मानव समाज के लिए सम्प्रेषण का बड़ा महत्व है सम्प्रेषण का सामान्य अर्थ वक्ता के द्वारा अपने भावों विचारों सूचनाओं या जानकारियों को श्रोता तक पहुंचाना है अर्थात वह जो कहना समझाना चाहता है सामने वाला उसका वही भाव या अर्थ समझे इस तरह मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को अन्य तक पहुंचाने के लिए एकलाप ,संवाद सामूहिक चर्चा और आज सूचना क्रांति के युग में इंटरनेट, ईमेल, ब्लॉग वेबसाइट आदि द्वारा संप्रेषण की प्रक्रिया को क्रियान्वित करता है
आज सूचना एवं तकनीकी के विकास ने सम्प्रेषण के क्षेत्र में क्रांति ला दी है इसलिए सम्प्रेषण के विभिन्न माध्यमों के विषय में जानना अति आवश्यक है ताकि सम्प्रेषण हेतु इन माध्यमों का समुचित एवं प्रभावी प्रयोग किया जा सके
संप्रेक्षण के विभिन्न माध्यम
एकालाप
कोई भी भाव या विचार सर्वप्रथम व्यक्ति के मन मस्तिष्क में ही उठता है मन ही मन में अपने इस विचार पर चिंतन कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है यही एकलाप है अंग्रेजी में इसे मोनोलॉग कहते हैं यहां व्यक्ति स्वयं ही वक्ता और श्रोता होता है यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति स्वयं चिंतन. मनन .तर्क आदि स्वयं से करता है एकलाप के दो रूप है स्थिर व गत्यात्मक स्थिर एकलाप में वक्ता किसी एक विचार बिंदु तक ही सीमित रहता है गत्यात्मक में वक्ता स्वयं से ही सवाल जवाब करने लगता है
संवाद
दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों के मध्य मौखिक बातचीत की क्रिया संवाद कहलाती है अंग्रेजी में इसे डायलॉग के नाम से जाना जाता है इसमें वक्ता और श्रोता दोनों प्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे के सामने होते हैं संवाद की भाषा सहज, सरल ,स्वभाविक एवं उत्साहवर्धक होनी चाहिए संवाद में छोटे-छोटे और चुस्त वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए जिससे संवाद नीरस या उबाऊ ना हो जाए संप्रेक्षण के इस माध्यम के अंतर्गत सम्प्रेषक कभी वक्ता तो कभी श्रोता की भूमिका में होता है और इसमें मुख्य बात यह है कि श्रोता तुरंत सूचना से संबंधित जानकारी प्राप्त कर अपनी जिज्ञासा एवं शंकाओं का समाधान पा सकता है
सामूहिक चर्चा
दो या दो से अधिक व्यक्ति जब सामूहिक रूप से किसी विशिष्ट विषय पर सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं तो इसे सामूहिक चर्चा कहा जाता है सामान्यता समूह के सभी सदस्यों के एक समान उद्देश्य होते हैं जिन की प्राप्ति के लिए वे सभी मिलकर प्रयास करते हैं इसके अंतर्गत समस्याओं और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मौखिक चर्चा करके किसी निष्कर्ष पर पहुंच कर निर्णय लिया जाता है इसमें प्रत्येक भागीदार को सोचने विचारने एवं अपनी बात रखने का अवसर दिया जाता है सामूहिक चर्चा की सफलता के लिए सर्वप्रथम समूह के सदस्यों को चर्चा के उद्देश्य स्पष्ट हो एवं सदस्यों का व्यवहार सकारात्मक होना चाहिए सभी सदस्यो की सक्रिय भूमिका होनी चाहिए एक दूसरे को ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए एवं सहजता व सहनशीलता के साथ अपने विचार रखने चाहिए और एक दूसरे के विचारों का सम्मान करते हुए उचित निष्कर्ष लेना चाहिए
इंटरनेट
आज का युग सूचना एवं तकनीकी का है जिसमें कंप्यूटर इंटरनेट संप्रेक्षण का क्रांतिकारी माध्यम हैं इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा देश- विदेश में सूचनाएं महज कुछ ही देर में पहुंचाई जा सकती है इसमें प्रत्येक नेटवर्क एक दूसरे से जुड़ा होता है जो आंकड़ों का आदान प्रदान करता है
ई-मेल
ईमेल यानी इलेक्ट्रॉनिक मेल से आशय है इंटरनेट के द्वारा किसी कंप्यूटर से संदेश भेजने का तरीका इसके लिए एक ईमेल पते की जरूरत होती है जो यूजर नेम और डोमेन नेम से मिलकर बनता है ई -मेल संप्रेक्षण का एक विशिष्ट माध्यम है जिसमें कोई भी सूचना संदेश पत्र या फोटो दुनिया के किसी भी कोने में तत्काल पहुंचाया जा सकता है इस साधन में समय और धन दोनों की बचत होती है सन 1972 में ईमेल का अपार्टनेट से प्रचलन हुआ इसमें @ चिन्ह को प्रचलित कर सर्व प्रयोगी बनाया इसके बाद इस क्षेत्र में अत्यधिक तरक्की हुई और पूरा विश्व में सोशल नेटवर्क का प्रचार ,प्रसार, विस्तार हुआ इसी का नतीजा आज के फेसबुक वॉट्सएप आरकुट और ट्विटर ,ब्लॉग आदि है
ब्लॉग