भारत का इतिहास- 1707- 1950 ई. तक- Unit- 1- Bhic- 134- ignou subject
परिचय
मुगल साम्राज्य का वर्चस्व भारत के बहुत बड़े हिस्से पर लगभग तीन शताब्दियों तक रहा। 18वीं शताब्दी के मध्य में मुगल साम्राज्य की शक्ति में तेजी से कमी आई। मुगल साम्राज्य का पतन हो गया और साम्राज्य के लगभग सभी भागों में स्वतंत्र राज्यों का उदय होने लगा।
18वीं शताब्दी की प्रमुख विशेषताएं
इस समय मुगल साम्राज्य का विभाजन हुआ जिससे क्षेत्रीय और छोटी- छोटी सत्ताओ में बट गया। भारत के व्यापारिक जीवन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा 18वीं शताब्दी में 17वी शताब्दी की तुलना में आर्थिक विस्तार हुआ और भारत के समुद्री व्यापार में समृद्धि आई इस कारण से भारत में भी काफी धन आया
मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी की शुरुआत
इरफान हबीब ने मुगलों द्वारा वसूल की जाने वाली राजस्व राशि को वश में किया और साम्राज्य की रक्षा के लिए बड़ी- बड़ी सेनाओं का रखरखाव किया गया। जिसकी वजह से राजस्व की दर बढ़ा दी गई। राजस्व की वसूली के कारण कृषकों की स्थिति दयनीय हो गई।
अब किसानों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया। कई सारे किसान खेत छोड़कर भाग गए। सतीश चंद्र के अनुसार साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण राज्य के अधिकारियों द्वारा जागीर प्रथा को सही तरीके से चलाने में असमर्थता थी सतीशचंद्र ने अपनी पुस्तक 'पार्टिज एंड पॉलिटिक्स एट द मुगल कोर्ट, 1707-40' में मुगल साम्राज्य की प्रकृति और पतन पर बहुत ज्यादा रिसर्च की है।
मुगल व्यवस्था में मनसबदारों को जागीरें दी जाती थीं, जिन्हें सैनिक रखने की अनुमति भी थी। सतीश चन्द्र के अनुसार औरंगजेब अपने अंतिम वर्षों में इस व्यवस्था को बनाए रखने में असफल सिद्ध हुआ।
शांति और सुरक्षा का अभाव
मुगल साम्राज्य के पतन का एक और कारण है शांति और सुरक्षा की कमी। मुगल साम्राज्य की स्थापना सैनिक और शक्ति बल पर हुई थी।बाबर और हुमायूं को भारतीय जनता विदेशी मानती थी।
विदेशी आक्रमण