परिचय
प्राचीन काल के लोगों के भौतिक जीवन, सामाजिक जीवन एवं आर्थिक जीवन की जानकारी प्राप्त करने के लिए पुरातत्व अत्यंत प्रमाणित साधन है पुरातत्व के अंतर्गत तीन प्रकार के साक्ष्य आते हैं
अभिलेख
अभिलेख अधिकांशतः स्तंभों, शिलाओ, ताम्रपत्र, मुद्राओं, पात्रों, मूर्तियों एवं गुफाओं आदि पर उत्खनित है सबसे प्राचीन अभिलेख जिन्हें पढ़ा जा सका है वह अशोक के हैं अशोक के अधिकांश अभिलेखों की भाषा प्राकृत है एवं लिपि ब्राह्मी है जो बाएं से दाएं लिखी जाती थी। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्राप्त अशोक के शिलालेखों में यूनानी और अमराइक लिपियों का प्रयोग हुआ है। अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सर्वप्रथम सफलता 1837 ईस्वी में जेम्स प्रिंसेप को मिली सबसे अधिक प्राचीन अभिलेख 2500 ईसा पूर्व की हड़प्पा काल के हैं।
अभिलेख अनेक प्रकार के हैं
कुछ अभिलेखों में अधिकारियों और जनता के लिए जारी किए गए सामाजिक,आर्थिक और प्रशासनिक राज्य आदेश एवं निर्णय की सूचना रहती है जैसे अशोक के अभिलेख दूसरे प्रकार के अभिलेख हैं जिन्हे बौद्ध, जैन, वैष्णव आदि संप्रदायों के अनुयायियों ने स्तंभों, पत्थरों, मंदिरों, एवं प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण कराया
तीसरे प्रकार के अभिलेख है जिनमें राजाओं की विजय प्रशस्तिओं का वर्णन किया है
प्रशस्ति अभिलेखों में प्रसिद्ध है खारवेल का हाथीगुंफा अभिलेख, रुद्रदमन का गिरनार जूनागढ़ अभिलेख, समुद्रगुप्त का हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग स्तंभ लेख आदि।
भूमि अनुदान पत्र
राजाओं और सामंतों द्वारा भिक्षुओं, ब्राह्मणों, मंदिरों, विहारो, जागीरदारों और अधिकारों को दिए गए भूमियों और राज्य से संबंधित दानों का विवरण तांबे की चादरों पर उत्कीर्ण है ये ताम्रपत्र प्राकृत, संस्कृत, तमिल एवं तेलुगू भाषाओं में लिखे गए हैं जो मध्यकालीन भारत की अर्थव्यवस्था को बताते है।
मुद्राएं