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B.A. FIRST YEAR ( HISTORY ) Chapter- 8 IGNOU- BHIC 131 भारत का इतिहास (प्रारंभ से 300 ई. तक)- प्रारंभिक वैदिक समाज


वैदिक सभ्यता

वैदिक सभ्यता का कालखंड 1500 पूर्व से 600 ईसा पूर्व माना जाता है वैदिक सभ्यता को दो भागों में विभाजित किया जाता है पूर्व वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल पूर्व वैदिक काल का कालखंड 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व उत्तर वैदिक काल 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्वप्रारंभिक वैदिक समाज के अध्ययन हेतु साहित्यिक स्रोत के रूप में हमारे पास चार वैदिक ग्रंथ है ऋग्वेद ( सबसे पहला और प्राचीन )


ऋग्वेद 

ऋग्वेद 1028 सूक्त और 10 मंडलों में विभक्त है इसमें देवताओं की सुंदर ढंग से स्तुति की गई है प्रत्येक सूक्त और मंत्रों के साथ उसके ऋषि और देवता का नाम दिया गया है कुछ ऋषियों में स्त्रियां भी शामिल है जैसे विदर्भराज् की पुत्री और अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा  ऋग्वेद की 3 शाखाएं हैं कीथुय, राणीनीय, जैमिनीय


सामवेद 

सामवेद में कुल 1549 मंत्र हैं इसके 75 मंत्र अपने हैं और शेष ऋग्वेद से लिए गए हैं इसके मंत्र गायन संबंधी है तथा पुराणों के अनुसार सामवेद की सैकड़ों शाखाएं बताई गई है


यजुर्वेद

यजुर्वेद के कुल 40 अध्याय हैं यजुर्वेद के दो भाग हैं कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद , कृष्ण यजुर्वेद में मंत्रों का संग्रह है जबकि शुक्ल यजुर्वेद में मंत्रों के साथ-साथ गद्यात्मक व्याख्या भी है इस वेद के अध्ययन से आर्यों की धार्मिक तथा सामाजिक दशा का ज्ञान होता है


अथर्ववेद 

इसमें 731 सूक्त और 20 अध्याय हैं इस की दो शाखाएं हैं शौनक और पिप्लाद इस वेद में चिकित्सा संबंधी सामग्री तथा वशीकरण भूत पिचास के बारे में उल्लेख मिलता है प्राचीन भारत की सभ्यता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए  यह वेद बहुत उपयोगी है इसमें आर्यों के दार्शनिक विचार का भी उल्लेख है


आर्यों का आगमन

वैदिक सभ्यता आर्यों के द्वारा निर्मित हुई इतिहासकारों के अनुसार आर्य मध्य एशिया से आए आर्यों का आगमन 1500 ईसा पूर्व माना जाता है जबकि हड़प्पा सभ्यता का पतन 1800 ईसा पूर्व के आस पास हो चुका था आर्य ग्रामीण संस्कृति के लोग थे जबकि हड़प्पा एक उत्कृष्ट शहरी सभ्यता थी इसलिए आर्य को हड़प्पा सभ्यता से जोड़कर देखने के पुष्ट प्रमाण नहीं मिलते और ना ही उनके आक्रमण के कोई साक्ष्य मिलते हैं


सामाजिक जीवन

वैदिक समाज कबीलाई समाज था व जातीय एवं पारिवारिक संबंधों पर आधारित था परिवार समाज की प्राथमिक इकाई था कुलप परिवार का सबसे बड़ा पुरुष परिवार का मुखिया था जो परिवार की रक्षा करता था समाज पितृसत्तात्मक था पुत्र की प्राप्ति लोगों की सामान्य इच्छा थी जन का मुखिया राजा या गोपति होता थासमाज में महिलाओं का भी काफी महत्व था वह शिक्षित थी तथा सभाओ में भाग लेती थी शिक्षा का मौखिक रूप से आदान-प्रदान किया जाता था शिक्षा की परंपरा कम थी सामान्य वर्ण व्यवस्था विद्यमान थी जिसको पुरुष सूक्त के नाम से जाना जाता था  ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र


राजनैतिक व्यवस्था

कबीलाई राज्य व्यवस्था समानतावादी नहीं थी ऋग्वेद में दोहरा सामाजिक विभाजन मिलता है जिसको दो वंशीय समूहों के रूप में रखा गया प्रथम राजनय जो युद्ध करते थे जिन्होंने उच्च वंशीय परंपरा प्राप्त की और शेष कबीले साधारण सदस्य या विश जिन्होंने छोटी वंशीय परंपरा प्राप्त थी पुरोहित को एक अलग स्थान मिला हुआ था


धार्मिक जीवन

आर्य प्राकृतिक शक्तियों जैसी  जल, वायु, वर्षा, बादल, आग पर देवी शक्ति का आरोपण करके मानव रूप में उनकी उपासना करते थे इंद्र शक्ति का देवता था उसकी उपासना शत्रु के नाश एवं वर्षा के लिए की जाती थी वरुण जल का देवता तथा प्राकृतिक व्यवस्था का रक्षक भी था मृत्यु का देवता यम अन्य दूसरे देवता सूर्य, सावित्री, सोम, रूद्र आदि थे 



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