प्रभावी संप्रेषण के गुण
प्रभावी संप्रेषण के गुणों में शुद्ध उच्चारण, भाषिक संरचना की समझ, भाषा व्यवहार, शब्द सामर्थ्य एवं व्याकरण आदि प्रमुख हैं इन गुणों से युक्त संप्रेषण अधिक प्रभावशाली होता है इन सभी गुणों के माध्यम से वक्ता अपने संप्रेक्षण को प्रभावी बना सकता है और श्रोता तक अपनी बात जो वह कहना चाहता है उसी अर्थ में पहुंचा सकता है।
प्रमाणिक एवं विश्वसनीयता -
संप्रेषण में प्रमाणिकता की महत्वपूर्ण भूमिका है प्रमाणिक संप्रेषण का महत्वपूर्ण अंग है इसके बिना संप्रेषण की सत्यता संदेह में है अथार्त वक्ता जो सूचना या जानकारी देना चाहता है श्रोता को, वह प्रमाणिक एवं विश्वसनीय होनी चाहिए।
शुद्ध उच्चारण -
वाणी की स्पष्टता एवं शब्दों का शुद्ध उच्चारण संप्रेषण को प्रभावी बनाता है एवं श्रोता में संदेश की ठीक समझ को विकसित करता है
शिष्टता
संप्रेषण में शिष्टता सदैव उसे प्रभावी बनाती है शिष्टता होने के कारण संप्रेषण नम्रतायुक्त हो जाता है वक्ता और श्रोता दोनों को बराबर सम्मान मिलना चाहिए और सम्मान शिष्टाचार होना चाहिए इसमें लिंग आयुष जाति वर्ग आदि का कोई भेद नहीं होना चाहिए।
शुद्धता
संदेश में शुद्धता का होना अत्यंत अनिवार्य है इसमें प्रयुक्त सूचना आंकड़े अंक क्रम आदि शुद्ध होने चाहिए इसमें तथ्यों का प्रयोग इसकी विश्वसनीयता को और भी बढ़ाता है।
सूचनाओं का बोझिल ना होना
संप्रेषण का गुण है कि उसमें सूचनाएं बोझिल होने के कारण उसकी प्रभावपूर्ण पर खत्म हो जाती है इससे श्रोता को संदेश समझने में देर लगती है और समस्याएं एवं जटिलताएं संप्रेषण में आ जाती है।
फीडबैक
यदि श्रोता, वक्ता को उचित फीडबैक (प्रतिपुष्टि) देता है तो यह प्रभावी संप्रेषण माना जाता है।
वाक् कला
बोलने की गति मध्यम होनी चाहिए ना अधिक तीव्र ना ही धीमी और ना ही अधिक जोर से। तीव्र गति की आवाज सुनने में दिक्कत आती है तथा धीमी गति की आवाज सुनाई नहीं देती अतः सामान्य गति से किया गया संप्रेषण ज्यादा प्रभावशाली होता है।
विचारों की समानता
वक्ता एवं श्रोता के विचार तथा उनकी मानसिकता समान होनी चाहिए मानसिकता के अनुकूल संप्रेषण एवं उद्देश्य पूर्ण संप्रेषण ही प्रभावपूर्ण होता है असमान विचारधारा के लोगों के बीच संप्रेषण अप्रभावी रहता है।
संस्कृति की समानता
संप्रेषण का गुण संस्कृति की समानता भी है क्योंकि समान संस्कृति वाले वक्ता और श्रोता संदेश को शीघ्र समझ लेते हैं।
भाषा की समानता-
सामान भाषा का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के बीच संप्रेषण अत्यधिक प्रभावपूर्ण रहता है।
विषय वस्तु का पूर्ण ज्ञान
वक्ता को विषय वस्तु का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए तभी वह श्रोता को अपनी बात या अपने तथ्यों को ठीक प्रकार से प्रस्तुत कर पाएगा एवं श्रोता उसको समझ पाएगा।
उचित वातावरण
संप्रेषण को प्रभावशाली बनाने के लिए उचित वातावरण का होना अति आवश्यक है अर्थात वातावरण बाधारहित होना चाहिए जैसे अत्यधिक शोर ना हो अत्यधिक अंधेरा ना हो आदि।
पूर्णता एवं संक्षिप्तता
संदेश सदैव पूर्ण होना चाहिए तथा संक्षिप्त होना चाहिए तभी संप्रेषण प्रभावी बन पाता है।
प्रभावी व्यक्तित्व के निर्माण में संप्रेषण की भूमिका
मानव जन्म लेते ही संप्रेषण शुरू कर देता है चाहे वह संप्रेषण गैर भाषिक क्यों ना हो बाद में उसने शब्द हाव-भाव आदि के द्वारा संप्रेषण किया मां की गोद मनुष्य की पहली पाठशाला मानी जाती है धीरे-धीरे शारीरिक विकास के साथ-साथ व्यक्तित्व निर्माण भी संप्रेक्षण के विविध रूपों ( मौखिक व् लिखित )से होता है।
व्यक्तित्व के निर्माण में संप्रेषण एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है इसमें व्यक्ति का बहुआयामी विकास होता है समाज में विभिन्न लिंग, आयु, वर्ग आदि संप्रेक्षण को पूर्णता प्रभावित करते हैं व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक पक्ष भी व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण घटक है व्यक्ति अपने भावों को संप्रेषित करता है जो अन्य व्यक्तियों के द्वारा पसंद नापसंद किया जाता है।
व्यक्तित्व का निर्माण मौखिक संप्रेषण, लिखित संप्रेषण, सांकेतिक संप्रेषण ,औपचारिक संप्रेषण और अनौपचारिक संप्रेषण आदि सभी प्रकारों से होता है सकारात्मक संप्रेषण सकारात्मक व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं जबकि नकारात्मक संप्रेषण नकारात्मक व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय संप्रेषण व्यक्ति को विभिन्न संस्कृतियों वह समाजों को निकट लाने और उसे समझने वाले विराट व्यक्तित्व का निर्माण करता है व्यक्तित्व आंतरिक एवं बाह्य जगत दोनों से निर्मित होता है एक आंतरिक परिवेश तथा दूसरा सामाजिक परिवेश संप्रेषण व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर कार्य करता है और व्यक्तित्व का निर्माण करता है।