इतिहास लेखन की प्रवृतियां ( BHIC 133 ) भारत का इतिहास UNIT- 1 Ignou Notes in hindi
1Eklavya Snatakमई 15, 2022
परिचय
मध्यकालीन इतिहासकारों ने एक वंश से दूसरे वंश में होने वाले परिवर्तनों को भी अपने अध्ययन में सम्मिलित किया है इस इकाई में हम मध्यकालीन इतिहासकारों की दृष्टिकोण को समझेंगे। इसके अंदर अबू फजल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि उनके लेखन का उद्देश्य केवल प्रसिद्धि पाना तो नहीं था। इस इकाई में हम अरबी, फारसी इतिहास लेखन और विदेशी बृत्तांतो पर भी गहराई से चर्चा करेंगे।
अरबी और फारसीऐतिहासिक परंपरा
अरबी ऐतिहासिक परंपराओं में राजनीतिक, सैन्य घटनाओं और आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन को भी सम्मिलित किया है । 11 वीं सदी से शासन से जुड़े अधिकारियों और विद्वानों ने अपने शासकों और घटनाओं का इतिहास लिखना शुरू किया। अरबी इतिहास लेखन का केंद्र दरबार की राजनीति तथा अभिजात्य वर्ग पर थी इब्न खलदून की कृति ' मुकदिदमा' में मानव समाज व मानव संबंधों का विश्लेषण किया गया है फारसी इतिहास लेखन वंशवादी तक ही सीमित रहा, क्योंकि फारसी इतिहासकारों ने अपनी रचनाओं को शासकों के प्रति वफादारी सिद्ध करने के उद्देश्य से लिखा। फारसी भाषा इतनी प्रसिद्ध हो गई कि शीघ्र ही सुल्तानों, कुलीनो तथा साहित्यकारों की भाषा बन गयी।
राजनैतिक वृत्तांत : दिल्ली सल्तनत
सल्तनतकाल से संबंधित लेखन अधिकतर फारसी में व फारसी परंपरा के अनुरूप लिखा गया था। हसन निजामी की रचना के अनुसार दिल्ली सल्तनत काल (1191-1192) से 1229 सी.ई. तक का माना जाता है। अमीर खुसरो एक प्रसिद्ध कवि- इतिहासकार था जो दिल्ली की भवन संरचनाओं, दरबारी जीवन और उत्सव- समारोह का रोचकपूर्ण उल्लेख करता है।अफीफ ने पहली बार सल्तनत-काल के कुल राजस्व का ब्यौरा प्रस्तुत किया है।
ज़ियाउद्दीन बरनी
ज़ियाउद्दीन बरनी की प्राथमिक रचनाएं-तारीख-ए-फिरोज़शाही,फतवा-ए-जहाँदारी और साहिफा-ए-नात-ए-मुहम्मदी है। बरनी ने मुहम्मद बिन तुगलक के अंतर्गत 17 वर्षों तक नदीम (सलाहकार) के रूप में कार्य किया।
राजनैतिक वृत्तांत : मुगल
‘इकबालनामा-ए-जहांगीरी' के पहले खंड में तैमूर और हुमायूं के शासन-काल का उल्लेख दूसरे खंड में अकबर तथा तीसरा खंड जहांगीर के शासन के विभिन्न वृत्तांतों का वर्णन करता है। अबुल फज़ल-महान विद्वान शेख मुबारक फज़ल नागौरी के पुत्र अबुल फज़ल अकबर के दरबार के सचिव होने के साथ अकबर के करीबी मित्र थे। उन्होंने अकबरनामा तथा आइन-ए-अकबरी जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। 'आइन-ए-अकबरी' अकबर के साम्राज्य का सांख्यकीय वर्णन करता है। यह पांच पुस्तकों का संकलन है, जिसमें पहला भाग अकबर साम्राज्य के प्रतिष्ठानों, दूसरा सेना, तीसरा विभिन्न पदों, राजस्व दरों आदि का विवरण प्रस्तुत करता है। चौथी पुस्तक में हिन्दू दर्शन, धर्म, चिकित्सा विज्ञान आदि का उल्लेख है और पांचवी पुस्तक में अकबर के कथन समाहित है।
संस्मरण
यह एक ऐतिहासिक वृतांत है जो व्यक्तिगत यादाश्त पर आधारित है स्मरण कहलाता है- इस श्रेणी में फिरोज़शाह की फुतुहात-ए-फिरोज़शाही, बाबर की बाबरनामा, गुलबदन बेगम का हुमायूंनामा प्रमुख है।
आधिकारिक दस्तावेज
मुगलकालीन में आधिकारिक दस्तावेज बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध थे । इसमें फरमान, निशान, परवाना, हस्ब, चल , हुक्म आदि शामिल थे।
सूफी लेखन
सूफी लेखन से संबंधित कई प्रकार के साहित्य का उल्लेख मिलता है-मलफूजात, मकतूबात और सूफियों की जीवनी संबंधी वृत्तांत। मलफूजात नैतिक और धार्मिक पहलुओं से संबंधित है जबकि मक़तूबात के अंतर्गत सूफी शिक्षकों के अपने शिष्यों के लिए लिखे गए पत्राचार सम्मिलित हैं।
विदेशी यात्रियों के वृत्तांत
यात्रियों के वृतांत से हमें उनके भ्रमण के अनुभवों पर आधारित कई संस्कृत ग्रंथों के अरबी में अनुवाद होने से भारत-अरब संबंधों लेख- में सुदृढ़ता आई।
अल बरूनी
अल बरूनी के अरबी लेखन में भारत के शहरों का आकर्षक विवरण मिलता है। उसकी पुस्तक उल हिन्द इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। इब्नबतूता द्वारा रचित रेहला तुगलक के शासन की न्यायिक, राजनैतिक, सैन्य-संस्थाओं, कृषि-उत्पादों, व्यापार के बारे में बताता है इसके अलावा कई यूरोपीय यात्रियों द्वारा मुगलकाल के वृत्तांत लिखे गये हैं। इनमें से प्रमुख फादर मॉनसरेट, पेलसर्ट, टॉमस रो, बर्नियर, मनुची आदि हैं।
क्षेत्रीय ऐतिहासिक परंपरा
क्षेत्रीय ऐतिहासिक परंपरा के अंतर्गत विभिन्न राजस्थानी के 17वीं शताब्दी के रिकॉर्ड्स हैं, जिन्हें जयपुर रिकार्डस के नाम से जाना जाता है। ( आय और व्यय के रिकार्ड ) राजस्थान के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं पर रोशनी डालती है। 17वीं से 19वीं शताब्दी दस्तावेजों का संग्रह मिला है जो पेशवा और ईस्ट इंडिया कंपनी से संबंधित दस्तावेज हैं।
Mujhe sir apka number chahiye jisse ap se baat ho or BEGAE-182 ENGLISH Ki hai or bhi chahiye please help me
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