परिचय
यदि हम प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी के साधनों की बात करें
तो उसे दो भागों में बांटा जा सकता है
साहित्यिक साधन
और पुरातात्विक साधन
साहित्यिक स्रोत के अंतर्गत हम अध्ययन करते हैं
धार्मिक
- ब्राह्मण ग्रंथ
- श्रुति (वेद, ब्राह्मण, उपनिषद, वेदांग)
- स्मृति (रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियां)
लौकिक साहित्य
- विदेशी विवरण
- जीवनी
- ऐतिहासिक ग्रंथ
पुरातात्विक साधन
- अभिलेखों
- मुद्राशास्त्र
- एवं स्मारकों
इसके अलावा प्राचीन भारत के इतिहास का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हम
- बौद्ध ग्रंथ
- एवं जैन ग्रंथों
पूरालेखाविद्या ( EPIGRAPHY )
पूरालेखाविद्या के अंतर्गत अभिलेखों का अध्ययन किया जाता है
इन अभिलेखों को प्राचीन इतिहास के सर्वाधिक विश्वसनीय स्रोतों में माना जाता है
यह लेख निम्न प्रकार के हैं
- पाषाण फलको पर यानी पत्थरों पर शिलाओ पर लिखे लेख
- धातु की प्लेट पर
- स्तंभ एवं गुफाओं की दीवारों पर लिखे लेख
उदाहरण के लिए
- अशोक के शिलालेख
- समुद्रगुप्त तथा रुद्र दमन प्रथम के स्तंभ
- मंदसौर के ताम्रपट
- गोरखपुर जिले का सोहगोरा पट
- महेंद्र वर्मन का आई होल अभिलेख
- चोल शासकों के उत्तरामेरुर अभिलेख
मुद्राशास्त्र
इसके अंतर्गत सोने चांदी तांबे तथा अन्य धातु से बने सिक्कों
का अध्ययन किया जाता है
सिक्को के द्वारा उस काल की आर्थिक स्थिति पता लगाया जा सकता है
एवं कालक्रम संबंधी अन्य जानकारी प्राप्त होती है
पुरातत्व ( ARCHAEOLOGY )
इसके अंतर्गत अतीत के भौतिक अवशेषों का अध्ययन किया जाता है
जैसे इमारते, स्मारक, बर्तन, मिट्टी के पात्र, मोहरे, कंकाल अवशेष
आदि उदाहरण के लिए अजंता एवं एलोरा के पत्थरों में तराशे
मंदिरों एवं उनकी मूर्तियों व चित्र से उस काल की कलात्मक
उत्कृष्टता का पता चलता है
साहित्यिक स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के प्रमुख साधन साहित्य ग्रंथ हैं जिन्हें दो भागों में बांटा गया है
- धार्मिक साहित्य और
- लौकिक साहित्य
धार्मिक साहित्य
वेद - ऐसे ग्रंथों में वेद सर्वाधिक प्राचीन है और सबसे पहले आते हैं ऋग्वेद सामवेद
यजुर्वेद और अथर्ववेद इनके द्वारा प्राचीन भारत के इतिहास की सामाजिक धार्मिक
सांस्कृतिक जानकारी प्राप्त होती है
उपनिषद - बृहदारण्यक तथा छांदोंन्य सर्वाधिक प्रसिद्ध है इन ग्रंथों से बिंबिसार के
पूर्व के भारत की अवस्था जानी जा सकती है परीक्षित और उनके पुत्र जन्मेजय तथा
पाश्चात्य कालीन राजाओं का उल्लेख इन्हीं उपनिषदों में किया गया है
रामायण तथा महाभारत -प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के
प्रमुख साधन साहित्य ग्रंथ है जिसमे प्राचीन भारत के राज्यधर्म
एवमं राज्य व्यवस्था की जानकारी मिलती है
पुराण - पुराणों की संख्या 18 है इनकी रचना का श्रेय लोमहर्षण अथवा
उनके पुत्र उग्रश्रवस को दिया जाता है जैसे मत्स्य पुराण वायु पुराण
विष्णु पुराण गरुड़ पुराण आदि
ब्राह्मण ग्रंथ- वैदिक मंत्रों तथा संहिताओं की गद्य टिकाओ को
ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है जिसमें ऐतरेय, शतपथ,
पंचविश, तैतरीय आदि विशेष महत्वपूर्ण है
ऐतरेय के अध्ययन से राज्य अभिषेक तथा अन्य राजाओं-
महाराजाओं के अभिषेको का ज्ञान प्राप्त होता है
स्मृतियां
ब्राह्मण ग्रंथों में स्मृतियों का भी ऐतिहासिक महत्व है
मनु, विष्णु, याज्ञवल्क्य नारद, बृहस्पति, पराशर आदि की स्मृतियां
प्रसिद्ध है जो धर्म शास्त्र के रूप में स्वीकार की जाती है मनुस्मृति
जिसकी रचना संभवतः दूसरी शताब्दी में की गई इससे धार्मिक
तथा सामाजिक अवस्थाओं का पता चलता है
बौद्ध ग्रंथ
बौद्ध ग्रंथ में भी भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए प्रचुर सामग्रियां निहित है
त्रिपिटक इनका महान ग्रंथ है सुत, विनय तथा अमिधम्म मिलाकर त्रिपिटक ग्रंथ
बनता है इसके अंतर्गत महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंध एवं उनके संपर्क में आए
व्यक्तियों के विशेष विवरण है बुद्धदेव के धर्म उपदेश है
बौद्ध ग्रंथों में जातक कथाएं भी है जिनकी संख्या 549 है जातक कथाओं में भगवान
बुद्ध के जन्म के पूर्व की कथाएं उल्लेखित है
जैन ग्रंथ
प्राचीन भारतीय इतिहास का ज्ञान प्राप्त करने के लिए जैन ग्रंथ भी
अत्यधिक उपयोगी है यह धार्मिक प्रधानता रखते हैं इन ग्रंथो में
“परिशिष्ट पर्वत” विशेष महत्वपूर्ण है
“भद्रबाहु चरित्र” दूसरा प्रसिद्ध जैन ग्रंथ है
जिसमें जैनाचार्य भद्रबाहु के साथ-साथ चंद्रगुप्त मौर्य के संबंध को भी बताया गया है
विदेशियों के विवरण
विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से भी हमें भारतीय इतिहास की जानकारियां
मिलती हैं यूनान, रोम, चीन, तिब्बत, अरब आदि देशों के विदेशी यात्रियों एवं लेखक
ने स्वयं भारत की यात्रा करके भारतीय संस्कृति के ग्रंथों का उल्लेख किया
उदाहरण के लिए
यूनानीयों के विवरण सिकंदर के पूर्व उसके समकालीन तथा उसके पश्चात
की परिस्थिति से संबंधित है