भारत में लोक प्रशासन UNIT - 5 SEMESTER -1 NOTES सामाजिक कल्याण प्रशासन शिक्षा: शिक्षा का अधिकार स्वास्थ्य : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन Political DU. SOL.DU NEP COURSES

 

भारत में लोक प्रशासन UNIT - 5 SEMESTER -1 NOTES सामाजिक कल्याण प्रशासन  शिक्षा: शिक्षा का अधिकार  स्वास्थ्य : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन  Political DU. SOL.DU NEP COURSES

समाज कल्याण प्रशासन एक समावेशी अनुशासन है, जो प्रशासन में सामाजिक कार्य प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है। यह सामाजिक सेवाओं, गरिमा, मानवीय संबंधों, और व्यक्तित्व के महत्व से संबंधित है। समाज कल्याण प्रशासन एक तंत्र है जो सामाजिक नीतियों, कार्यक्रमों और विधानों को व्यवहार में बदलता है। समाज कल्याण में दो मुख्य शब्द हैं - 'समाज' और 'कल्याण'। 'समाज' का मतलब है एक समूह जो आपस में जुड़ा होता है और साझा समस्याओं और समाधान का सामना करता है। 'कल्याण' का अर्थ है ऐसे सामाजिक कार्य जो सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने या कम करने का प्रयास करते हैं। समाज कल्याण की परंपरा परोपकारी कार्यों के विकास से जुड़ी हुई है, जो सामाजिक सुधार आंदोलनों और सार्वजनिक सामाजिक सेवाओं या गैर-लाभकारी संगठनों से संबंधित है। इसका उद्देश्य व्यक्ति और उनके परिवारों को सुरक्षा और लाभ प्रदान करना है।


समाज कल्याण प्रशासन

समाज कल्याण प्रशासन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज से संबंधित नीतियाँ और संसाधनों का उपयोग कर योजना बनाई जाती है, ताकि समुदाय को प्रभावी और मजबूत सेवाएँ प्रदान की जा सकें। इसमें प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी नियमों का समन्वय होता है। यह समाज कल्याण के कार्यक्रमों का संचालन करता है, चाहे वे लोक प्रशासन के अधीन हों या निजी क्षेत्र में। इसके उद्देश्य और कार्य क्षेत्र व्यापक होते हैं और यह विभिन्न सामाजिक सेवाओं से जुड़ा हुआ है।


1. समाज कल्याण प्रशासन के उद्देश्य

  • राष्ट्र और न्याय व्यवस्था की सुरक्षा: समाज कल्याण प्रशासन नागरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में। यह मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए वयस्क, युवा और बाल अपराधियों में कमी लाने के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करता है।
  • आर्थिक विकास: समाज कल्याण प्रशासन आर्थिक विकास में योगदान देता है। यह लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य क्षमता को विकसित करता है और औद्योगिक उत्पादकता बढ़ाता है। इसके द्वारा श्रमिकों और उद्योगपतियों के बीच अच्छे रिश्ते बनाए जाते हैं, साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसी सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं।
  • सामाजिक विकास: समाज कल्याण प्रशासन जनशक्ति के अधिकतम विकास के लिए पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार प्रदान करता है। यह कमजोर वर्गों जैसे महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, मजदूरों, गरीबों, विकलांगों आदि के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन करता है।


2. सामाजिक संस्थाएँ

  • सरकारी संस्थाएँ: ये संस्थाएँ सरकार द्वारा स्थापित और संचालित होती हैं और सरकारी नियमों के तहत कार्य करती हैं।
  • स्वैच्छिक संस्थाएँ: ये संस्थाएँ समुदाय द्वारा संचालित होती हैं और आमतौर पर समुदाय द्वारा एकत्रित धन से इनका खर्च होता है, हालांकि इन्हें सरकारी अनुदान भी प्राप्त हो सकता है।


3. समाज कल्याण प्रशासन का विकास

  • स्वतंत्रता के बाद, भारत में समाज कल्याण प्रशासन को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्थागत रूप दिया गया। 1953 में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वैच्छिक संगठनों की तकनीकी, संगठनात्मक, प्रशासनिक और वित्तीय पहलुओं को मजबूत करना था। बाद में, राज्य स्तर पर भी समाज कल्याण बोर्ड बनाए गए।



समाज कल्याण की अवधारणा

संयुक्त राष्ट्र ने समाज कल्याण को "पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण" के रूप में परिभाषित किया है, जो सिर्फ सामाजिक बुराइयों के सुधार से अधिक है। यह कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर बल देता है, जिसमें राज्य का उत्तरदायित्व अपने नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना होता है, जैसे भोजन, आवास, और न्यूनतम सेवाएँ।

कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य मानवीय और प्रगतिशील समाज का निर्माण करना होता है। समाज कल्याण की अवधारणा में यह देखा जाता है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत कल्याण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक समग्र समर्थन प्रणाली है, ताकि वे अपने जीवन स्तर को सुधार सकें और समाज में अपने कार्यात्मक योगदान को बढ़ा सकें।

1. समाज कल्याण की परिभाषा

  • समाज कल्याण को स्वैच्छिक और सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित योजनाओं और सेवाओं के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए सहायता प्रदान करना है।
  • यह सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा संचालित ऐसे कार्यों का योग है, जिनका उद्देश्य गरीबी, संकट और समाज की अन्य समस्याओं को हल करना है। समाज कल्याण के अंतर्गत उन लोगों के लिए सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जो समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित होते हैं, जैसे वृद्ध, गरीब, विकलांग, और बेरोजगार लोग।


2. समाज कल्याण के विचारक

  • राल्फ डोलगॉफ: समाज कल्याण को एक सामाजिक हस्तक्षेप के रूप में परिभाषित करते हैं, जिसका उद्देश्य समाज में लोगों के सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देना है।
  • रिचर्ड टिटमस: समाज कल्याण को एक सामूहिक गतिविधि के रूप में मानते हैं, जिसका उद्देश्य सामाजिक कार्य और समाज के कल्याण को बढ़ाना है।
  • एमी गुटमैन: उन्होंने इसे वयस्कों और बच्चों को अज्ञानता, विकलांगता, बेरोजगारी, और गरीबी से बचाने के रूप में परिभाषित किया।


3. समाज कल्याण की विशेषताएँ

  • समाज कल्याण स्वैच्छिक और सरकारी संगठनों द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों की पूरी श्रृंखला है, जो समाज की समस्याओं को रोकने और हल करने के लिए काम करते हैं, जैसे गरीबी, संकट और समाज की अन्य समस्याओं से निपटना।



भारत में सामाजिक कल्याण की अवधारणा

भारत में समाज कल्याण की परंपरा प्राचीन काल से विकसित होती आई है। यह धर्म, भिक्षा, दया, और त्याग जैसे मूल्यों पर आधारित है, जो स्वशासन, आत्म-बलिदान, और सर्व कल्याण की भावना को प्रोत्साहित करती है। विभिन्न धर्मों और पंथों में समाज कल्याण का यह संदेश गहराई से निहित है।

1. समाज कल्याण का उद्देश्य

समाज कल्याण का उद्देश्य गरीबी, बीमारी, और अन्य सामाजिक समस्याओं से निपटना है। भारतीय संविधान ने नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक अधिकारों के साथ-साथ व्यक्ति की गरिमा का अधिकार प्रदान किया है, ताकि समाज के सभी वर्गों का विकास और कल्याण सुनिश्चित हो सके।

संविधान में समाज कल्याण से संबंधित अनुच्छेद:-

  • अनुच्छेद 38: राज्य को एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए बाध्य करता है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को सुनिश्चित करे।
  • अनुच्छेद 39A: नागरिकों को समान अवसर प्रदान करने के लिए राज्य का कर्तव्य।
  • अनुच्छेद 43: राज्य का कर्तव्य श्रमिकों को मूलभूत श्रमिक अधिकार प्रदान करना।
  • अनुच्छेद 41: राज्य को बेकारी, वृद्धावस्था, बीमारी के दौरान लोक सहायता देने के लिए बाध्य करता है।
  • अनुच्छेद 46: राज्य को दुर्बल वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा करनी चाहिए।


2. समाज कल्याण के अंतर्गत सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ

  • सामाजिक कल्याण की अवधारणा के तहत सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ कमजोर वर्गों के व्यक्तियों को समान अवसर, रोजगार, उचित वेतन, चिकित्सा, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।


3. महिला, बाल, और वृद्ध कल्याण के विशेष कार्यक्रम

  • भारत में समाज कल्याण कार्यक्रमों के अंतर्गत महिला अधिकारिता, लैंगिक समानता, बच्चों और वृद्धों की भलाई के लिए विशेष योजनाएँ जैसे राष्ट्रीय महिला आयोग और किशोर न्याय नीतियाँ कार्यरत हैं। इनका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना है।


शिक्षा का अधिकार

शिक्षा का अधिकार संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (अनुच्छेद 26) में परिभाषित किया गया, जो सभी को प्रारंभिक और मौलिक स्तर पर मुफ्त शिक्षा का अधिकार देता है। इस अधिकार का उद्देश्य व्यक्तित्व का समग्र विकास और मानवीय गरिमा को पोषित करना है।

  • भारतीय परिप्रेक्ष्य में शिक्षा: भारत में शिक्षा को सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक परिवर्तन का माध्यम माना गया है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षा को सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव का साधन बताया। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने इसे अज्ञानता से विवेक की ओर ले जाने वाली विधा के रूप में देखा, जबकि अमर्त्य सेन ने इसे स्वतंत्रता और विकास के लिए महत्वपूर्ण माना।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: भारतीय संविधान के 86वें संशोधन (2002) ने 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21A) के रूप में जोड़ा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 ने इस अधिकार को कानूनी रूप से सुनिश्चित किया। यह अधिनियम "मुफ्त और अनिवार्य" शिक्षा प्रदान करने पर जोर देता है, जिससे प्रत्येक बच्चे को बिना किसी शुल्क के पड़ोस के स्कूलों में शिक्षा मिल सके।
  • सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE): शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत, सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE) की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसका उद्देश्य बच्चों के समग्र विकास का आकलन करना है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। यूनिसेफ के अनुसार, बुनियादी कौशल की कमी के कारण कई बच्चे अपने विकास के लिए आवश्यक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जिससे श्रम, दुर्व्यवहार, और गरीबी का दुष्चक्र बना हुआ है।

  • भारत में साक्षरता दर का विकास :-

1. 1951: 18.32%

2. 2001: 65.38%

3. 2011: 72.98%

4. 2020: 77.70%

यह डेटा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लागू होने से पहले और बाद के साक्षरता सुधार को दर्शाता है।

  • नई शिक्षा नीति (NEP) 2020: भारत सरकार ने जुलाई 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पारित की, जिसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और व्यावसायिक बनाने के साथ-साथ सभी के लिए समान अवसर प्रदान करना है। NEP 2020 में व्यावसायिक शिक्षा और समग्र विकास पर जोर दिया गया है, ताकि भारत की शैक्षिक प्रणाली को 2040 तक सशक्त किया जा सके।


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

भारत जैसे विकासशील देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षित रहा है, जिससे महामारियाँ फैलती हैं और लाखों लोग प्रभावित होते हैं। उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण भारत में स्वच्छता की कमी से कई संक्रामक रोग भी प्रचलित हैं। गरीबी, शिक्षा की कमी और अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण गरीब लोग इन बीमारियों के शिकार होते हैं।

1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के घटक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना है, जिसमें निम्नलिखित चार घटक शामिल हैं:-

  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)
  • राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM)
  • तृतीयक देखभाल कार्यक्रम
  • स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन

इनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है। NHM में मातृ और शिशु स्वास्थ्य, संचारी और गैर-संचारी रोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।


2. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्य

  • शिशु मृत्यु दर को प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 25 तक कम करना।
  • मातृ मृत्यु दर को प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 1 तक लाना।
  • मलेरिया, तपेदिक, और एनीमिया जैसी बीमारियों का नियंत्रण।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2-3% तक बढ़ाना।


3. आयुष्मान भारत योजना: एक नया दृष्टिकोण

2018 में शुरू किया गया आयुष्मान भारत कार्यक्रम प्राथमिक, माध्यमिक, और तृतीयक स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का एक प्रयास है। इसमें दो मुख्य घटक हैं:

  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY): माध्यमिक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना।
  • स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWC): प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।

आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है। यह योजना एकीकृत सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की अवधारणा को साकार करती है, जिससे देश के गरीबों की जेब पर आर्थिक बोझ को कम किया जा सके।






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