B.A. FIRST YEAR हिंदी सिनेमा का अध्ययन UNIT 2 Chapter- 1 सिनेमा अध्ययन की दृष्टियां एवं सिनेमा में यथार्थ और उसका ट्रीटमेंट, हाइपररियल NOTES
1Eklavya Snatakमार्च 24, 2021
सिनेमा अध्ययन की दृष्टियां
पश्चिमी सिनेमा तकनीकी की दृष्टि से निरंतर प्रयोग करता रहा है सिनेमा अध्ययन के सिद्धांत मूल्य तय है पश्चिम में ही निर्मित हुए मुख्य रूप से तीन प्रकार की फिल्म सिद्धांत माने जाते हैं यथार्थवाद सिद्धांत शास्त्रीयवादी सिद्धांत शलीबध सिद्धांतइसके अलावा कुछ ऐसी सिद्धांत भी है जिसे सिनेमा में हम देख सकते हैं जैसे अर्पेट्स सिद्धांत रेटरिक सिद्धांत फेमिनिस्ट सिद्धांत मार्क्सिस्ट सिद्धांत मनोवैज्ञानिक सिद्धांत मानवतावादी सिद्धांत आदि
यथार्थवादी सिद्धांत
इसमें कैमरे के द्वारा कैद किए गए दृश्यों को यथासंभव हूबहू रखने का प्रयास किया जाता है नायक नायिका साधारण चेहरे वाले सामान्य व्यक्तियों के समान होने चाहिए तथा ऑन लोकेशन शूट करने की कोशिश की जाती हैयथार्थवाद सेट डिजाइनर के रूप में संजय शरदरावडे का नाम प्रमुख है
शास्त्रीय सिद्धांत
यह सिद्धांत यथार्थवाद पर आधारित है परंतु फिल्म की प्रस्तुति रचनात्मक ढंग से करने के नियम पर जोर देता है इसके अंतर्गत बड़े सेट एवं भव्य कथाओं तथा मंजे हुए कलाकारों का चयन किया जाता है
शैलीबद्ध सिद्धांत
इसके अंतर्गत निर्देशक अपनी रचनात्मक क्षमता का प्रयोग करते हुए स्पेशल इफेक्ट के जरिए दर्शकों को बांधने का काम करता है यह यथार्थवाद के भ्रम को तोड़ने का काम करता है इसके अंतर्गत एवेंजर्स सीरीज ,स्पाइडर-मैन आदि प्रमुख है
सिनेमा में यथार्थ का ट्रीटमेंट
सिनेमा में यथार्थ को देखने के लिए दो धाराएं काम करती है एक व्यावसायिक अथवा कमर्शियल फिल्में और दूसरी समानांतर फिल्में जिसमें जीवन का स्वाभाविक चित्रण दिखाया जाता है यथार्थवाद हमें वास्तविकता से परिचित कराता है यह निर्देशक की दृष्टि है जो कथा के साथ किस प्रकार का ट्रीटमेंट किया जाए इसे प्रस्तावित और निर्धारित करती है एक ही विषय पर हिंदी सिनेमा में यश चोपड़ा और अनुराग बसु का ट्रीटमेंट विषय को लेकर भिन्न-भिन्न होगा फिल्म के दर्शक इसे भली-भांति समझ सकते हैं
हाइपररियलिटी और सिनेमा
सर्वप्रथम जॉन बोंद्रिला ने इस शब्द का प्रयोग किया इसके अंतर्गत फिल्मों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है कि वह हमारे भीतर वास्तविक और अतिवास्तविकता के अंतर को मिटाती है उसे देखकर एक ऐसी वास्तविकता का आभास होता है जो वास्तव में नहीं है पर फिर भी उसके भीतर रहकर एक नई दुनिया में होने का आभास होता है इसमें तकनीकी का भरपूर प्रयोग करके एक वर्चुअल दुनिया का निर्माण किया जाता हैउदाहरण के लिए डिज्नीलैंड, एवेंजर्स सीरीज आदि
Sir notes chhiye cinema ke
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