B.A. FIRST YEAR ( HISTORY ) IGNOU- BHIC 131 भारत का इतिहास (प्रारंभ से 300 ई. तक)- Chapter- 13th मौर्य साम्राज्य की स्थापना तथा मगध साम्राज्य का विस्तार


मौर्य शासन का उदय 

चाणक्य की कूटनीति और चंद्रगुप्त के शौर्य एवं रणकौशल के संगम द्वारा नंद वंश के अंतिम राजा घनानंद का अन्त करके मौर्य शासन की स्थापना की इससे पहले चंद्रगुप्त ने पंजाब और सिंध में भी सिकंदर के विदेशी शासन से  जनता को छुटकारा दिलाया पंजाब तथा सिंध में विदेशी शासन का अंत करने के बाद उसने भारत के अधिकांश भाग पर अपना आधिपत्य कर लिया 

चंद्रगुप्त ने 6 लाख सेना लेकर समूचे भारत पर अपना  आधिपत्य स्थापित किया चंद्रगुप्त एक कुशल योद्धा, सेनानायक तथा महान विजेता ही नहीं बल्कि एक योग्य शासक भी था कौटिल्य (चाणक्य या विष्णुगुप्त )ये चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु तथा मुख्यमंत्री के रूप में  हमेशा उनके साथ रहे, मगध पर विजय प्राप्त करने में कौटिल्य का अहम रोल था चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य उत्तर में हिमालय तथा पश्चिम में हिंदकुश तक फैला  था 

इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी, जैन परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासनकाल के अंत में जैन धर्म को  स्वीकार किया, चंद्रगुप्त मौर्य के पश्चात उसका पुत्र बिंदुसार गद्दी पर बैठा  बिंदुसार ने लगभग 25 वर्ष तक राज्य किया  इसके शासनकाल में उसके 500 से अधिक मंत्री थे इसकी मृत्यु 274 ई. पू. में हुई बिंदुसार ने यूनान, मिस्र, सीरिया आदि देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाएं


अशोक मौर्य

बौद्ध ग्रंथ के अनुसार बिंदुसार के 101 पुत्रों में से सुमन सबसे बड़ा अशोक दूसरा और तिष्य सबसे छोटा पुत्र था सिंघली स्रोत कहते हैं की अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया किंतु यह बात कल्पना लगती है क्योंकि अशोक का इतिहास उसके अभिलेखों के आधार पर तैयार हुआ अशोक पहला राजा हुआ जिसने अभिलेखों से जनता को संबोधित किया युद्ध से विमुखता और धम्म के सिद्धांत के आधार पर शासन की  स्थापना ने अशोक को विशेष प्रसिद्धि दी


मौर्य शासकों की सूची

1. चन्द्रगुप्त मौर्य-322-298 ईसा पूर्व (25 वर्ष)

2. बिन्दुसार-298-273 ईसा पूर्व (25 वर्ष)

3. अशोक-273-232 ईसा पूर्व (41 वर्ष)

4. कुणाल-232-228 ईसा पूर्व (4 वर्ष)

5. दशरथ-228-224 ईसा पूर्व (4 वर्ष)

6. सम्प्रति-224-215 ईसा पूर्व (9 वर्ष)

7. शालिसुक-215-202 ईसा पूर्व (13 वर्ष)

8. देववर्मन्-202-195 ईसा पूर्व (7 वर्ष)

9. शतधन्वन्-195-187 ईसा पूर्व (8 वर्ष)

10. बृहद्रथ 187-185 ईसा पूर्व (2 वर्ष)


मौर्य साम्राज्य की जानकारी प्राप्त करने के स्रोत

कौटिल्य का अर्थशास्त्र मेगास्थनीज की पुस्तक इंडिका चीनी यात्री फाह्यान, हेनसांग, इतिसंग के विशेष विवरण अशोक के लगभग 37 अभिलेख रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख मौर्यकालीन कलाकृतियां तथा भग्नावशेष स्तूपो विहारो,मठों, गुफाओं आदि से तथा मौर्यकालीन सिक्कों से भी उस समय के इतिहास पर पर्याप्त जानकारी मिलते हैं


मगध का विस्तार

महाजनपदों में मगध सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरा मौर्य साम्राज्य का केंद्र होने के कारण यह अपनी चरम अवस्था में पहुंचा हालांकि छठी सदी ईसा पूर्व से ही मगध का विस्तार प्रारंभ हो गया था दक्षिण के क्षेत्रों को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग मगध साम्राज्य के अधीन था भौगोलिक दृष्टि से जा मगध स्थित था वहां की मिट्टी जलोढ़ वे उपजाऊ थी 

इस इलाके में लोह खनिज पर्याप्त मात्रा में था लोहे से ना केवल हथियार बनाने में सहायता मिलती बल्कि कृषि के औजार बनाने में भी सहायता मिलती इसके आसपास दक्षिण बिहार के जंगल थे इससे वन संपदा का लाभ मिलता साथ ही नदियों ने संचार एवं परिवहन की सुविधा भी प्रदान की इन सारी  सुविधाओं के कारण मगध विशेष महत्व रखने वाला स्थान था



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