A.E.C.C.हिंदी भाषा और संप्रेषण, यूनिट 4, CH # 1 व्यक्तित्व और भाषिक अस्मिता : आयु, लिंग, वर्ग, शिक्षा


व्यक्तित्व

व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी के पर्सनैलिटी का पर्याय है जिसकी उत्पत्ति यूनानी भाषा के पस्रोना शब्द से हुई जिसका अर्थ है मुखौटा व्यक्तित्व का तात्पर्य प्राचीन काल में व्यक्ति के बाह्य गुणों से लगाया जाता था परंतु अब बाह्य गुणों के अलावा आंतरिक गुणों को भी व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंग माना गया है 

Kempf  के अनुसार’- व्यक्तित्व प्राभ्यासो संस्थाओं का या उन अभ्यास के रूपों का समन्वय है जो वातावरण में व्यक्तित्व के विशेष संतुलन को प्रस्तुत करता है

MORTON PRINCE  माट्रन प्रिंस के शब्दों में ‘व्यक्तित्व व्यक्ति की समस्त जैविक जन्मजात विन्यास, रुझान, मूल प्रवृत्तियां तथा अर्जित विन्यासो और एवं प्रवृत्तियों का समूह है

व्यक्तित्व के सिद्धांत

भारतीय औषधि विज्ञान के जनक कृषि वैज्ञानिक चरक ने व्यक्तित्व को विभाजित करने के लिए तीन तत्व को प्रमुखता दी है वात, पित्त, कफ वात तत्व वाले लोगों में आकाश तथा वायु तत्व होता है पित्त तत्व वाले लोगों में वायु तथा अग्नि तत्व होता है कफ़ तत्व वाले लोगों में जल तथा पृथ्वी तत्व होता है 

क्रेशमर महोदय ने धातु स्वभाव एवं शारीरिक गठन के आधार पर व्यक्तित्व को दो भागों में बांटा

साईंकल्याड - ह व्यक्ति सामाजिक स्वभाव विनोद प्रिय आवेगी चंचल मनोदशा के होते हैं

सिजवायड -यह व्यक्ति असामाजिक शांत गंभीर और अल्प भाषी होते हैं

जुंग ने व्यक्तित्व को दो भागों में बांटा

1. अंतर्मुखी 

2. बहिर्मुखी

व्यक्तित्व और भाषिक अस्मिता : आयु, लिंग, वर्ग , शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अलग पहचान होती है इसी पहचान को हम अस्मिता कहते है भाषिक अस्मिता-इसके अंतर्गत व्यक्ति को उसकी भाषा के आधार पर अर्थात उसके द्वारा बोले जाने वाली भाषा उसकी पहचान होती है जो उसके स्वभाव में एवं कार्यों में झलकती है भाषा के आधार पर यह पहचानना भी आसान हो जाता है कि वह किस स्थान से है जैसे भोजपुरी गीत धीरे धीरे भोजपुरी भाषा कि वह उसके बोलने वाले लोगों की पहचान बन गई

आयु अस्मिता

आयु व्यक्ति की भाषा को प्रभावित करता है आयु के हिसाब से बड़ों को सम्मानित भाषा स्नेह पुकारना तथा छोटों को प्यार से पुकारना बड़ों के लिए आप शब्द का प्रयोग करना वह आत्मीय जनों के लिए तू शब्द का प्रयोग कर रहा संप्रेक्षण के आयु संदर्भ को व्यक्त करता है बड़ों की भाषा में गंभीर ,दायित्वयुक्त एवं नैतिकता वाली होती है तो वही छोटों की भाषा में खेलने, शिक्षा मनोरंजन आदि से संबंधित प्रधान शब्दों का प्रयोग होता है उम्र के साथ शब्दावली समृद्ध हो जाती है


लिंग अस्मिता 

लिंग का भाषा पर बहुत प्रभाव पड़ता है स्त्री पुरुष किन्नर (स्त्री पुरुष) सारे अपने अपने ढंग की भाषा का प्रयोग करते हैं लिंगभेद विश्व की सभी भाषाओं में दिखाई देता है कुछ स्त्री और पुरुष जटिल भाषा कड़क भाषा का प्रयोग करते हैं तो वहीं कुछ नरम भाषा का प्रयोग करते हैं कई भाषाओं में स्त्री और पुरुष समान शब्दों का प्रयोग करते हैं तो कई भाषाओं में एक शब्द के लिए समान शब्द का प्रयोग नहीं करते उदाहरण के लिए जापानी भाषा में कोई व्यंजन किसी व्यापक को स्वादिष्ट लगता है तो उसे Umai तथा कोई व्यंजन स्त्रियों को स्वादिष्ट लगता है तो उसे oisii शब्द प्रयुक्त किया जाता है

वर्ग अस्मिता 

वर्ग एक समूह का बोध कराता है समाज विभिन्न वर्गो या स्तरों में विभाजित है जैसे धनी वर्ग, उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग ,निम्न वर्ग, शिक्षक वर्ग पुरुष वर्ग, महिला वर्ग, इन सभी वर्गों की भाषा रहन-सहन का तरीका अलग अलग होता है किसी भी वर्ग में भाषा का अनुकरण माता से आरंभ होता है इन सभी वर्गो को संप्रेषण की प्रक्रिया प्रभावित करती हैं

शिक्षा अस्मिता 

शिक्षा मनुष्य के साथ-साथ उसके वर्ग की भी पहचान कराती है शिक्षा अस्मिता को दो भागों में देखा जाता है शिक्षित वर्ग और अशिक्षित वर्ग इन दोनों वर्गों के बीच रहन -सहन ,बातचीत, कार्य एवं व्यवहार का तरीका अलग अलग होता है जो की पहचान को बताता है अतः व्यक्ति का लिंग आयु वर्ग एवं शिक्षा, आर्थिक ,सामाजिक आदि अनेक कारक है जिनके कारण संप्रेक्षण प्रभावित होता है इसलिए व्यक्तित्व और भाषिक अस्मिता की संप्रेक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका है संप्रेक्षण अलग अलग व्यक्तित्व को अलग अलग तरह से प्रभावित करता है और भाषिक अस्मिता भी संप्रेक्षण की प्रक्रिया को अपने ढंग से परिणाम में परिवर्तित करता है



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