समानता का अर्थ
समानता की परिभाषा देना उतना ही कठिन है जितना इसे प्राप्त करना समानता का असमानता से सापेक्ष संबंध है। पुराने समय में हिंदू समाज 4 वर्ग में बटा हुआ था ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इस वर्गीकरण के आधार पर ही मनुष्य को अधिकार प्राप्त थे जो यह दर्शाता है कि असमानता है बहुत लंबे समय से चली आ रही है। वर्तमान समय में असमानता दो प्रकार से है एक प्रकृति के द्वारा दूसरी समाज के द्वारा प्रकृति के द्वारा विभिन्न व्यक्तियों में रंग, रूप, बल, बुद्धि प्रतिभा आदि की दृष्टि से भेदभाव किया जाता है। दूसरा समाज द्वारा उत्पन्न विषमता है जैसे अधिकारों,अवसरों एवं परिणामों की असमानता राजनीति विज्ञान में समानता का तात्पर्य सामाजिक विषमता द्वारा उत्पन्न और असमानता से है अर्थात समानता का तात्पर्य ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व से होता है जिसके कारण सभी व्यक्तियों को व्यक्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो।
लास्की के विचार में समानता का अर्थ
अधिकारों की समानता होनी चाहिए व्यक्तियों को विकास के लिए पर्याप्त अवसर होने चाहिए सभी को एक समान सामाजिक लाभ प्राप्त होने चाहिए जन्म या कुल के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए आर्थिक एवं सामाजिक शोषण का अस्तित्व नहीं होना चाहिए।
समानता के विभिन्न आयाम
टर्नर ने कहा "समानता एक बहुआयामी संकल्पना है“ कानूनी समानता - इस को दो भागों में विभाजित किया जाता है। कानून के सम्मुख समानता - सभी समान व्यक्तियों के बीच कानून बराबर होना चाहिए उसे समान रूप से लागू किया जाना चाहिए कानून की नजर में अमीर गरीब पूंजीपति कामगार आदि के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए कानून के तहत सबके जीवन की रक्षा और उसके उल्लंघन पर सामान दंड की व्यवस्था होनी चाहिए।
कानून का समान संरक्षण
इसके अंतर्गत एक समान व्यक्तियों के लिए एक समान कानून होने चाहिए जैसे महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण या विशेष कतारें, छात्रों तथा बुजुर्गों के लिए विभिन्न क्षेत्रो में दी जाने वाली छूट, दिव्यांगों को दी जाने वाली छूट आदि।
राजनीतिक समानता