव्र विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों और उद्यमियों का एक मजबूत मध्यम वर्ग उभरा, जिसने आर्थिक एकीकरण और एक सुसंगठित बाजार की मांग की।
किसानों की दशा में बदलाव:दक्षिणी क्षेत्रों में किसानों की खराब दशा ने सामाजिक और आर्थिक सुधार की माँग को और अधिक मजबूत किया। उनकी दुर्दशा ने कृषि सुधारों और न्यायसंगत व्यवस्था की आवश्यकता को उजागर किया।
शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा के प्रसार और प्रिंटिंग प्रेस के विकास ने साक्षरता दर में वृद्धि की। इसके साथ ही राष्ट्रवादी साहित्य और विचारों का तेजी से प्रसार हुआ, जिसने लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत किया और जागरूकता को बढ़ावा दिया।
राष्ट्रवाद के उत्प्रेरक
नेपोलियन के सुधारों ने यह सिद्ध किया कि केंद्रीकृत और एकीकृत शासन के माध्यम से प्रगति संभव है। फ्रांसीसी क्रांति के विचारों ने ग्यूसेप माज़िनी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को प्रेरित किया, जिन्होंने इटली की राष्ट्रीय स्वतंत्रता और एकता के लिए संघर्ष किया। नेपोलियन का प्रशासनिक ढाँचा और कानूनी सुधार आगे चलकर इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण सहायक बने।
2. नेपोलियन शासन का प्रभाव
नेपोलियन बोनापार्ट ने इटली को नया आकार दिया और सामंती बिखराव को समाप्त कर राजनीतिक और प्रशासनिक एकता की नींव रखी।
राजनीतिक सुधार: नेपोलियन ने राजनीतिक सुधारों के तहत ऑस्ट्रियाई और बर्बोन शासकों को हटाकर इटली में फ्रांसीसी प्रभुत्व स्थापित किया। उन्होंने नेपोलियन संहिता लागू की, जिससे सामंतवाद का अंत हुआ और सभी के लिए कानूनी समानता सुनिश्चित हुई।
प्रशासनिक सुधार: नेपोलियन ने प्रशासनिक सुधारों के तहत इटली के विभिन्न राज्यों को एक केंद्रीकृत प्रशासनिक ढाँचे में संगठित किया। उन्होंने कानूनी प्रणाली में एकरूपता स्थापित की और यातना जैसे अमानवीय प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया, जिससे न्यायिक व्यवस्था अधिक आधुनिक और न्यायसंगत बनी।
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन: नेपोलियन के तहत सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों में चर्च की ज़मीनों को बेचकर मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया। इसके परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग का उत्थान हुआ, जिसने औद्योगिक विकास और व्यापार को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।
स्थायी प्रभाव: नेपोलियन की हार के बावजूद उनके सुधारों को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं था। प्रशासनिक, कानूनी और सामाजिक सुधारों ने इटली के एकीकरण के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया और भविष्य के राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरणा दी।
3. वियना कांग्रेस और इटली
1815 की वियना कांग्रेस का उद्देश्य यूरोप में नेपोलियन के प्रभाव को खत्म करना और शक्ति संतुलन बहाल करना था।
प्रमुख निर्णय: नेपोलियन के पतन के बाद लिए गए प्रमुख निर्णयों के तहत ऑस्ट्रिया ने लोम्बार्डी और वेनिस पर कब्जा कर लिया। मध्य इटली पर पोप का शासन बहाल हुआ और दक्षिणी इटली पर बर्बोन राजवंश का नियंत्रण स्थापित किया गया। सार्डिनिया स्वतंत्र रहा, लेकिन इटली एक बार फिर विभाजित राज्यों में बंट गया, जिससे राष्ट्रीय एकता की प्रक्रिया बाधित हुई।
एकता में बाधा: इटली की एकता में बाधा डालते हुए मेटरनिख ने इसे "भौगोलिक अभिव्यक्ति" कहकर एक असंगठित और विभाजित क्षेत्र बताया। इसके साथ ही उदारवादी और राष्ट्रवादी आंदोलनों को कुचलने के लिए कठोर दमनकारी नीतियाँ अपनाई गईं, जिससे एकीकरण की प्रक्रिया धीमी हो गई।
4. कार्बोनरी : सबसे बड़ी गुप्त सोसायटी
कार्बोनरी इटली की सबसे प्रभावशाली गुप्त सोसायटी थी।
उद्देश्य: राष्ट्रवादी आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य निरंकुश शासनों को हटाना और जनता के अधिकारों की रक्षा करना था। ये आंदोलन हिंसा और क्रांति के माध्यम से लोकतांत्रिक सुधार लाने और एक स्वतंत्र, एकीकृत राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयासरत थे।
महत्वपूर्ण भूमिका: नेपल्स में कार्बोनरी संगठन ने 60,000 से अधिक सदस्यों के साथ व्यापक प्रभाव स्थापित किया। उनका आंदोलन इटली में एकीकरण और स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत बना, जिसने राष्ट्रवादी भावना को मजबूत किया और भविष्य के आंदोलनों की नींव रखी।
5. एडेल्फ़ी : फ्रांसीसी-विरोधी समाज
एडेल्फ़ी ने 1818 में "सबलाइम परफेक्ट मास्टर्स" के नाम से खुद को पुनर्गठित किया।
उद्देश्य: ऑस्ट्रिया के शासन को समाप्त कर एक लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना करना था। विशेष रूप से उत्तरी इटली में ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया।
नेतृत्व: इस आंदोलन का नेतृत्व फिलिपो बुओनारोटी जैसे क्रांतिकारी नेताओं ने किया, जिन्होंने स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष किया।
6. इटालियन संघ (फेडरेशन)
काउंट कॉन्फालोनिएरी के नेतृत्व में इटालियन संघ एक उदारवादी गुप्त संगठन था।
लक्ष्य: संवैधानिक राजतंत्र के अधीन एक एकीकृत उत्तरी इटली की स्थापना करना और एक स्थिर राजशाही के साथ लोकतांत्रिक सुधारों को लागू करना।
महत्व: इटालियन संघ ने संवैधानिक एकता का एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया। इसने इटली के एकीकरण आंदोलन को वैचारिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान किया, जिससे राष्ट्रवादी प्रयासों को दिशा और प्रेरणा मिली।
आर्थिक स्थिति
19वीं सदी के इटली की आर्थिक स्थिति भूमि स्वामित्व, औद्योगिक असमानता और क्षेत्रीय विभाजन से प्रभावित थी। मार्टिन क्लार्क के अनुसार, उस समय भूमि स्वामित्व ही सबसे बड़ी चिंता थी।
1. भूमि स्वामित्व और कृषि
दक्षिण की लैटिफंडिया प्रणाली: दक्षिण की लैटिफंडिया प्रणाली में सिसिली और कैलाब्रिया की बड़ी ज़मीनें अनुपस्थित जमींदारों के स्वामित्व में थीं, जो शहरी क्षेत्रों में रहते थे और ज़मीन की देखरेख पर्यवेक्षकों के हवाले कर देते थे। किसान किरायेदार या दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे, जिससे गरीबी, शोषण और कृषि में अकुशलता बनी रहती थी।
उत्तर की उत्पादक कृषि: उत्तर की उत्पादक कृषि में लोम्बार्डी और पीडमॉट जैसे क्षेत्रों में छोटे खेतों और कुशल कृषि पद्धतियाँ प्रचलित थीं। पॉ घाटी जैसे उपजाऊ क्षेत्रों में किसान नई कृषि तकनीकों में निवेश करते थे, जिससे उत्पादकता बढ़ी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिर व समृद्ध बनी।
2. औद्योगिक विकास
उत्तरी इटली का औद्योगिकीकरण: उत्तरी इटली में औद्योगिकीकरण की शुरुआत पीडमॉट और लोम्बार्डी में हुई, जहाँ ट्यूरिन जैसे शहर कपड़ा उद्योग और रेलवे निर्माण के प्रमुख केंद्र बने। इन क्षेत्रों में मशीनरी और इंजीनियरिंग उद्योग तेजी से विकसित हो रहे थे, जिससे आर्थिक प्रगति को बल मिला।
दक्षिणी आर्थिक पिछड़ापन: दक्षिणी आर्थिक पिछड़ापन औद्योगिक विकास के अभाव के कारण स्पष्ट था। बुनियादी ढाँचे की कमी और कृषि पर अत्यधिक निर्भरता ने इस क्षेत्र को पिछड़ा रखा। नेपल्स जैसे बड़े शहर भी बढ़ती जनसंख्या और गहरी गरीबी की समस्याओं से जूझते रहे।
3. आर्थिक विषमताएँ और सामाजिक अशांति
किसान विद्रोह और सामाजिक तनाव: दक्षिण में भूमिहीन किसानों और गरीब किरायेदारों ने लैटिफंडिया प्रणाली के खिलाफ विद्रोह किया। 1848 में सिसिली क्रांति इसी आर्थिक शोषण और भूमि सुधार की माँग से प्रेरित थी, जो सामाजिक तनाव और असमानता का परिणाम थी।
क्षेत्रीय आर्थिक नीतियाँ: एकीकरण के बाद की नीतियाँ उत्तर के पक्ष में थीं, जहाँ रेलवे और औद्योगिक सब्सिडी जैसे विकास कार्य मुख्य रूप से मिलान और ट्यूरिन जैसे उत्तरी शहरों में केंद्रित रहे। दक्षिण की उपेक्षा के कारण आर्थिक असमानता बढ़ी और वहाँ के लोगों में आक्रोश और असंतोष पनपने लगा।
नेपल्स और पीडमोंट में विद्रोह (1820-21)
नेपल्स विद्रोह और कार्बोनरी की भूमिका: 1820 में स्पेन की क्रांति से प्रेरित होकर नेपल्स साम्राज्य में विद्रोह हुआ। कार्बोनरी और जनरल गुग्लिल्मो पेपे के नेतृत्व में सेना और नागरिकों ने स्पेन जैसा संविधान लागू करने की माँग की।
फर्डिनेंड का दमन और ऑस्ट्रियाई हस्तक्षेप: राजा फर्डिनेंड प्रथम ने संविधान को मंजूरी दी लेकिन बाद में ऑस्ट्रिया से मदद मांगी। ऑस्ट्रियाई सेना ने विद्रोह को कुचलकर फर्डिनेंड को पुनः सत्ता में बहाल किया और कड़ा दमन शुरू किया।
पीडमोंट विद्रोह और विफलता: नेपल्स विद्रोह का असर पीडमोंट पर पड़ा। क्रांतिकारियों ने ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व को चुनौती दी, लेकिन बिना सरकारी समर्थन के उनका प्रयास विफल हो गया।
विद्रोहों का महत्व: इन विद्रोहों ने निरंकुश शासन के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की और इतालवी एकीकरण के लिए भविष्य के आंदोलनों की नींव रखी।
द रिसोर्गिमेंटो
राष्ट्रीय भावना और वियना कांग्रेस: वियना कांग्रेस ने इटली को विभाजित किया, लेकिन नेपोलियन द्वारा उत्पन्न राष्ट्रीय भावना बनी रही। 1820 में नेपल्स और पीडमोंट में संविधान की माँग उठी, जिसे ऑस्ट्रियाई सेना ने दबा दिया।
राष्ट्रवाद का उदय: ऑस्ट्रियाई दमन ने राष्ट्रवाद को मजबूत किया। रिसोर्गिमेंटो (पुनरुत्थान) ने संयुक्त और स्वतंत्र इटली की धारणा को बढ़ावा दिया और एकता, संसदीय सरकार और चर्च की शक्ति में कमी का समर्थन किया।
कार्बोनरी और नेतृत्व: गुप्त समाज कार्बोनरी ने स्वतंत्रता की माँग के साथ संघर्ष किया। इस आंदोलन का नेतृत्व सिजेर बाल्बो, ग्यूसेप माज़िनी और ग्यूसेप गरिबाल्डी जैसे नेताओं ने किया, जिन्होंने एकीकरण के लिए आधार तैयार किया।
1830 और 1848 के फ्रांसीसी विद्रोह का इटली पर प्रभाव
1. 1830 की जुलाई क्रांति का प्रभाव:
फ्रांस की जुलाई क्रांति (1830) ने इटली में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। पीडमोंट, पर्मा और मोडेना में विद्रोह हुए, लेकिन पोप ग्रेगरी XVI ने ऑस्ट्रियाई हस्तक्षेप की माँग की। मेटरनिख के समर्थन से विद्रोह कुचल दिए गए और पुराने शासक बहाल हुए। अभाव और आंतरिक फूट के कारण आंदोलन विफल रहे।
2. 1848 की क्रांति का प्रभाव
1848 की क्रांतियों ने इटली में विद्रोह भड़काए।
नेपल्स: राजा को संविधान लागू करना पड़ा।
रोम: गैरीबाल्डी और माज़िनी के नेतृत्व में रोमन गणराज्य की स्थापना हुई।
पीडमोंट: चार्ल्स अल्बर्ट ने लोम्बार्डी में ऑस्ट्रिया से युद्ध किया।
प्रारंभिक सफलताओं के बावजूद, फ्रांसीसी और ऑस्ट्रियाई हस्तक्षेप से रोमन गणराज्य गिर गया और चार्ल्स अल्बर्ट को पद छोड़ना पड़ा।
3. 1848 की क्रांति के बाद के परिणाम
विद्रोह क्षेत्रीय थे और स्थानीय शिकायतों को दर्शाते थे।
क्रांतिकारी गुटों के लक्ष्य विविध थे; कुछ कट्टरपंथी, तो कुछ रूढ़िवादी बदलाव चाहते थे।
चार्ल्स अल्बर्ट के सैन्य प्रयास राष्ट्रीय मुक्ति से अधिक क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित थे।
1848 की क्रांतियाँ राष्ट्रवादी भावनाएँ बढ़ाने के बावजूद ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व को हटाने में असफल रहीं।
4. भविष्य के लिए महत्व:
हालाँकि ये विद्रोह तात्कालिक उद्देश्यों में विफल रहे, लेकिन उन्होंने इतालवी एकीकरण के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। इन्होंने राष्ट्रवाद की खंडित प्रकृति और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को एक साथ लाने की चुनौतियों को उजागर किया।
इटली से ऑस्ट्रियाई प्रभाव को समाप्त करने का संकल्प
1. ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व और राष्ट्रवाद
ऑस्ट्रिया के दमन ने इटालियंस को विदेशी प्रभुत्व से मुक्त होने के लिए प्रेरित किया। मेटरनिख की नीतियाँ और छोटे राज्यों का ऑस्ट्रिया पर निर्भर होना एकता में बाधा बना।
2. तीन प्रमुख गुट
रिपब्लिकन: ग्यूसेप माज़िनी के नेतृत्व में यंग इटली ने गणराज्य और राष्ट्रीय एकता का समर्थन किया।
संघवादी: विन्सेंट गियोबर्टी ने पोप के नेतृत्व में क्षेत्रीय स्वायत्तता के साथ एक संघीय इटली की वकालत की।
रॉयल सार्डिनियन पार्टी: सार्डिनिया-पीडमोंट के तहत राजशाही एकता का लक्ष्य रखा गया। किंग चार्ल्स अल्बर्ट के युद्ध प्रयास विफल रहे, और उनके बाद विक्टर इमैनुएल द्वितीय आए।
3. परिणाम
आपसी समन्वय की कमी के कारण प्रारंभिक प्रयास असफल रहे, लेकिन इन प्रयासों ने इतालवी एकीकरण की नींव तैयार की और राष्ट्रवादी भावना को मजबूत किया।
पोप पायस IX और उदारवादी सुधार
1846 में पोप पायस IX के चुनाव ने उनके ऑस्ट्रियाई विरोधी रुख और उदारवादी सुधारों से इटली में एकता की आशा जगाई। इन सुधारों ने 1848 की क्रांतियों को प्रेरित किया, जिसमें ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व के खिलाफ विद्रोह हुए। हालांकि रोमन गणराज्य जैसे आंदोलनों को कुचल दिया गया, लेकिन इन घटनाओं ने राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत किया और भविष्य के इतालवी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
विक्टर इमैनुएल II का प्रारंभिक जीवन और सिंहासन
विक्टर इमैनुएल II का जन्म 1820 में पीडमोंट-सार्डिनिया में हुआ। 1849 में अपने पिता चार्ल्स अल्बर्ट के त्याग के बाद उन्होंने सिंहासन संभाला और राज्य को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री कैवूर की मदद ली।
ऑस्ट्रियाई संघर्ष और एकीकरण की दिशा में कदम: 1859-61 में विक्टर इमैनुएल II ने सोलफेरिनो और मैजेंटा की लड़ाई में जीत हासिल की, जिससे उत्तरी इटली पर ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व कमजोर हुआ। उन्होंने गैरीबॉल्डी के अभियानों को भी प्रोत्साहित किया, विशेषकर सिसिली और नेपल्स पर विजय प्राप्त करने में।
इटली का औपचारिक एकीकरण: 1861 में विक्टर इमैनुएल II ने इटली के राजा की उपाधि ग्रहण की। उनके शासन में 1866 में वेनेशिया और 1870 में रोम के अधिग्रहण से इटली का पूर्ण एकीकरण हुआ।
नेतृत्व और इटली का एकीकरण: विक्टर इमैनुएल II का नेतृत्व, कैवूर की कूटनीति और गैरीबॉल्डी के सैन्य अभियानों के साथ इटली के एकीकरण के लिए केंद्रीय था। उनके शासनकाल ने आधुनिक इटली की नींव रखी और उन्हें इटली के एकीकरण का प्रमुख वास्तुकार माना जाता है।
काउंट कूवर की भूमिका (1810-1861)
प्रारंभिक जीवन और विचार: काउंट कैमिलो डि कैवूर का जन्म 1810 में हुआ। उन्होंने ब्रिटिश उदारवाद से प्रभावित होकर 1831 में सार्डिनिया सेना से इस्तीफा दिया और पारिवारिक संपत्ति का प्रबंधन किया।
राजनीतिक और आर्थिक सुधार: 1847 में 'इल रिसोर्गिमॅटो' पत्रिका की सह-स्थापना की, जिसने संविधान निर्माण का समर्थन किया। 1850 में मंत्री और 1852 में प्रधान मंत्री बने। उन्होंने सैन्य सुधार, आर्थिक सुधार, और रेलवे और सड़कों में सुधार किए।
इटली के एकीकरण में योगदान: कैवूर ने पीडमॉट को संविधान और मुक्त व्यापार के माध्यम से मजबूत किया। उनकी विदेश नीति और सुधारों ने पीडमॉट को इटली के एकीकरण में अग्रणी बना दिया।
विक्टर इमैनुएल II और काउंट कैवूर: इटली के एकीकरण का मार्ग
पीडमॉट में एकीकरण की शुरुआत: 1850 तक ऑस्ट्रिया इटली पर हावी था। 1848-49 की असफल क्रांतियों के बाद, पीडमॉट में इटली के एकीकरण की उम्मीदें बढ़ीं। विक्टर इमैनुएल II ने कैवूर को 1852 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जिससे वास्तविक प्रगति शुरू हुई।
कैवूर के नेतृत्व में सुधार: कैवूर ने पीडमॉट को एक संविधानिक राजतंत्र में बदलकर उदार सिद्धांतों को लागू किया। इसके साथ ही उन्होंने आर्थिक सुधार जैसे टैरिफ कम करना, रेलवे नेटवर्क का विस्तार और सैन्य पुनर्गठन किए।
पीडमॉट का एकीकरण में नेतृत्व: कैवूर के नेतृत्व में पीडमॉट ने लोम्बार्डी और वेनेशिया से ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व समाप्त किया, जिससे इटली के एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
विक्टर इमैनुएल II और कैवूर का योगदान: विक्टर इमैनुएल II और कैवूर की साझेदारी ने पीडमॉट को इटली के एकीकरण का मुख्य नेता बना दिया और आधुनिक इटली की नींव रखी।
इटली और क्रीमिया युद्ध
कैवूर की विदेश नीति: कैवूर का उद्देश्य ऑस्ट्रियाई प्रभुत्व को समाप्त करना और पीडमॉट के हितों को बढ़ाना था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में भाग लेकर यूरोपीय शक्तियों का ध्यान इटली की ओर आकर्षित करने की योजना बनाई।
क्रीमिया युद्ध में भागीदारी: 1854 में, इंग्लैंड और फ्रांस के साथ कैवूर ने क्रीमिया युद्ध में भाग लिया और 15,000 सैनिक भेजे। उनका उद्देश्य ऑस्ट्रिया के साथ इंग्लैंड और फ्रांस के संबंधों को कमजोर करना था, लेकिन वे फ्रांसीसी समर्थन प्राप्त करने में असमर्थ रहे।
ओरसिनी मामला: 1858 में, काउंट फेलिस ओरसिनी ने नेपोलियन III की हत्या का प्रयास किया, सोचकर कि इससे इतालवी एकीकरण को समर्थन मिलेगा। यह घटना नेपोलियन III को प्रभावित कर इटली के एकीकरण के लिए प्लॉम्बिएरेस बैठक में मददगार साबित हुई।
कैवूर और नेपोलियन के बीच समझौता
कैवूर की विदेश नीति: कैवूर ने समझा कि पीडमॉट अकेले ऑस्ट्रिया को इटली से बाहर नहीं निकाल सकता। इसलिए, उन्होंने फ्रांस से सहयोग प्राप्त करने के लिए प्रयास किया और क्रीमिया युद्ध में इंग्लैंड और फ्रांस के साथ जुड़ गए।
प्लॉम्बिएरेस समझौता: कैवूर और नेपोलियन III ने 1858 में प्लॉम्बिएरेस समझौता किया, जिसमें फ्रांस ने पीडमॉट को ऑस्ट्रिया के खिलाफ सैन्य सहायता दी, बदले में नीस और सेवॉय फ्रांस को सौंपे गए। पर्मा, मोडेना, और टस्कनी पीडमॉट में शामिल हुए।
विवाह और संधि: गठबंधन को मजबूत करने के लिए, विक्टर इमैनुएल II की बेटी और नेपोलियन III के चचेरे भाई के बीच विवाह हुआ, और 1859 में फ्रांस और पीडमॉट के बीच सैन्य संधि की गई, जो इटली के एकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
राष्ट्रीय समाज की स्थापना
1857 में, ग्यूसेप माज़िनी ने जेनोआ और लिवोनों में विद्रोह किया, लेकिन ये प्रयास विफल रहे। इसके बाद, नेशनल सोसाइटी की स्थापना की गई, जिसमें गैरीबॉल्डी और डेनियल मैनिन जैसे नेताओं ने विभिन्न राष्ट्रवादी समूहों को एकजुट किया।
कैवूर की भूमिका और बातचीत: कैवूर ने नेशनल सोसाइटी के रणनीतिक महत्व को पहचाना और गुप्त रूप से ला फ़रीना से 1858 में उत्तरी और मध्य इटली में विद्रोह को बढ़ावा देने के बारे में बातचीत की। सोसाइटी ने गैरीबॉल्डी को सेना बनाने और पीडमॉट के समर्थन को बढ़ावा देने के लिए पर्चे वितरित किए।
ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध का झंझावत (1859): ऑस्ट्रिया और पीडमॉट दोनों ने युद्ध की तैयारी शुरू की। कैवूर ने ऑस्ट्रिया को अल्टीमेटम देने के लिए उकसाया, जिसके बाद ऑस्ट्रिया ने युद्ध की घोषणा की। मैजेंटा और सोलफेरिनो में हुई लड़ाइयाँ परिणामस्वरूप पीडमॉट और फ्रांस की संकीर्ण जीत के साथ लोम्बार्डी पर कब्जा कर लिया।
विलफ्रांका की संधि (1859): विलफ्रांका में शांति समझौते के बाद कैवूर ने फ्रांसीसी समर्थन पर गुस्से में इस्तीफा दे दिया। शांति ने पीडमॉट को लोम्बार्डी तो दिया, लेकिन वेनेशिया ऑस्ट्रियाई नियंत्रण में रहा, जिससे इटली के एकीकरण के लक्ष्य को झटका लगा।
कैवूर का इस्तीफा: विलफ्रांका समझौते के कारण निराश कैवूर ने इस्तीफा दिया, लेकिन विक्टर इमैनुएल II ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना लिया।
जनमत संग्रह: 1860 में जनमत संग्रह ने पीडमॉट के साथ टस्कनी, मोदेना, और पर्मा के विलय को मंजूरी दी। इससे नॉर्थ और मिड इटली पीडमॉट में एकीकृत हो गए।
कैवूर की मृत्यु: 1861 में, इमैनुएल II को इटली का राजा घोषित किया गया, लेकिन 6 जून, 1861 को कैवूर की मृत्यु हो गई। उन्होंने इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उनकी मृत्यु ने एकीकृत इटली की अंतिम प्रक्रिया को प्रभावित किया।
जोसेफ माज़िनी और गैरीबॉल्डी की भूमिका
1. जोसेफ माज़िनी
जोसेफ माज़िनी का परिचय: जोसेफ माज़िनी (1805-1872) इतालवी एकीकरण के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने कैवूर और गैरीबॉल्डी के साथ मिलकर इटली को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने रिसोर्गिमॅटो को प्रेरित किया और इटली में एकता की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया।
यंग इटली की स्थापना: माज़िनी ने 1831 में यंग इटली की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इटली को एकजुट करना और स्वतंत्र और समान राष्ट्र की कल्पना करना था। उन्होंने दक्षिणी इटली और सिसिली सहित सभी इतालवी क्षेत्रों को एकजुट करने की वकालत की।
आदर्शवाद और संघर्ष: माज़िनी ने बाहरी सहायता से इटली के एकीकरण की माँग की, लेकिन उनका दृष्टिकोण ऑस्ट्रिया के खिलाफ अव्यवहारिक साबित हुआ। बावजूद इसके, उनके विचारों ने इतालवी एकीकरण को प्रेरित किया।
मौत और विरासत: माज़िनी का प्रभाव बढ़ते हुए भी उनके जीवन के अंतिम वर्षों में घटित हुआ, और 1872 में उन्होंने अपनी मृत्यु तक स्विट्जरलैंड और लंदन में निर्वासन में जीवन बिताया।
2. ग्यूसेप गैरीबॉल्डी
प्रारंभिक जीवन और प्रभाव: ग्यूसेप गैरीबॉल्डी (1807-1882) इटली के एकीकरण के महत्वपूर्ण नेता थे, जिन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया गया। उनका जन्म 4 जुलाई, 1807 को नीस, दक्षिणी इटली में हुआ। हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह पादरी बनें, गैरीबॉल्डी ने साहसिक जीवन को चुना और भूमध्य सागर में यात्रा की।
क्रांतिकारी विचार और कार्बोनरी में शामिल होना: गैरीबॉल्डी जोसेफ माज़िनी के विचारों से प्रेरित हुए और कार्बोनरी नामक देशभक्त समूह में शामिल हो गए। 1833 में, उन्होंने एक असफल विद्रोह में भाग लिया, जिसके बाद उन्हें पकड़ लिया गया, लेकिन वह भागकर अमेरिका चले गए।
अमेरिका में संघर्ष और सैन्य अनुभव: अमेरिका में, गैरीबॉल्डी ने 14 साल बिताए, जहां उन्होंने गुरिल्ला युद्ध और सैन्य रणनीति का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1848 की क्रांति के बाद, वह इटली लौटे और रेड शर्ट्स के नाम से एक सैन्य समूह बनाया।
रोमन गणराज्य और असफलताएँ: रोमन गणराज्य के दौरान, गैरीबॉल्डी ने जनरल के रूप में कार्य किया। हालांकि, नेपोलियन III के हस्तक्षेप से गणराज्य समाप्त हो गया और पोप की सत्ता बहाल हो गई। इससे निराश होकर गैरीबॉल्डी फिर से अमेरिका लौट गए।
इटली के एकीकरण में योगदान: गैरीबॉल्डी की असफलताओं के बावजूद, उनका योगदान और सैन्य नेतृत्व इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण था, और उनकी भूमिका ने उन्हें इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया।
सिसिली और नेपल्स का एकीकरण
गैरीबॉल्डी ने सिसिली और नेपल्स पर कब्ज़ा किया और पीडमॉट को इन क्षेत्रों का नियंत्रण सौंपा, जिससे इटली के एकीकरण की प्रक्रिया तेज़ हुई।
पीडमोंट का इटली में परिवर्तन: 1861 में, पीडमॉट आधिकारिक तौर पर इटली का हिस्सा बन गया और विक्टर इमैनुएल II इटली के राजा बने। हालांकि, वेनेशिया और रोम अभी भी पोप के अधीन थे। 1866 में, जर्मनी में बिस्मार्क के ऑस्ट्रो-प्रशिया युद्ध के बाद इटली ने वेनेशिया को प्राप्त किया।
रोम का एकीकरण और इटली का एकीकरण (1871): 1866 में, रोम एकीकृत इटली से बाहर था और नेपोलियन III द्वारा संरक्षित था। 1870 में, फ्रेंको-प्रशिया युद्ध के दौरान फ्रांस के सैनिकों की वापसी के बाद, विक्टर इमैनुएल II ने रोम पर कब्ज़ा कर लिया और इसे इटली की राजधानी बना दिया।
इटली का अंतिम एकीकरण: बिस्मार्क ने इटली के साथ गुप्त गठबंधन किया और ऑस्ट्रो-प्रशिया युद्ध (1866) के बाद वेनेशिया को इटली ने प्राप्त किया। फिर 1870 में, फ्रांसीसी सैनिकों की वापसी के कारण, विक्टर इमैनुएल II ने रोम पर कब्ज़ा कर इटली का अंतिम एकीकरण किया।
इसने इटली के एकीकरण की प्रक्रिया को पूरा किया, लेकिन इसमें कई संघर्ष और चुनौतियाँ थीं। इसके बावजूद, कैवूर, गैरीबॉल्डी, और माज़िनी को इटली के संस्थापक पिता के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।