BHIC- 133 ( वास्तुकला एवं चित्रकला ) Unit- 17 भारत का इतिहास C. 1206- 1707 / bhic- 133- vastu kala evm chitrkla- unit- 17 bharat ka itihas
Subject- IGNOU- BAG- 2nd year
परिचय
इस्लामी प्रभुत्व के कारण मध्यकालीन भारत पर इस्लामी कला- संस्कृतियों का पूरा प्रभाव रहा। भारत में सल्तनत की स्थापना ने कला और वास्तुकला के क्षेत्र में नयी अभिव्यक्तियों को जन्म दिया।
दिल्ली सल्तनत के अधीन वास्तुकला
तुर्की सुल्तान की वास्तुकला में स्थानीय तथा इस्लामिक परंपराओं के बारे में पता चलता है।
नए संचारात्मक रूप
1. भवन निर्माण में चुना
गारा के सीमेंट का प्रयोग होता था। जिससे पक्के भवन के निर्माण में ज्यादा वृद्धि हुई।
2. मेहराब और गुम्बद
भवनों में चूना- गारा का सीमेंट के रूप में प्रयोग होने के के अलावा मेहराब का प्रयोग नवीन संरचनात्मक श्रेणी में आता है।
3. भवन निर्माण सामग्री
भवनो को मजबूती प्रदान करने के लिए इमारतों में पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था। नींव बनाने के लिए छोटे कंकड़ पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था। पूरे भवन को अच्छी तरह जिप्सम से प्लास्टर किया जाता था।
4. साज- सज्जा
इस्लामी भवनों की साज-सज्जा सुलेख और फूल पत्तियों के चित्रण से की जाती थी। सल्तनत कालीन भवन में ( पत्रण कला ) foliation द्वारा सजावट की जाती थी।
शैलीगत विकास
1. प्रारंभिक रूप
1192 में तुर्को द्वारा दिल्ली पर आक्रमण करने के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने पिथौरा के किले पर कब्जा करके इस पर जामा मस्जिद बनाना शुरु कर दिया जो हिंद- इस्लामी वास्तुकला को दर्शाती है मस्जिद पर लगे शिलालेख के अनुसार इसे कूव्वत- उल- इस्लाम कहां गया था इसका निर्माण 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर किया गया था।
2. खिलजी
अलाउद्दीन खिलजी ने अनेक मस्जिदों, मीनारों तथा सरोवरों को बनवाया था। इस वस्तुकला की प्रमुख विशेषता परिपक्व इस्लाम शैली और गुम्बदनुमा छत
3. तुगलक
वास्तुकला की तुगलक शैली की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं
1. खुरदुरे पत्थर (कंकड़) का प्रयोग भवन निर्माण सामग्री के रूप में किया गया जबकि दीवारों में प्लास्टर का प्रयोग होता था।
2. भवनों की पट्टिकाओं की सजावट के लिए सफेद टाइल्स का उपयोग तथा नुकीले गुम्बदों का प्रयोग
सार्वजनिक भवन तथा सार्वजनिक कार्य
सल्तनत वास्तुकला के विकास में शाही संरचनाओं जैसे- महल, किले, मकबरे और मस्जिद के अलावा अन्य संरचनाओं में पुल, सिंचाई के लिए तालाब, कुएं और बावली, बांध, डाक चौकी, इत्यादि होते थे सार्वजनिक भवन बिना किसी धार्मिक और जातीय भेदभाव के जनता द्वारा प्रयोग में लाये जाते थे।
मुगलों के अधीन वास्तुकला
16 से 18 वीं शताब्दी तक का समय मुगल स्थापत्य कला का माना जाता है 15 वर्षों का शासनकाल दिल्ली में सुर शासकों ने शासन किया
मुग़ल स्थापत्य की शुरुआत
1. बाबर की इमारतें
अपने मात्र पांच वर्षों के शासन में बाबर ने गैर धार्मिक भवनों का निर्माण कराया। इनमें मुख्य रूप से ईरानी शैली पर आधारित बगीचे और मंडप सम्मिलित हैं। 1526 में बाबर ने पानीपत और सम्भल में दो मस्जिदें बनवाई थीं। हालांकि उसके द्वारा बनवाई इमारतों के अवशेष ही बचे हैं।
2. हुमायूँ की इमारतें
हुमायूँ के शासनकाल में राजनीतिक अस्थिरता होने के कारण स्थापत्य संबंधी कोई विशेष योगदान नहीं रहा। प्रथम चरण के शासन के द्वारा निर्मित 2 मस्जिदें आगरा फतेहपुर में है ( जीर्ण- शीर्ण ) 1564 में, हुमायूँ की मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम की देखरेख में हुमायूँ के मकबरे का निर्माण आरंभ हुआ
शासनांतराल : सूर स्थापत्य
1540 से अगले पन्द्रह वर्षों तक मुगल साम्राज्य पर सूर शासकों का अधिकार रहा, जो स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सूर शासकों द्वारा बनाई गई इमारतें दो अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित हैं तथा दो भिन्न कालों में विभाजित किया जा सकता है।
प्रथम चरण
(1530-1540) का केन्द्र सासाराम (बिहार) में था, जिसमें कई मकबरों का निर्माण हुआ। शेरशाह ने 1525 में उसने अपने पिता हसन खां के मकबरे का निर्माण करवाया।
दूसरा चरण
(1540-1545) आरंभ होता है। शेरशाह ने दिल्ली के छठे शहर के रूप में पुराना किला का निर्माण करवाया।
3. अकबर कालीन स्थापत्य
अकबर के शासन काल को मुगल स्थापत्य में महत्वपूर्ण काल माना जाता है इस काल के अंतर्गत हिंद- इस्लामी स्थापत्य की मिली जुली स्थापत्य कला का विकास हुआ
भवन परियोजनाएं
अकबर की भवन परियोजनाओं के अंदर आगरा, इलाहाबाद और लाहौर में बने किले शामिल किए जाते हैं। अकबर ने गुजरात और बंगाल शैली में कई इमारतें बनवाई थी लेकिन शाहजहां ने लगभग सभी संरचनाओं को तुड़वा कर फिर से बनवाया
4. जहांगीर और शाहजहां कालीन स्थापत्य
इस समय लाल बलुए पत्थर के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग होने लगा था। जिसकी वजह से मेहराब को नया रूप दिया गया
प्रमुख इमारतें
अकबर का मकबरा इस युग का उल्लेखनीय भवन माना जाता था। जिसका निर्माण कार्य अकबर ने अपने जीवन काल में ही शुरू करवा दिया था। लेकिन उसकी मृत्यु के बाद जहांगीर ने इसकी मूल रेखा में परिवर्तन किया और उसे एक नया रूप प्रदान किया। सिकंदरा में स्थित यह मकबरा अकबर और जहांगीर की स्थापत्य योजना के मिश्रण को दर्शाता है। शाहजहां के शासनकाल में भवन निर्माण में संगमरमर का उपयोग अत्यधिक होता था। शाहजहां द्वारा बनवाए गए दिल्ली का लाल किला, आगरा की मोती मस्जिद, दिल्ली का जमा मस्जिद, और ताजमहल सफेद संगमरमर से बना ताजमहल एक अमर कृति है।
5. औरंगजेब की इमारतें
औरंगजेबकालीन स्थापत्य में किसी विशेष विकास के लक्षण मौजूद नहीं थे। इसका कारण यह था कि औरंगजेब का स्थापत्य में कोई निजी रूचि नहीं थी। इस के शासनकाल में बनी इमारतों में बेगम का मकबरा लाहौर की बादशाही मस्जिद और मोती मस्जिद का नाम आता है।
सफदरजंग का मकबरा
दिल्ली में स्थित यह मकबरा मुगल शासन के अंतिम चरण की स्थापत्य कला मानी जाती हैं। यह दो मंजिला की गुबंदनुमा भवन है इसके निर्माण में लाल बलुए और संगमरमर के पत्थर दोनों का प्रयोग किया जाता।
दिल्ली सल्तनत के अधीन चित्रकला
दिल्ली सल्तनत कालीन चित्रकला को हम सुलेखन कला और पांडुलिपि चित्रण में विभाजित कर सकते हैं।
1. सुलेखन कला
इस्लामी समाज में सुलेखन की कला का प्रयोग कागजों एवं पत्थरों पर सजावट के लिए किया जाता था कुरान का सुलेखन पुस्तक कला का एक महत्वपूर्ण रूप बन गया। कुरान की प्रथम प्रतिलिपि 1399 की है, जो ग्वालियर में सुलेखित की गई थी।
2. पांडुलिपि चित्रण
फारसी और अवधी में अत्यधिक संख्या में कई ग्रंथ मिलते हैं, लेकिन कुछ हस्तलिपियां प्रांतीय दरबारों में चित्रित हुई प्रतीत होती हैं। कुछ विशेष पांडुलिपियों भी हैं, जिनका किसी दरबार से कोई संबंध नहीं है।
मुगलों के अधीन चित्रकला
16वी सदी से लेकर 17वी सदी के अंत होते- होते तक अकबर के शासन काल में भारत में चित्रकला और संगीत के क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि होती गई।
15वी शताब्दी में चित्रकला
नई खोजों के आधारित पर यह कहा गया है कि 13वी और 14वी सदी में कपड़ों पर चित्रकारी करने की परंपरा थी। इसके अलावा फारसी और अवधी भाषा की पांडुलिपियों में चित्रकारी की परंपरा भी चल रही थी। इन तथ्य से यह स्पष्ट होता है कि भारत में मुगलों के आने से ठीक पहले चित्रित पांडुलिपियों की परंपरा थी
आरंभिक मुगलकालीन चित्रकला
भारत में मुगल शासन की शुरुआत 16वी शताब्दी के पूर्व में हुई। इस युग में बाबर एवं हुमायूं के शासनकाल में चित्रकला के विकास के लिए अच्छे माहौल की कमी थी। लेकिन फिर भी हुमायूं ने अपने चित्रकला प्रेम के कारण शुरुआती मुगल काल में चित्रकला को ज्यादा से ज्यादा विकास कराने में योगदान दिया।
राजकीय चित्रकला की स्थापना
अकबर के शासन काल में चित्रकला के विकास के लिए राजकीय शिल्पशाला की स्थापना की गई इसके अंदर सभी चित्रकार मिलकर एक चित्र का निर्माण करते थे। चित्र को बनाने और रंगाई का काम दो अलग- अलग समूह द्वारा किया जाता था। कोई रूपरेखा बनाता था, तो कोई रंगने का काम करता था वास्तव में चित्रकारी की प्रक्रिया काफी मुश्किल होती थी।
जहांगीर और शाहजहां के शासनकाल में विकास