A.E.C.C.हिंदी भाषा और संप्रेषण UNIT 1 CH- 2 संप्रेषण के विभिन्न मॉडल एवं भाषिक संप्रेषण Notes In Hindi


संप्रेषण के प्रतिरूप या मॉडल का अर्थ

मॉडल शब्द अंग्रेजी भाषा का है जिसका अर्थ किसी तथ्य, विचार या सिद्धांत को स्पष्ट करना या समझने की प्रक्रिया है मॉडल कार्य को क्रियान्वित करने की बौद्धिक प्रक्रिया है हिंदी में मॉडल के लिए प्रतिमान और प्रतिरूप या प्रारूप शब्द ही प्रयोग किए  जाते हैं जिनका अर्थ किसी प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों को उनके आपसी संबंधों के साथ प्रदर्शित करना है संप्रेषण प्रतिरूप या मॉडल संप्रेषण की प्रक्रिया को प्रदर्शित करते हैं संप्रेक्षण प्रतिरूप के अंतर्गत संप्रेषण की प्रक्रिया स्वरूप एवं  परिणाम तथा व्यक्ति और समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है इनको देखा जाता हैं

संप्रेषण प्रतिरूप के चार मुख्य कार्य होते है

1. संगठित करना - प्रतिरूप तथ्यों एवं आंकड़ों को व्यवस्थित कर उनके आपसी संबंधों को निर्धारित कर उन्हें सही रूप में अभिव्यक्त करने का काम करता है

2 अनुमान लगाने योग्य - प्रतिरूप भविष्य की संभावनाओं की परिस्थितियों का अनुमान या अनुमानित करने योग्य बनाता है

3 स्वयं शोध संबंधी कार्य - प्रति रूप में कार्य कारण की ऐसी पद्धति होती है जिसके द्वारा नवीन तथ्यों का शोध करने में मदद मिलती है

4 मापन संबंधी कार्य- प्रतिरूप में विषय के स्तर के अनुरूप मापन में भी मदद मिलती है इसमें मुख्यतः गुणवत्ता और संख्यात्मक तरीके से मापन कर सकते हैं

संप्रेषण के विभिन्न मॉडल या प्रतिरूप

1 SMR - संप्रेषण का सबसे सरल प्रतिरूप SMR है यह एक सरल रेखीय संप्रेक्षण प्रतिरूप है जिसमें तीन तत्व होते हैं संप्रेषक, संदेश और संदेश प्राप्त करने वाला S ( संप्रेषक ) M ( संदेश ) R ( सन्देश प्राप्तकर्ता ) अरस्तु का संप्रेषण प्रतिरूप वक्ता - संदेश - अवसर - श्रोता - प्रभाव यह प्रारूप आज से लगभग 2000 वर्ष पहले प्रस्तुत किया था उस समय आधुनिक संप्रेक्षण साधनों का सर्वथा अभाव था उस समय विचारों के प्रचार प्रसार प्रमुख साधन संत महात्मा और उनके उपदेश हुआ करते थे अरस्तू का संप्रेक्षण मॉडल समूह संप्रेक्षण पर ही आधारित है

इसी प्रकार से इन सभी ने अपने अपने सम्प्रेषण के प्रतिरूप दिए 

सी ई आसगुडGarbnar Newcoomb का ABX प्रतिरूप रिले एंड रिले का संप्रेषण प्रतिरूप बेरलो का SMCR प्रतिरूप

अभाषिक संप्रेषण

जब हम अपने विचारो, भावनाओं ,सूचनाओं को बिना बोलें बिना शब्दों के दूसरों तक पहुंचाते है तो यह अभाषिक संप्रेषण कहलाता हैं अभाषिक संप्रेषण में हम संकेतों, प्रतीकों, चिन्हों, हाव भाव आदि की सहायता से अपने विचारो,अपनी बात या कोई सूचना को दूसरों तक पहुंचाते है मनुष्य की भाषा का पहला स्वरूप सांकेतिक या अभाषिक ही था इसके बाद समय के साथ मौखिक और लिखित भाषिय के रूप मानव समाज के अस्तित्व में आए संसार में अभाषिक संप्रेक्षण प्रक्रिया प्राचीन काल से ही मानव समाज में विद्यमान है अभाषिक संप्रेषण प्रक्रिया में संदेश को मोटे रूप से 3 तरह से अभिव्यक्त किया जाता है संकेत के द्वारा क्रिया के द्वारा और वस्तु के द्वारा

संकेत भाषा  - अभाषिक संप्रेषण मैं संकेतों का महत्वपूर्ण स्थान है जैसे शब्द ,अंक ,चिन्हों आदि का स्थान संदेश प्रेषक के हावभाव ले लेते हैं

क्रिया भाषा - इसमें वक्ता अपने शारीरिक अंगों के द्वारा संप्रेक्षण की करता है जैसे खाने-पीने चलने आदि  क्रियाएं

वस्तु भाषा - इसमें किसी वस्तु के प्रतिरूप सहित व्यक्ति का शरीर ,वस्त्र आदि भाव अभिव्यक्ति करता है  जैसे चित्र , वेशभूषा, यंत्र आदि



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