परिचय
प्रकृति ने मानव को आरंभ से ही संरक्षण दिया है
उसे खाने के लिए फल कंदमूल, पीने के लिए पानी तथा जीवन के लिए
स्वच्छ वातावरण प्रदान किया है
मानव और प्रकृति दोनों में अटूट संबंध है
प्राकृतिक संसाधनों जैसे वनस्पति मिट्टी वर्षा जल वायु इत्यादि के
सहयोग से मानव अपनी विकास यात्रा को आगे बढ़ाता आया है
प्राकृतिक भूगोल और इतिहास
भारत के प्रत्येक क्षेत्र की भौगोलिक आकृति तथा जलवायु भिन्न है
जिसके साथ साथ जनसंख्या घनत्व, खान-पान, रहन-सहन, पहनावा भी भिन्न है
किसी क्षेत्र की मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है तो वहां का जनसंख्या घनत्व अधिक होता है
वहीं अगर कहीं मिट्टी अनुर्वरक है तो वहां का जनसंख्या घनत्व भी कम होता है
पर्यावरण और मानव बस्तियां
मानव बस्तियों के विकास में पर्यावरण का अहम रोल है
किसी भी सभ्यता का विकास नदी के किनारे तथा उपजाऊ क्षेत्र में ही हुआ
उदाहरण के लिए हड़प्पा, मेसोपोटामिया, सुमेरियन जैसी सभ्यताएं देखी जा सकती है
नदियों की सहायता से उपजाऊ जमीन मिलती है पर्याप्त मात्रा में जल मिलता है तथा
नदियों के द्वारा व्यापार की सुविधा भी प्राप्त होती है
जो किसी भी मानव बस्ती को या सभ्यता को फलने फूलने में अत्यधिक सहायक है
मगध बुधकालीन समय का एक मजबूत राजतंत्र था
जिसकी सीमाएं उत्तर में गंगा से दक्षिण में विंध्य पर्वत तक
पूर्व में चंपा तथा पश्चिम में सोन नदी तक विस्तृत थी
यहां उपजाऊ जमीन पर्याप्त वर्षा लोहे की खान लकड़ी के अच्छे स्रोत एवं
नदियों के द्वारा व्यापार की सुविधा ने मगध साम्राज्य को सफल बनाया
मगध की राजधानी पाटलिपुत्र थी जिसका उत्थान और पतन के
कारण भौगोलिक परिस्थितियां थी
उदाहरण के लिए गंगा, सोन, गंडक नदियां पाटलिपुत्र को प्राकृतिक
संरक्षण देती थी तथा यह नदियां व्यापार का मार्ग प्रदान करती थी
जिससे पाटलिपुत्र का उत्थान हुआ
इन्हीं नदियों में लगातार बाढ़ आने के कारण इस के मार्ग बदल
जाने से पाटलिपुत्र का महत्व कम हो गया
भू आकृतिक विभाजन
भारतीय उपमहाद्वीप को तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1] हिमालय के पर्वतीय प्रदेश
2] गंगा सिंधु के मैदान
3] प्रायद्वीप भारत (पठार)
हिमालय को तीन भागों में बांटा जाता है
1] पूर्वी हिमालय
2] पश्चिमी हिमालय
3] मध्यवर्ती हिमालय
पूर्वी हिमालय का विस्तार ब्रह्मपुत्र के पूर्व में असम से चीन तक फैला है
मध्यवर्ती हिमालय भूटान से चिकाल तक विस्तृत है इसी प्रदेश से भारत और
तिब्बत के मध्य व्यापार चलता रहा
पश्चिमी हिमालय अफगानिस्तान तक विस्तृत है
खैबर व अन्य दर्रे तथा काबुल नदी इस क्षेत्र को सिंधु के मैदान से जोड़ते हैं
अफगानिस्तान का शोतुरघोई हड़प्पाकालीन व्यापारिक केंद्र था
अफगानिस्तान और भारत के मैदानों को ईरान और मध्य एशिया से जुड़ने
वाले सभी मार्ग खैबर, बोलन और गोमल दर्रे से होकर जाते हैं
शक कुषाण यूनानी इत्यादि हमलावर इन्हीं मार्गों का प्रयोग कर भारत में
दाखिल हुए थे
सिंधु का मैदान
इस मैदान के भूभाग को पंजाब के नाम से जाना जाती है
पंजाब अर्थात पांच नदियों वाले भूभाग को पंजाब कहा जाता है
सिंधु की 5 सहायक नदियां रावी, चिनाव, झेलम, सतलुज और व्यास जो इस
क्षेत्र को जलोढ़ मिट्टी के साथ अत्यधिक उपजाऊ बनाती थी
हड़प्पा संस्कृति के दो नगर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पंजाब और सिंधु में ही
अवस्थित है
मध्य भारत
मध्य भारत एक ऐसा पर्वतीय क्षेत्र है जहां पहाड़ियों की ऊंचाई अधिक नहीं है
इसमें घटिया शामिल है यहां के पर्वतों का विस्तार पूर्व से पश्चिम की ओर है
अरावली पर्वत श्रंखला राजस्थान को दो भागों में बांटती है
अरावली के पूर्व का भाग काफी उपजाऊ है यह क्षेत्र ताम्र-पाषाण युग की
बस्तियों का है इसके पूर्व में छत्तीसगढ़ का उपजाऊ क्षेत्र है जहां अधिक वर्षा के
कारण धान की पैदावार अच्छी होती है
मध्य क्षेत्र में दक्षिण बिहार पश्चिमी उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश आते हैं
जो आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं
मध्य भारत के पश्चिमी क्षेत्र पर गुजरात स्थित है
कच्छ का रण इसका एक अन्य प्राकृतिक क्षेत्र है
यह क्षेत्र हड़प्पा काल से ही लगातार प्राचीन बस्तियों का क्षेत्र रहा है
यहां के मैदान नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती, नदियों द्वारा लाई गई
मिट्टी से बने हैं अपनी लंबी तट रेखा के कारण यह क्षेत्र आज भी विदेशी
व्यापार का केंद्र है
प्रायद्वीपीय भारत
प्रायद्वीपीय भारत की सीमा दक्कन के पठार और तटवर्ती मैदानों से है
दक्कन का पठार तीन भागों में बटा हुआ है
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की सीमा काली मिट्टी पाई जाती है जिसकी मुख्य खेती कपास है
और सीमा के उस पार तेलंगाना में लाल मिट्टी पाई जाती है
जिस पर ज्वार दलहन और तिलहन इत्यादि की पैदावार होती है
Sir ignou july2021 session ka assignment solution apload kr dijiye pls sir
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