समाज कल्याण प्रशासन एक समावेशी अनुशासन है, जो प्रशासन में सामाजिक कार्य प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है। यह सामाजिक सेवाओं, गरिमा, मानवीय संबंधों, और व्यक्तित्व के महत्व से संबंधित है। समाज कल्याण प्रशासन एक तंत्र है जो सामाजिक नीतियों, कार्यक्रमों और विधानों को व्यवहार में बदलता है। समाज कल्याण में दो मुख्य शब्द हैं - 'समाज' और 'कल्याण'। 'समाज' का मतलब है एक समूह जो आपस में जुड़ा होता है और साझा समस्याओं और समाधान का सामना करता है। 'कल्याण' का अर्थ है ऐसे सामाजिक कार्य जो सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने या कम करने का प्रयास करते हैं। समाज कल्याण की परंपरा परोपकारी कार्यों के विकास से जुड़ी हुई है, जो सामाजिक सुधार आंदोलनों और सार्वजनिक सामाजिक सेवाओं या गैर-लाभकारी संगठनों से संबंधित है। इसका उद्देश्य व्यक्ति और उनके परिवारों को सुरक्षा और लाभ प्रदान करना है।
समाज कल्याण प्रशासन
समाज कल्याण प्रशासन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज से संबंधित नीतियाँ और संसाधनों का उपयोग कर योजना बनाई जाती है, ताकि समुदाय को प्रभावी और मजबूत सेवाएँ प्रदान की जा सकें। इसमें प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी नियमों का समन्वय होता है। यह समाज कल्याण के कार्यक्रमों का संचालन करता है, चाहे वे लोक प्रशासन के अधीन हों या निजी क्षेत्र में। इसके उद्देश्य और कार्य क्षेत्र व्यापक होते हैं और यह विभिन्न सामाजिक सेवाओं से जुड़ा हुआ है।
1. समाज कल्याण प्रशासन के उद्देश्य
- राष्ट्र और न्याय व्यवस्था की सुरक्षा: समाज कल्याण प्रशासन नागरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में। यह मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए वयस्क, युवा और बाल अपराधियों में कमी लाने के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करता है।
- आर्थिक विकास: समाज कल्याण प्रशासन आर्थिक विकास में योगदान देता है। यह लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य क्षमता को विकसित करता है और औद्योगिक उत्पादकता बढ़ाता है। इसके द्वारा श्रमिकों और उद्योगपतियों के बीच अच्छे रिश्ते बनाए जाते हैं, साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसी सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं।
- सामाजिक विकास: समाज कल्याण प्रशासन जनशक्ति के अधिकतम विकास के लिए पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार प्रदान करता है। यह कमजोर वर्गों जैसे महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, मजदूरों, गरीबों, विकलांगों आदि के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन करता है।
2. सामाजिक संस्थाएँ
- सरकारी संस्थाएँ: ये संस्थाएँ सरकार द्वारा स्थापित और संचालित होती हैं और सरकारी नियमों के तहत कार्य करती हैं।
- स्वैच्छिक संस्थाएँ: ये संस्थाएँ समुदाय द्वारा संचालित होती हैं और आमतौर पर समुदाय द्वारा एकत्रित धन से इनका खर्च होता है, हालांकि इन्हें सरकारी अनुदान भी प्राप्त हो सकता है।
3. समाज कल्याण प्रशासन का विकास
- स्वतंत्रता के बाद, भारत में समाज कल्याण प्रशासन को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्थागत रूप दिया गया। 1953 में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वैच्छिक संगठनों की तकनीकी, संगठनात्मक, प्रशासनिक और वित्तीय पहलुओं को मजबूत करना था। बाद में, राज्य स्तर पर भी समाज कल्याण बोर्ड बनाए गए।
समाज कल्याण की अवधारणा
संयुक्त राष्ट्र ने समाज कल्याण को "पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण" के रूप में परिभाषित किया है, जो सिर्फ सामाजिक बुराइयों के सुधार से अधिक है। यह कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर बल देता है, जिसमें राज्य का उत्तरदायित्व अपने नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना होता है, जैसे भोजन, आवास, और न्यूनतम सेवाएँ।
कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य मानवीय और प्रगतिशील समाज का निर्माण करना होता है। समाज कल्याण की अवधारणा में यह देखा जाता है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत कल्याण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक समग्र समर्थन प्रणाली है, ताकि वे अपने जीवन स्तर को सुधार सकें और समाज में अपने कार्यात्मक योगदान को बढ़ा सकें।
1. समाज कल्याण की परिभाषा
- समाज कल्याण को स्वैच्छिक और सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित योजनाओं और सेवाओं के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए सहायता प्रदान करना है।
- यह सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा संचालित ऐसे कार्यों का योग है, जिनका उद्देश्य गरीबी, संकट और समाज की अन्य समस्याओं को हल करना है। समाज कल्याण के अंतर्गत उन लोगों के लिए सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जो समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित होते हैं, जैसे वृद्ध, गरीब, विकलांग, और बेरोजगार लोग।
2. समाज कल्याण के विचारक
- राल्फ डोलगॉफ: समाज कल्याण को एक सामाजिक हस्तक्षेप के रूप में परिभाषित करते हैं, जिसका उद्देश्य समाज में लोगों के सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देना है।
- रिचर्ड टिटमस: समाज कल्याण को एक सामूहिक गतिविधि के रूप में मानते हैं, जिसका उद्देश्य सामाजिक कार्य और समाज के कल्याण को बढ़ाना है।
- एमी गुटमैन: उन्होंने इसे वयस्कों और बच्चों को अज्ञानता, विकलांगता, बेरोजगारी, और गरीबी से बचाने के रूप में परिभाषित किया।
3. समाज कल्याण की विशेषताएँ
- समाज कल्याण स्वैच्छिक और सरकारी संगठनों द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों की पूरी श्रृंखला है, जो समाज की समस्याओं को रोकने और हल करने के लिए काम करते हैं, जैसे गरीबी, संकट और समाज की अन्य समस्याओं से निपटना।
भारत में सामाजिक कल्याण की अवधारणा
भारत में समाज कल्याण की परंपरा प्राचीन काल से विकसित होती आई है। यह धर्म, भिक्षा, दया, और त्याग जैसे मूल्यों पर आधारित है, जो स्वशासन, आत्म-बलिदान, और सर्व कल्याण की भावना को प्रोत्साहित करती है। विभिन्न धर्मों और पंथों में समाज कल्याण का यह संदेश गहराई से निहित है।
1. समाज कल्याण का उद्देश्य
समाज कल्याण का उद्देश्य गरीबी, बीमारी, और अन्य सामाजिक समस्याओं से निपटना है। भारतीय संविधान ने नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक अधिकारों के साथ-साथ व्यक्ति की गरिमा का अधिकार प्रदान किया है, ताकि समाज के सभी वर्गों का विकास और कल्याण सुनिश्चित हो सके।
संविधान में समाज कल्याण से संबंधित अनुच्छेद:-