Bhic- 134 Unit- 4 ( 1857 औपनिवेशिक सत्ता का विस्तार और सुदृढ़ीकरण ) भारत का इतिहास 1707- 1950 ई. तक
0Eklavya Snatakमई 12, 2023
भारत का इतिहास- 1707- 1950 ई. तक- Unit- 4- Bhic- 134- ignou subject
परिचय
18वीं शताब्दी के मध्य में ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक संस्थान से राजनीतिक सत्ता की ओर बढ़ने लगी जोकि मुगल सत्ता के पतन के बाद सरल था तथा इन्हें नया अवसर भी मिल गया था। यह Unit राजनीतिक वर्णन की बजाय ब्रिटिश शासन की उभरती विचारधाराओं और परंपराओं पर केंद्रित है।
प्रारंभिक छवियां
एडवर्ड टेरी और जॉन ओविंगटन भारत की यात्रा करने वाले शुरुआती यात्रियों में से एक थे आरम्भिक ब्रिटिश यात्रियों को बर्नियर के लेखन के माध्यम से ऑटोमन और फारसी साम्राज्यों के बारे में पता लगा था। क्सासिकल युग के विद्वान सर विलियम टेम्पल का मानना था कि लीकुरगुस और पायथागोरस ने भारतीयों से ही शिक्षा ग्रहण की थी
विलियम जोन्स
यह भारत के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे। इसलिए उन्होंने अनुभव किया कि भारत को ठीक प्रकार से समझने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है। तो उसने एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की जिसका उद्देश्य एशिया में रहकर या एशिया से बाहर रहकर दोनों प्रकार से इसका ज्ञान प्राप्त करना इस सोसाइटी ने भारत के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक पक्षों की गहराई से अध्ययन किया। इस सोसाइटी को गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स का पूरा समर्थन प्राप्त था।
हेस्टिंग्स की नीति
हेस्टिंग्स द्वारा एशियाटिक सोसाइटी को प्रोत्साहन करने के पीछे इस प्रकार के कारण थे। वह भारतीय संस्थाओं के साथ ब्रिटिश शासन का तालमेल स्थापित करना चाहता था इसके लिए देश के इतिहास, परंपराओं, अध्ययन की जरूरत थी।
उपयोगितावादी
उपयोगितावादी का मानना है कि वही काम शुभ है जो सिर्फ व्यक्ति विशेष के हित में ना होकर व्यापक सामाजिक हित के पक्ष में होता है। जो अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख प्रदान करने में सहायक हो उपयोगी शब्द पर अधिक जोर देने के कारण ही इस सिद्धांत या विचारधारा का नाम उपयोगितावाद पड़ गया ।
कानून का प्रश्न
भारत के संदर्भ में ब्रिटिश दृष्टिकोण पर उपयोगितावादी विचारों का प्रभाव पड़ा। बेंटिक ने कानून को परिवर्तन का एक माध्यम बनाकर सती और बालिका हत्या जैसे भारतीय कुप्रथाओं पर रोक लगाने का प्रयास किया बेंथम के सिद्धांतों के आधार पर कई कानून और दंड संहिताएँ लागू करी।