B.A. FIRST YEAR ( HISTORY )Chapter - 5 IGNOU- BHIC 131 भारत का इतिहास (प्रारंभ से 300 ई. तक)- Chapter - 5 हड़प्पा सभ्यता : कालक्रम, भौगोलिक विस्तार एवं पतन


एक प्राचीन शहर की खोज

सबसे पहले 1826 एक अंग्रेज चार्ल्स मोसन ने हड़प्पा गांव को देखा । 1853 से 1856 के बीच रेलवे ट्रैक बिछाया जाने का कार्य चल रहा था। यह रेलवे ट्रैक कराची से लाहौर तक बिछाया जा रहा था। इसकी अध्यक्षता कनिंघम नाम के अधिकारी के अधीन थी। उन्होंने कुछ पुरातात्विक वस्तुए इक्कठी की  सर्वप्रथम 1921 में हड़प्पा सभ्यता का पता चला। 1921 से 24 तक खुदाई कार्य चले जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी और आर डी बनर्जी ने कार्य किया। 1921 से 1947 से लगभग 40 शहर खुदाई के दौरान खोज में मिले अब तक 1500 से अधिक स्थल खोजे जा चुके हैं अफगानिस्तान में 02 पाकिस्तान में 475 और भारत में 925


हड़प्पा सभ्यता का युग

जॉन मार्शल के अनुसार इस सभ्यता का काल लगभग 5000 वर्ष पुराना है। मार्शल ने बताया कि हड़प्पा से प्राप्त साक्ष्य जैसे मोहरे, ठप्पे आदि उनसे बिल्कुल अलग थे जिनसे इतिहासकार  अब तक परिचित थे।परंतु कनिंघम के अनुसार यह सभ्यता 1000 वर्ष पुरानी है।भारतीय इतिहासकारों के अनुसार यह सभ्यता 5500 से 8000 वर्ष ईसा  पूर्व पुरानी है।


हड़प्पा का कालानुक्रम

मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) जैसी बस्तियों का कालानुक्रम 5500 से 3500 ई.पूर्व है। यहां के लोग पशुचारण के साथ-साथ खेती करते थे। यह लोग गेहूं, जो, खजूर तथा कपास की खेती करते थे।इनके मकान मिट्टी के थे तथा भेड़ बकरियों को पालते थे।

3500-2600 ईसा पूर्व में अनेक बस्तियां स्थापित हुई तांबे का प्रयोग तथा मिट्टी के बर्तन बनने लगे तथा अन्न का भंडारण किया जाता था पीपल, कुबड़ा बैल, सींगवाले देवता की आकृतियां भी प्राप्त हुई 

2600-1800 ईसा पूर्व के मध्य में नगरों का सुनियोजित निर्माण होने लगा समान आकार की ईटें, मिट्टी के बर्तन, सुनियोजित व्यापार, समकोण पर काटती सड़कें आदि नगरीकरण की विशिष्ट लक्षण थे

1800 ईसा पूर्व के बाद नगरों का पतन होने लगा


भौगोलिक विस्तार

1. उत्तर में मांडा (जम्मू कश्मीर) 

2. पश्चिम में सुत्कागैंडोर (बलूचिस्तान)

3. दक्षिण में दैमाबाद (महाराष्ट्र ) तथा भगतराव (गुजरात)

4. पूर्व में अलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)


हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण केंद्र

हड़प्पा : 1921 में दयाराम साहनी और कुछ अंग्रेजी पुरातत्वविदो ने हड़प्पा में खुदाई का कार्य किया यह नगर पश्चिमी पंजाब एवं रावी नदी के तट पर मिला इस नगर के अवशेष लगभग 3 मील के घेरे में है हड़प्पा में जनसंख्या का एक बड़ा भाग खाद्य उत्पादन से भिन्न क्रियाकलापों जैसे प्रशासन, व्यापार, कारीगरी या धर्म में लगा था


मोहनजोदड़ो 

सिंधु नदी के तट पर बसे सिंधु प्रांत के लरकाना जिले में स्थित मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी बस्ती है इस जगह खुदाई का काम 1922 में आर डी बनर्जी की देखरेख में हुआ यहां खुदाई के दौरान इमारतों के अवशेष और मलबे के ढेर की ऊंचाई लगभग 75 फुट मिली 

कालीबंगा 

1960 के दशक में बी के थापर के निर्देशन में यहां उत्खनन कार्य चला यहां अनेक प्रकार के मिट्टी के बर्तन पाए गए

लोथल

गुजरात में रंगपुर, सुरकोटड़ा और लोथल आदि बस्तियां पाई गई लोथल समुद्री व्यापार के लिए महत्वपूर्ण स्थान रहा होगा इसका उत्खनन कार्य एस.आर. राव ने किया यहां एक जहाजी मालघाट की खोज का दावा भी किया जाता है

सुत्काजीन- दोर

यह पाकिस्तान ईरान सीमा से लगे मकरान समुद्र तट के निकट है इस शहर में एक किला था जिसके चारों ओर रक्षा के लिए पत्थर की दिवारी थी

अमरी  

अमरी से प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि लोग मिट्टी की ईंट और पत्थरों के मकान में रहते थे वहा अनाज के भंडार के लिए कोठार भी थे वहां से प्राप्त बर्तनों पर कुबड़े बैलों का चित्र विकसित हड़प्पा में बहुत ही लोकप्रिय था

मेहरगढ़ (बलूचिस्तान)

हड़प्पा के विकास से पूर्व यहां के लोगों ने एक उपनगर बसाया था जहां वे कई प्रकार के मनके बनाते थे यहां से टप्पे वाली मोहरे भी प्राप्त हुई जो व्यापारियों द्वारा सुदूर व्यापार में प्रयुक्त होती थी जिससे सिद्ध होता है कि उनका मध्य एशिया से संबंध था

1- धोलावीरा 

2- रखीगढ़ी 

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