BHDLA- 137 ( वैयक्तिक लेखन की भाषा ) Unit- 11 हिंदी भाषा सम्प्रेषण कौशल
0Eklavya Snatakअप्रैल 29, 2023
BHDLA- 137 ( वैयक्तिक लेखन की भाषा ) Unit- 11 हिंदी भाषा सम्प्रेषण कौशल Subject- IGNOU- BAG- 2nd year
परिचय
वैयक्तिक लेखन एक ऐसा विशिष्ट लेखन होता है जिसमें लेखक अपने अनुभवों, और जीवन से संबंधित कई सारे तथ्यों पर प्रकाश डालता है वह अपने जीवन से संबंधित अलग- अलग आयामों पर प्रकाश डालता है जब लेखक अपने जीवन के विषय में लिखता है तो हम उसे आत्मकथा कहते हैं जब लेखक किसी व्यक्ति के संपर्क में आकर उससे संबंधित बातें लिखता है तो हम उसे स्मरण कहते हैं जब कोई व्यक्ति अपने दैनिक अनुभवों को लिखता है तो हम उसे डायरी लेखन कहते हैं जब कोई लेखक किसी स्थान पर यात्रा करता है और उसके बारे में लिखता है तो हम उसे यात्रा- वृतांत के आते हैं वैयक्तिक लेखन में लेखक अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को अंकित कर देता है
वैयक्तिक लेखन क्या है
वैयक्तिक लेखन वह होता है जो किसी व्यक्ति द्वारा लिखा जाता है। अगर हम इस तरह से समझे तो सभी लेखन वैयक्तिक लेखन होता है वैयक्तिक लेखन से अभिप्राय व्यक्ति द्वारा अपने बारे में लिखे गए लेखन से हैं वैयक्तिक लेखन में लेखक और उसकी अनुभूति के बीच अन्य कोई व्यक्ति नहीं होता है।
वैयक्तिक लेखन के प्रकार
आत्मकथा
आत्मकथा के लिए अंग्रेजी में Autobiography शब्द का प्रयोग होता है बनारसीदास जैन कृत 'अद्धर्कथा' (1641 ई.) है। हिंदी की पहली आत्मकथा मानी जाती है आत्मकथा किसी लेखक द्वारा अपने जीवन का वर्णन करने वाली कथा को कहते हैं यह स्मरण से मिलती- जुलती लगती है लेकिन यह अलग है
स्मरण
स्मरण में लेखक अपने आसपास के समाज, परिस्थिति, घटनाओं के बारे में लिखता है स्मरण में लेखक स्वयं द्वारा देखे गए अनुभव किए गए भावों का वर्णन करता है इसमें संपूर्ण जीवन का चित्रण नहीं होता बल्कि उसकी जगह कुछ घटनाओं का विवरण होता है।
डायरी
डायरी शब्द हिंदी में अंग्रेजी से आया है हिंदी में इसे दैनिकी कहा जाता है डायरी लेखन में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत अनुभवों, घटनाओं, भावनाओं को लिखता है और संग्रह करता है विश्व के कुछ महान व्यक्तियों ने डायरी लेखन किया था और उनके निधन के बाद कई लोगों को उससे प्रेरणा मिली है
यात्रा- वृतांत
जब कोई लेखक किसी स्थान की यात्रा करता है। तथा उस यात्रा के बारे में विस्तारपूर्वक लिखता है तो उसे यात्रा वृतांत कहते हैं यात्रा वृतांत में लेखक अपने यात्रा के बीच सभी अनुभवों को लिखता है यात्रा के दौरान उसने जिस स्थान पर समय व्यतीत किया है उसके बारे में लिखता है इसमें घटनाओं को रोचक बनाने के लिए प्रतीक, अलंकार, मुहावरे और लोकोक्तियां का सहारा लिया जाता है
वैयक्तिक लेखन की भाषा
वैयक्तिक लेखन में लेखक की उपस्थिति के कारण उसमें गहराई और भावुकता अधिक होती है
आत्मकथा की भाषा
आत्मकथा के अंदर सत्यता का विशेष महत्व होता है यदि आत्मकथा सत्य नहीं होगी तो वह आत्मकथा नहीं मानी जाएगी आत्मकथा में लेखक कहीं- कहीं हास्य व्यंग्य शैली का प्रयोग करता है और कभी- कभी भावपूर्ण भाषा का प्रयोग करता है।
स्मरण की भाषण
स्मरण की भाषा सरल वर्णनात्मक होती है क्योंकि स्मरण अत्यंत सामान्य व्यक्ति के बारे में भी लिखा जा सकता है स्मरण किसी विषय या व्यक्तिगत संबंध में लिखित ग्रंथ होता है इसलिए इसको ऐसे लिखा जाता है जिससे कि इसे समझना सरल हो इसलिए इसमें सरल भाषा का प्रयोग किया जाता है।
डायरी की भाषा
डायरी में लेखक अपने जीवन का वर्णन करता है। कभी- कभी डायरी लिखने वाला किसी के प्रति आक्रोश व्यक्त करने के लिए व्यंग्य का प्रयोग भी करता है इसमें डायरी लिखने वाला अपने विचारों और भाव को व्यक्त करता है इसलिए डायरी में सच्चाई भी उपलब्ध होती है
यात्रा वृतांत की भाषा
यात्रा वृतांत में लेखक अलग- अलग जगहों पर घूमता है और उसके बारे में वर्णन करता है स्थान का वर्णन करते समय लेखक की भाषा सरल हो जाती है। यात्रा वृतांत की भाषा को सरल रखा जाता है क्योंकि जब पाठक इसे पड़ेगा तो उसमें रूचि और प्रेरणा उत्पन्न होगी।