तनाव का सामान्य अर्थ
तनाव का अर्थ उस स्थिति को मानते हैं जिससे मनुष्य शारीरिक , मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित होता है प्रत्येक व्यक्ति के लिए तनाव की स्थिति अलग - अलग हो सकती हैजब मनुष्य अपने आसपास की गतिविधियों के कारण तनावग्रस्त होता है उस समय उसके शरीर की रक्त वाहिकाएं विशेष रसायन छोड़कर प्रतिक्रिया करती हैं
तनाव की अवधारणा
वर्तमान समय में तनाव एक साधारण समस्या है , जिसका अनुभव प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में करता है पहले कहा जाता था कि बच्चों में तनाव की प्रकृति नहीं होती लेकिन वर्तमान में देखें तो हालत यह है कि बच्चे भी तनावग्रस्त हैं , वह किसी ना किसी उहापोह में लगे रहते हैं प्रत्येक व्यक्ति के लिए तनाव का अर्थ अलग-अलग है
तनाव की उत्पत्ति
तनाव की उत्पत्ति अज्ञात भौतिक विज्ञान से होता है 17 वी शताब्दी के दौरान इसका उपयोग व्यक्तियों द्वारा अनुभव की गई कठिनाइयों को दर्शाने के लिए किया जाता था 18वीं शताब्दी के दौरान इस तनाव को दबाव या बल के रूप में वर्णित किया गया तनाव की प्रारंभिक अवधारणा, इसे कुछ उत्तेजनाओं के लिए एक व्यक्ति की प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया गया
विभिन्न विचारकों का मत
बाम का मत
1981 में बाम ने तनाव को ऐसी प्रक्रिया बताया जिसमें पर्यावरणीय घटनाएं या शक्तियां होती हैं जो एक जीव के अस्तित्व और स्वास्थ्य में को जोखिम में डालते हैं
शेफर का मत
शेफर ने तनाव को शरीर और मन की मांगो की प्रतिक्रिया में मन और शरीर की उत्तेजना के रूप में व्यक्त किया है
कैनन का मत या अध्ययन Study of kenan
कैनन एक मनोवैज्ञानिक था उसने व्यक्तित्व के प्रकार का वर्गीकरण किया साथ ही बहुत से सिद्धांत दिए कैनन के अध्ययन का उल्लेख मुख्य रूप से संघर्ष और पलायन की प्रतिक्रिया का अध्ययन है कैनन द्वारा दिया मत जानवरों के साथ-साथ मनुष्य के ऊपर तनाव के प्रभाव पर केंद्रित था कैनन द्वारा शारीरिक परिवर्तनों का भी अवलोकन किया गया
विभिन्न विचारकों के मत या अध्ययन के परिणाम
इस प्रकार एक परिणाम पर पहुंचा जा सकता है की तनाव एक व्यक्ति की उस प्रतिक्रिया पर केंद्रित है या तो यह केवल शरीर पर केंद्रित है या यह मन के महत्वपूर्ण पहलू को सामने लाती है जिसका अर्थ है कि तनाव शरीर के साथ-साथ मन की भी प्रतिक्रिया है कुछ विचारकों का मत तनाव को व्यक्ति और पर्यावरण के बीच संबंधों पर आधारित मानता है
तनाव की प्रकृति Nature Of Stress
तनाव शब्द की उत्पत्ति- तनाव के अंग्रेजी शब्द Stress की उत्पत्ति लैटिन शब्द strictus से हुई है जिसका अर्थ है कसना या तंग होना यह मूल शब्द व्यक्ति की तनाव की अवस्था में मांसपेशियों की कसावट तथा संकुचन को दर्शाता है
तनाव के लक्षण Nature Of Stress
1. शारीरिक लक्षण - इसमें शारीरिक कमजोरी , पेट की खराबी , सिर दर्द होना , माइग्रेन की समस्या, दिल की धड़कन का तेज होना, मांसपेशियों में खिंचाव
2. संवेगात्मक लक्षण - इसमें निराशा , चिड़चिड़ापन , उदास , अकेलापन आदि सम्मिलित होता है
3. मनोवैज्ञानिक लक्षण - निरंतर चिंता करना , निरंतर प्रतिकूल दशाओं का अनुभव करना, ध्यान केंद्रित ना होना , निराशा महसूस करना शामिल होता है
व्यवहारात्मक लक्षण
1. इसमें मूल व्यवहार में परिवर्तन दिखाई पड़ना ,
2. मादक पदार्थों का सेवन करना
3. नकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित
4. दुर्घटनाग्रस्त महसूस करना
तनाव के कारक : दबाव कारक
दबाव कारक वह कारक होते हैं जिनके कारणवश व्यक्ति विशेष तनाव या स्ट्रेस को महसूस करता है
दबाव कारक में आंतरिक और बाहय दोनो कारक सम्मिलित होते हैं
1. आंतरिक कारण - इसमें पारिवारिक कारण जैसे आपसी रिश्तो में मनमुटाव , पारिवारिक लड़ाई - झगड़े शामिल किए जाते हैं
2. बाहय कारक - इसमें बाहर की की आवाजें , शोर , सामाजिक अनुबंध में होने वाले लड़ाई - झगड़े शामिल किए जाते हैं
तनाव व्यक्ति को कार्य करने के लिए भी प्रेरणा देता है
लेकिन अगर तनाव अधिक हो जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है जिस प्रकार भोजन में नमक की सीमित मात्रा भोजन को अधिक स्वादिष्ट बना देती है ठीक उसी प्रकार सीमित तनाव व्यक्ति को कार्य की प्रेरणा देता है
तनाव के प्रकार (Types Of Stress)
1. आहालादक जनित तनाव
2. दुख या वेदना
3. अति तनाव
4. चिरकालिक तनाव
तनाव के विभिन्न प्रकार
तनाव चार प्रकार के होते हैं
1. आहालादक जनित तनाव - यह अल्पकालिक तनाव होता है साथ ही यह सकारात्मक होता है यह हमें किसी काम को अधिक अच्छे ढंग से करने की प्रेरणा देता है इस तनाव के परिणाम स्वरूप व्यक्ति विशेष परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त कर लेता है
2. दुख या वेदना- यह नकारात्मक तनाव होता है और यह जीवन की नकारात्मक दशाओं के कारण उत्पन्न होता है यह किसी घबरा देने वाली घटना के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है उदाहरण के रूप में किसी प्रिय से बिछड़ जाना
3. अति तनाव : यह एक नकारात्मक तनाव है जो कम समय में अधिक काम को करने के कारण आता है यह एक बंदिश के रूप में है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति अति तनाव का शिकार होता
4. चिरकालिक तनाव : यह अति तनाव का विपरीत है यह ऐसी अवस्था है जिसमें मनुष्य किसी एक ही काम को करने से ऊब जाता है उदाहरण के रूप में यदि एक अध्यापक को कई वर्षों तक एक ही कक्षा में एक ही विषय पढ़ाने को दिया जाए तो वह कहीं ना कहीं ऊब जाएगा
तनाव के स्रोत
1. अंतर व्यक्तिक सबंध - इसका तात्पर्य पारिवारिक रिश्तो या आपसी संबंध में या पारिवारिक संबंधों में मतभेद इत्यादि शामिल होता
2. दैनिक बाधाएं - इसमें समय की कमी, दैनिक कार्य , दैनिक जिम्मेदारियां आदि शामिल किए जाते हैं
3. सामाजिक परिस्थितियां - इसमें भीड़ , भेदभाव , सामाजिक परिस्थिति जैसे सामाजिक भेदभाव सामाजिक दबाव शामिल होता है